मध्यप्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र का दूसरा दिन भी हंगामेदार रहा। जिसके चलते दो बार पहले 5 मिनट और फिर 10 मिनट के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। इसके बाद भी हंगामा बढ़ता देख विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी।
दूसरे दिन की कार्यवाही में सत्ता पक्ष और विपक्षी विधायकों में जमकर बहस हुई। कांग्रेस विधायकों ने पोषण आहार घोटाले पर स्थगन प्रस्ताव देकर पहले इस पर चर्चा और फिर सीएम के वक्तव्य की मांग की, लेकिन विपक्ष की मांग के उलट पहले सीएम का वक्तव्य कराया गया। जिसे लेकर कांग्रेस विधायकों ने जमकर हंगामा किया
सिलसिलेवार जानिए विधानसभा में क्या हुआ
कांग्रेस का आरोप- हमारे आदिवासी विधायक की कॉलर पकड़ी
कांग्रेस विधायक नारेबाजी कर तख्तियां लेकर सदन के भीतर जाने की कोशिश कर रहे थे। उन्हें पुलिस जवानों ने रोका। कांग्रेस विधायकों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने बदतमीजी की और उनकी कॉलर पकड़ी। जिसके बाद सदन में जमकर हंगामा हुआ। नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह ने कहा, बीजेपी विधायक उमाकांत शर्मा ने हमारे आदिवासी विधायक पांचीलाल मेढ़ा की कॉलर पकड़ी और उन्हें धक्का दिया। इस बात को लेकर विपक्ष और गृहमंत्री के बीच तीखी बहस हुई। गृहमंत्री ने कहा, हमारे विधायक की कॉलर पकड़ी गई है, यह सहन नहीं करेंगे। विधानसभा अध्यक्ष ने मामले की जांच कराकर दो दिन में रिपोर्ट सदन में पेश करने को कहा। हंगामा बढ़ता देख विधानसभा अध्यक्ष ने कक्ष में आकर विपक्ष के विधायकों से बात करने को भी कहा।
नेता प्रतिपक्ष की मांग, पहले स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा हो
मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कार्यवाही शुरू होने के बाद कहा, मेरा आग्रह है कि पहले मुख्यमंत्री जी को अपनी बात कहने दें। इस पर विधायक कुणाल चौधरी बोले, ये चर्चा से क्यों भाग रहे हैं, बच्चों का निवाला गिद्ध की तरह खा गए। नेता प्रतिपक्ष बोले, स्थगन और नियम 139 के तहत चर्चा कराई जाए। सदन को गुमराह नहीं किया जाए। इस पर मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा, पहले प्रश्नकाल हो जाने दीजिए, उसके बाद चर्चा की जाएगी। नेता प्रतिपक्ष ने कहा, प्रश्नकाल में पोषण आहार के मुद्दे को छोड़कर अन्य विषय पर वक्तव्य दें। इस पर सीएम बोलने के लिए उठे तो विपक्ष ने हंगामा कर दिया। उन्होंने कहा, मैंने इस विषय पर सारी स्थिति स्पष्ट करने का प्रयास किया। चर्चा से भागने का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता। तब नेता प्रतिपक्ष बोले, सदन रोककर पहले स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा कराई जाए।
विधायक कांवरे और मंत्री कुशवाह के बीच भी नोक-झोंक
कांग्रेस विधायक हिना कांवरे और मंत्री भारत सिंह कुशवाह के बीच भी नोक-झोंक हुई। नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने कहा, कांग्रेस विधायक मनोज चावला को पुलिस ने पटका है। आदिवासी विधायक पांचीलाल मेढ़ा को भी रोका गया है। इस मुद्दे के उठने के बाद गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा और विदिशा विधायक शशांक भार्गव के बीच तल्खी दिखी। विधानसभा अध्यक्ष ने आवेदन आने पर कार्यवाही करने की बात कहकर मामले को शांत करवाया। हालांकि दोपहर 12 बजे तक हंगामे के कारण दो बार सदन की कार्यवाही को स्थगित करनी पड़ी।
कमलनाथ बोले - मैं लंबे समय तक संसदीय कार्य मंत्री रहा
कार्यवाही शुरू हुई तो कमलनाथ बोले- अभी भूपेंद्र सिंह ने जिक्र किया, मैं संसदीय कार्य मंत्री रहा हूं। आपको बता दूं कि मैं काफी समय तक संसदीय कार्य मंत्री रह चुका हूं, मुझे सबसे ज्यादा इसकी जानकारी है। यहां पर सीएम और मंत्री पहले बोल रहे हैं और बाद में हमें बोलने को कहा जा रहा है। इस पर सीएम बोले- कमलनाथ संसदीय ज्ञान के बड़े जानकर हैं। उन्होंने पूछा- क्या सरकार को यह हक नहीं कि बड़ी घटना को लेकर फैलाए जा रहे भ्रम पर सरकार अपनी बात रख सके। सीएम बोले- मेरे वक्तव्य के बाद नेता प्रतिपक्ष बोलें-फिर हम जवाब देंगे। चर्चा से कोई भाग नहीं रहा है।
हंगामे के बीच कल तक के लिए कार्यवाही स्थगित
नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह बोले- मुझे एक उदाहरण दे दीजिए, पहले कभी स्थगन के पहले चर्चा हुई हो। इस पर कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने कहा- जो 15 स्थगन प्रस्ताव लगे हैं, उस पर चर्चा करा लीजिए, उसके बाद मुख्यमंत्री की बात सुन लेंगे। सीएम ने बोलना शुरू किया तो विपक्ष के विधायक उठकर खड़े हो गए। हंगामे के बीच सीएम ने भाषण जारी रखा। विपक्ष के विधायकों ने भी नारेबाजी जारी रखी। सीएम बोले- ये कैग की रिपोर्ट नहीं, सिर्फ एक ड्राफ्ट है। रिपोर्ट में गड़बड़ी मिलती है तो हम कड़ी कार्रवाई करेंगे। चाहे गड़बड़ी किसी के भी कार्यकाल में हुई हो। इसके बाद कांग्रेसी आसंदी के सामने धरने पर बैठ गए। इस बीच गृहमंत्री ने अध्यादेश पढ़ा। हालांकि हंगामे को देखते हुए विधानसभा की कार्यवाही गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी गई है।
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