कहते हैं ना अगर आत्मविश्वास मजबूत है तो दुनिया में कोई भी आपको हरा नहीं सकता। मेरे परिवार में पहली बार 28 फरवरी को बेटे के माध्यम से कोरोना ने परिवार में दस्तक दी। कुछ समझ पाना इतना आसान नहीं था। देखते ही देखते कोरोना के चपेट में मैं भी आ गई। शुरुआत फीवर से हुई थी तो मैंने सामान्य वायरल समझ कर सिर्फ दवाइयां लीं। कुछ दिन बाद जब फिर दिक्कत हुई तो टेस्ट करवाया, जिसकी रिपोर्ट निगेटिव आई। निगेटिव रिपोर्ट के बाद हम पूरी तरह निश्चिंत हो गए। तभी एक दिन खाना खाते समय सांस लेने में दिक्कत होना शुरू हो गई। तभी परिवार के अन्य सदस्यों ने सीटी स्कैन कराने की बात कही।
सीटी स्कैन करवाया तो मेरे लंग्स में लगभग 70 प्रतिशत इन्फेक्शन था। हम सभी घबरा गए और मुझे तुरंत 23 मार्च को चिरायु अस्पताल में एडमिट कर दिया। मुझे बीपी और शुगर दोनों हैं, ऐसे में मेरे सामने यह बड़ा चैलेंज था कि मैं इसे रिकवर कर भी पाऊंगी या नहीं। मैं जब अस्पताल में थी तो परिवार में बड़े भैया और छोटी बहू भी पॉजिटिव हो गए। रिपोर्ट आने के पहले ही यह दोनों इंदौर चले गए थे। बड़े भैया और छोटी बहू दोनों का इलाज इंदौर के एक अस्पताल में शुरू हुआ। इस तरह से घर में सिर्फ बड़ी बहू, मेरी 82 वर्षीय सास और 2 वर्ष के पोते को छोड़ सभी पॉजिटिव हो गए।
मैं जब आईसीयू में थी तो परिवार के लोग वीडियो कॉल पर हालचाल जानते, तो मैं हमेशा उनके सामने खुद को खुश और हंसता हुआ दिखाने की कोशिश करती। सब एक-दूसरे को यही कहते कि जल्दी ठीक होकर सब घर पर मिलेंगे और फिर फैमिली लॉन्ग ड्राइव पर चलेंगे। इसी बीच एक दिन मेरे आसपास भर्ती मरीजों की डेथ देखकर मेरा हौसला टूटने लगा और मैं थोड़ा डिप्रेस हो गई। मुझे लगा कि मैं ठीक हो पाऊंगी भी या नहीं। मेरा ऑक्सीजन लेवल डाउन होने लगा। इसके चलते लगभग चार दिन तक मैं ऑक्सीजन सपोर्ट पर रही।
उसके बाद मैं खुद कुछ-कुछ समय के लिए ऑक्सीजन मास्क को निकालकर ब्रीदिंग एक्सरसाइज करती, पेट के बल लेटती, ताकि ऑक्सीजन लेवल बढ़े। फिर मैंने डॉक्टर से बात की। उन्होंने कहा कि दो दिनों तक बिना ऑक्सीजन सपोर्ट के रहिए। मैंने अपनी एक्सरसाइज जारी रखी और बिना ऑक्सीजन सपोर्ट के रही। उसके बाद मेरा ऑक्सीजन लेवल 95 के ऊपर जाने लगा। इस तरह से लगभग 14 दिन के कड़े संघर्ष के बाद मैंने कोरोना को हराया और अपनों के बीच 3 अप्रैल को वापस लौटी।
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