सेक्स रैकेट में पकड़ी गई भोपाल की महिलाएं योगाचार्य अनुपमा तिवारी के जाल में काम पाने के लालच में फंस जाती थीं। अनुपमा उनके घर जाकर उनसे समाज के कार्यों में जुड़ने की बात कहती थी। कभी खुद को पत्रकार तो कभी शिवसेना का नेता से लेकर योगाचार्य और कभी समाजसेवी बताती थी।
उसकी पहचान को देखकर काम पाने की चाहत में महिलाएं उससे जुड़ जाती थीं। बाद में वह किसी न किसी बहाने से उन्हें सीहोर बुलाती थी। यहां उनकी मजबूरी का फायदा उठाकर देह व्यापार के लिए मजबूर करती थी। महिला के तैयार होते ही वह उसे सेक्स रैकेट के वॉट्सऐप ग्रुप में जोड़ लेती थी। यह सभी महिलाएं बैरागढ़ की रहने वाली हैं। इसका खुलासा खुद अनुपमा ने पुलिस के सामने किया।
एक और सच यह है कि अनुपमा सिर्फ शादीशुदा महिलाओं को ही जाल में फंसाती थी। एएसपी सीहोर समीर यादव ने बताया कि अनुपमा का मानना था कि मजबूरी और बदनामी के डर से ऐसी महिलाएं जल्दी राज नहीं खोलती हैं। इसी कारण लंबे समय से वह देह व्यापार में लगी थी, लेकिन उसका राज नहीं खुल रहा था।
लंबे समय से चल रहा था खेल
पुलिस के अनुसार अनुपमा लंबे समय से देह व्यापार का कारोबार चला रही थी। उसके संपर्क में 15 से ज्यादा महिलाएं बताई जा रही हैं। हालांकि रविवार देर रात छापे के दौरान पुलिस ने 4 लड़कियां, 3 कस्टमर, ड्राइवर, महिला मैनेजर और संचालिका को अरेस्ट किया था।
ऐसी महिलाओं की तलाश में रहती थी अनुपमा
सेक्स रैकेट के लिए अनुपमा सीहोर के बाहर से महिलाओं को बुलाती थी। इसके लिए वह सोशल वर्क करने के नाम पर उन्हें घर पर रखती थी। वह खासतौर पर पति से विवाद को लेकर परेशान चलने वाली, अकेली रहने वाली और पति के बेरोजगार होने जैसी महिलाओं से पहचान बढ़ाती थी।
उसके बाद उन्हें झांसा देकर दोस्ती कर लेती थी। महिलाएं काम और पैसों के लालच में उसके जाल में फंसकर देह व्यापार में जुड़ जाती थीं। एक बार इस धंधे में उतरने के बाद उनके पास इससे निकलने का रास्ता नहीं रहता था।
सभी को जमानत पर छोड़ा
पुलिस ने प्रारंभिक कार्रवाई के बाद सभी महिलाओं और आरोपियों को जमानत पर छोड़ दिया। हालांकि रात को ही छोड़े जाने के कारण पुलिस अब महिलाओं के बारे में ज्यादा जानकारी न होने की बात इनकार कर रही है। पुलिस का कहना है कि कोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार सभी को सिर्फ बांड भरवा कर छोड़ दिया गया है।
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