हेयर पिन, साड़ी पिन, स्क्रू, मोती, बटन, एक-दो रुपए के सिक्के, सुपाड़ी और बादाम के टुकड़े। टेबल पर सजा यह कलेक्शन यूं तो देखने में बहुत सामान्य है। लेकिन, इस छोटे-छोटे सामान की एक पहचान यह भी है कि यह पूरा संग्रह फॉरेन बॉडी (कोई सामान या वस्तु जो शरीर के अंदर पहुंच गया) है। फॉरेन बॉडी का यह कलेक्शन श्वांस रोग विशेषज्ञ डॉ. पीएन अग्रवाल ने सहेजा है।
यह सभी फॉरेन बॉडी उन्होंने बीते 23 साल की प्रैक्टिस के दौरान मरीजों के शरीर से निकाले हैं। सामान्यत: डॉक्टर ऐसी फॉरेन बॉडी को निकालने के बाद या तो मरीज को दे देते हैं, या फिर फेंक देते हैं। लेकिन, डॉ. अग्रवाल ने इन फॉरेन बॉडी को यादों के तौर पर सहेजकर रखा है।
ये हैं फॉरेन बॉडी... डॉ. अग्रवाल की मानें तो अभी उनके पास 48 फाॅरेन बॉडी हैं। जबकि, 100 से ज्यादा मरीजों के शरीर से फॉरेन बाॅडी वे अब तक निकाल चुके हैं। अधिकांश तो खाने-पीने की चीजें जैसे चना, इमली का बीज, बादाम के टुकड़े मूंगफली आदि फंसने के मामले भी बहुत आते हैं। लेकिन, इनको सहेजकर रखना संभव नहीं होता है। इसलिए नट, बोल्ट बटन, पेन के कैप, शंख और पत्थर के टुकड़े ऐसे ही फॉरेन बाॅडी को सहेजकर रखा है।
4 महीने पहले निगला था स्क्रू, सर्जरी कर निकाला
मुंगावली के तैयब को सीने में दर्द हुआ। 3 जून 2018 को उसके परिजन लेकर आए। एक्सरे में पता चला कि 1 इंच का स्क्रू बच्चे के फेफड़े में फंसा है, पस पड़ चुका था। स्क्रू बच्चे ने 4 महीने पहले निगला था। ब्रोंकोस्कॉपी तकनीक से उसे निकाला गया।
चार साल की बच्ची ने निगली दादी की सुपाड़ी
5 महीने पहले सीहोर निवासी 4 साल की राशि ने दादी के डिब्बे से सुपाड़ी निकालकर मुंह में रख ली। दादी ने डांटा तो डर के कारण उसने गहरी सांस ली और सुपाड़ी सांस नली में फंस गई। अंत में सर्जरी कर उसे बाहर निकाला गया।
अब आदत हाे गई है, मैं इसे आगे भी जारी रखूंगा
शुरुआत में फॉरेन बॉडी निकाले तो बस ऐसे ही अपने पास रखे। जब संख्या बढ़ी तो संग्रह बढ़ाने का मन बन गया। अब आदत हो गई है। इन्हें देखता हूं तो कई पुराने किस्से और चेहरे याद आ जाते हैं।
-डॉ. पीएन अग्रवाल, श्वांस रोग विशेषज्ञ
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