राजधानी से सटे सर्मदा टोला के निचले इलाकों में मंगलवार को कलियासोत नदी का पानी भर गया था। इससे 50 परिवारों को शिफ्ट करने की नौबत बन गई थी। बुधवार सुबह पानी कम हुआ और फिर लोग घरों में लौट आए। हालांकि, यहां उनके सामने कई मुश्किलें खड़ी हो गईं। बारिश के कारण घरों में तीन फीट तक पानी भरा था। इस कारण गृहस्थी का सामान खराब हो गया। बुधवार को दिनभर लोग सामान को समेटने में लगे रहे। जब दैनिक भास्कर की टीम सर्मदा टोला पहुंची, तो हालात बुरे नजर आए। लोगों के चेहरों पर मायूसी छाई हुई थी, तो गृहस्थी बर्बाद होने का मन में दर्द भी था।
सर्मदा टोला के निचले इलाके में रहने वाले मुन्नालाल कड़वे ने बताया कि 15 अगस्त की शाम 6 बजे के बाद घरों और खेतों में पानी घुसना शुरू हो गया था। हालांकि, प्रशासन ने टोला के लोगों को पहले ही चेतावनी दे दी थी। सरकारी स्कूल में लोगों को ठहराने की व्यवस्था कर दी थी। इसके बाद लोग घरों का जरूरी सामान बांधकर स्कूल में शरण लेने के लिए आ गए थे। बुधवार सुबह तक घरों में पानी भरा रहा। इस दौरान लोग अपने जरूरी सामान और जानवरों के साथ स्कूल में ही रुके रहे। बारिश बंद होने का इंतजार करते रहे। जब पानी कम हुआ, तो घरों में लौट आए। हालांकि, तब तक बारिश काफी नुकसान कर गई।
अलमारी में भरा सामान, बिस्तर तक खराब हो गए
उफनती कलियासोत नदी का पानी घरों के भीतर तीन फीट तक भर गया था। पानी उतरने के बाद दीवारों पर पानी के निशान रह गए, जो घरों में पानी आने की पुष्टि कर रहे थे। लोगों ने सामान को घरों में बनी ऊंची अलमारियों पर रखकर उसे सुरक्षित रखने की कोशिश की। हालांकि अलमारियों में रखा सामान, बेड और बिस्तर खराब हो गए। शाम तक लोग बिस्तर सुखाने में लगे रहे।
50 से 70 घर हुए प्रभावित
सर्मदा टोला में ही रहने वाले मुन्नालाल कड़वे ने बताया कि बस्ती में नदी का पानी आने से करीब 50 से 70 घर प्रभावित हुए हैं। करीब 250-300 लोगों को घरों में पानी घुसने की वजह से परेशानी झेलनी पड़ी। इनमें से 50 परिवार के करीब 150 लोगों ने सरकारी स्कूल में शरण लेकर जान बचाई। भोपाल नगर निगम ने स्कूल में लोगों के रुकने और खाने-पीने की व्यवस्था की।
सर्मदा टोला में रहते हैं करीब 1380 लोग
बता दें कि सर्मदा टोला में करीब 310 घर हैं। जिनमें लगभग 1380 लोग रहते हैं। सर्मदा टोला एक कच्ची बस्ती है। यहां पर लोगों को जमीन के पट्टे मिले हुए हैं, लेकिन उन्हें घरों पर पक्की छत बनाने की अनुमति नहीं मिली है। ऐसे में लोग घरों पर टीन या कच्ची छत डालकर रह रहे हैं।
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