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प्रदेश को तेंदुआ स्टेट का दर्जा मिलने के बाद भोपाल के जंगल से भी खुशखबरी आई है। यहां पर बाघ के बाद पहली बार तेंदुआ मां अपने शावक के साथ दिखी है। यहां पर अभी तक तेंदुए अपनी उपस्थिति तो दर्ज कराते रहे हैं, लेकिन कभी भी ई-सर्विलांस और ट्रैप कैमरों में कैप्चर नहीं हुए थे।
भोपाल से 10 किमी दूर गोल बीट में एक मादा तेंदुआ अपने शावक के साथ ट्रैप कैमरे में कैप्चर हुई है। कलियासोत और केरवा के आसपास अभी तक बाघों व शावकों का दबदबा रहा है। अब यहां पर तेंदुओं ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करना शुरू कर दी है।
वन अधिकारियों का कहना है कि तेंदुए को कैमरे में कैप्चर करना बहुत मुश्किल है। वह भी ऐसे जंगल में जहां पर वन कर्मचारियों तक का जाना प्रतिबंधित है। वन अधिकारियों का कहना है कि पहली बार मादा तेंदुआ और एक शावक ट्रैप कैमरे में कैप्चर हुआ है। यहां पर अत्याधुनिक ई-सर्विलांस लगा है। वहीं रातापानी में तकरीबन 250 कैमरे लगाए गए हैं, लेकिन अभी तक तेंदुआ व शावक एक साथ कैमरे में कैद नहीं हुए हैं।
शिकार के चक्कर में कई बार शहर के अंदर तक आ जाते हैं तेंदुए
अधिकारियों का कहना है कि भोपाल और उसके आसपास तकरीबन 70 तेंदुओं का मूवमेंट है। ये तेंदुए शिकार के चक्कर में कई बार शहर के अंदर तक आ जाते हैं। 2019 में तो स्वर्ण जयंती पार्क, त्रिलंगा तक तेंदुआ पहुंच गया था। ऐसे ही बोट क्लब, मानव संग्रहालय तक भी तेंदुआ पहुंच चुका है।
शावक पार नहीं कर पाए फेंसिंग बाघिन की दहाड़ से थर्राया इलाका
हाल ही में कलियासोत डैम के पास घूम रही बाघिन अब बड़े हो रहे शावकों को चेनलिंक फेंसिंग पार करना सिखा रही है। वन अधिकारियों ने बताया कि फेंसिंग को बाघिन ने तो पार कर लिया था, लेकिन बच्चे नहीं कर पाए। इसके बाद तो बाघिन ने दहाड़ना शुरू किया तो पूरा इलाका थर्रा गया था।
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