मध्य प्रदेश से सटे राज्यों में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के मरीज मिलने से प्रदेश में भी खतरा बढ़ गया है। प्रदेश सरकार ने संक्रमण को रोकने के लिए 3T (ट्रैक, टेस्ट और ट्रीट) की रणनीति बनाई है, लेकिन यह व्यवस्था जनता का सहयोग नहीं मिलने पर गड़बड़ा रही है। जांच नहीं कराना पड़े, इसे लेकर लोग बहाना कर रहे हैं।
भोपाल के रानी कमलापति रेलवे स्टेशन (RKMP) के प्लेटफॉर्म नंबर-1 और 5 दोनों तरफ कोरोना जांच के लिए टीम तैनात हैं। यहां तीन शिफ्ट में टीम दूसरे राज्यों से आने वाले यात्रियों की जांच करती है। इसके अलावा, ट्रेनों के नहीं आने पर रेलवे स्टेशन में प्रवेश करने वाले यात्रियों की भी जांच की जाती है। यहां पहले तो यात्री जांच कराने आते नहीं हैं। टीम के सदस्यों को उनको जांच के लिए बुलाने पर उनके बहाने पहले से ही तैयार रहते हैं।
कोई कहता है कि उसे दोनों डोज लग चुके है। अब टेस्ट क्यों कराएं? कोई कहता है कि उनके पास समय नहीं है। हद तो यह है कि कई बार कुछ लोग लड़ाई करने तक पर उतारू हो जाते हैं। इस बीच, दूसरे यात्री बिना जांच कराए ही निकल जाते हैं।
यह है परेशानी की वजह
महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान में मिले मरीजों में ओमिक्रॉन वैरिएंट की पुष्टि हुई है। यहां से लोगों को भोपाल समेत दूसरे शहरों में आना-जाना और यहां के लोगों का वहां की यात्रा करना जारी है। ऐसे में नए वैरिएंट से संक्रमित मरीज के संपर्क में आने के बाद यात्रा करने से संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
63 टीमें तैनात
स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना की जांच के लिए 63 टीमें तैनात की हैं। इन्में 18 मोबाइल वैन हैं। ये टीमें शहर के अलग-अलग इलाकों के अलावा भोपाल, रानी कमलापति, बैरागढ़ रेलवे स्टेशन समेत बस स्टैंड पर आने-जाने वाले यात्रियों की कोरोना जांच करती हैं।
71 एक्टिव केस
भोपाल में शनिवार को 4555 कोरोना सैंपल की जांच की रिपोर्ट आई। इनमें 8 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। अब तक भोपाल में 1 लाख 23 हजार 740 लोग पॉजिटिव हो चुके हैं। इसमें से 1 लाख 22 हजार 666 ठीक हो चुके। कोरोना के कारण 1003 लोगों की मौत हो चुकी है। राजधानी में 71 एक्टिव केस हैं। इसमें 29 अस्पताल में भर्ती और 42 होम आइसोलेशन में है।
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