भोपाल में स्वामी पुरुषोत्तमानंद महाराज ने कथित तौर पर 72 घंटे के लिए भू समाधि ले ली। साउथ टीटी नगर स्थित मां भद्रकाली विजयासन दरबार में महाराज शुक्रवार सुबह 10 बजे 5 बाय 6 के 7 फीट गहरे गड्ढे में साधना के लिए बैठे। वे आज से तीसरे दिन 3 अक्टूबर को सुबह 10 बजे गड्ढे से बाहर आएंगे। महाराज के गड्ढे में बैठते ही बाहर मौजूद लोगों ने गड्ढे के ऊपर लकड़ी के पटिये रख दिए, इसके बाद इस पर मिट्टी की परत चढ़ा दी गई। इस दौरान पुलिस और प्रशासन के अधिकारी भी मौजूद थे।
महाराज के समाधि लेने की भनक लगने पर पुलिस उनके निवास स्थल भी पहुंची। पुलिस ने समाधि नहीं लेने के लिए उनसे आग्रह किया। महाराज इसे अपना संकल्प बताते हुए नहीं माने। महाराज का कहना था कि उन्होंने समाधि लेने के लिए प्रशासन से लिखित में अनुमति मांगी थी, लेकिन नहीं मिली। उधर, प्रशासन का कहना है कि अनुमति भागवत कथा और दूसरे धार्मिक आयोजन के लिए मांगी गई थी।
महाराज की पत्नी मुख्य सेविका चारू सोनी ने कहा कि बाबाजी ने लोक कल्याण की कामना के लिए समाधि ली है। समाधि लेने से पहले उन्होंने आंकड़ा गणेश की पूजा की। बाबा ने अपने शिष्यों से कहा कि भू समाधि के लिए उन्हें मां भगवती ने ही प्रेरित किया है। महाराज के शिष्यों का दावा है कि महाराज इससे पहले महेश्वर में 24 घंटे की जल समाधि ले चुके हैं। अग्नि स्नान भी कर चुके हैं।
10 दिन से खाना, 3 दिन से नहीं पीया पानी
महाराज के शिष्य रूपनारायण शास्त्री ने बताया कि समाधि में बैठने के लिए बाबा ने 10 दिन खाना त्यागे रखा। 3 दिन से पानी भी नहीं पीया। खाना-पानी छोड़ने की वजह ये है कि इससे शरीर स्वस्थ रहता है। समाधि के दौरान कोई परेशानी नहीं होती।
पांच भाइयों में महाराज सबसे छोटे
स्वामी पुरुषोत्तमानंद महाराज की उम्र 60 साल है। उनके दो बेटे मित्रेश कुमार सोनी और हृदेश कुमार सोनी हैं। वे बेटों, पत्नी चारू सोनी के साथ ही आश्रम में रहते हैं। पत्नी और मुख्य सेविका चारू सोनी बताती हैं कि 17 साल की उम्र में महाराज से उनकी शादी हुई। बचपन से पति का साधना, पूजा पाठ की तरफ ध्यान था। उनके पिता देवचंद्र सोनी भी संत रहे हैं। पांच भाइयों में महाराज सबसे छोटे हैं।
चारू बताती हैं कि साधना-पूजा पाठ के बीच कभी भी उन्होंने परिवार को नहीं आने दिया। शादी के शुरुआती दिनों में थोड़ी दिक्कत हुई, लेकिन जब मुझे लगा कि पति जनकल्याण के लिए तपस्या कर रहे हैं, तो हमने भी उनका साथ दिया। उन्हें कभी भी डिस्टर्ब नहीं किया। खुशी है कि वे अपनी तपस्या पूरी करने में इस बार भी सफल होंगे। उनके बेटे मित्रेश ने कहा कि स्वामीजी की भू समाधि जनकल्याण के लिए है।
बोले-भक्तों के कल्याण के लिए सिद्धि प्राप्त कर लौटूंगा
रूपनारायण शास्त्री ने बताया कि सुबह विधि-विधान से स्वामीजी समाधि स्थल पर गए। वे समाधि में जाने से पहले बोले- मैं भक्तों और जनकल्याण के लिए समाधि ले रहा हूं। सिद्धि प्राप्तकर ही वापस लौटूंगा। इसके बाद मंत्रोच्चार करते हुए समाधि में बैठ गए। इसके बाद समाधि वाले गड्ढे को ढंक दिया गया।
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