कोरोना का टीका लगाने को लेकर शनिवार को भोपाल में ड्राई रन (रिहर्सल) शुरू हो गया। भोपाल में यह तीन केन्द्रों पर किया जा रहा है। इसमें सिविल डिस्पेंसरी गोविंदपुरा, कोलार में जेके अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) गांधी नगर में 25-25 हेल्थ वर्कर को बुलाया गया है। इसमें व्यक्ति को इंजेक्शन नहीं लगाया गया, लेकिन इसके अलावा पूरी प्रक्रिया अपनाई गई। इसका मकसद था कि टीकाकरण के दौरान बिना गलती के समय पर वैक्सीन लगाई जा सके।
तीनों केंद्रों पर 25-25 हेल्थ वर्कर टीकाकरण के लिए पहुंचे। उन्होंने टीकाकरण की तैयारियों जैसे, वैक्सीन कैरियर से टीके को केंद्र तक पहुंचाने में प्रोटोकॉल का पालन किया गया। टीके के लिए सुबह 9 से 11 बजे के बीच बुलाया गया। इसके बाद उन्हें छद्म टीका लगाया गया। रिहर्सल पूरी तरह से असली टीका लगाने जैसी ही रही। एक दिन पहले ड्राई रन और वास्तविक वैक्सीनेशन की तैयारियों को लेकर स्वास्थ्य आयुक्त संजय गोयल ने जेपी अस्पताल में अधिकारियों के साथ बैठक की थी।
गोविंदपुरा में सांकेतिक टीका लगवाने वाली सभी महिलाएं
प्रक्रिया के दौरान जिन्हें टीका लगने था, उन्हें शुक्रवार रात मैसेज किया गया था। इसके बाद शनिवार सुबह 9 बजे केंद्र पर टीका लगवाने पहुंचे। भोपाल में खास बात यह है कि जिन्हें टीका लगाया गया है, वह सभी महिलाएं हैं। कुछ महिलाएं अपने साथ बच्चों को लेकर भी पहुंची थीं। यहां सबसे पहले टीका लगवाने वालों के पहचान पत्र की जांच की गई।
सूची में नाम देखकर मोबाइल में मैसेज देखा गया। इसके बाद वैक्सीनेशन रूम में ले जाकर पहले टीके को लेकर जानकारी दी गई और फिर टीका लगाया गया। टीका लगने के बाद क्या समस्याएं हो सकती हैं, इससे भी अवगत कराया गया। करीब दो मिनट की प्रक्रिया में वैक्सीनेशन कर आधे घंटे तक टीका लगवाने वालों को रोका गया। इस दौरान उन पर नजर रखी गई कि कोई समस्या तो नहीं हो रही। यहां चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग और कलेक्टर अविनाश लवानिया भी पहुंचे।
ड्राई रन मतलब प्रक्रिया परखना
वैक्सीन के ड्राई रन पूरे देश में किया जा रहा है। उद्देश्य टीकाकरण के पहले की तैयारियों को परखना है, ताकि वैक्सीन को सुरक्षित तरीके से सेंटर तक पहुंचाने से लेकर उसे लगाया जा सके। ड्राई ट्रायल में किसी को भी टीका नहीं लगाया गया। सांकेतिक रूप से लाभार्थी को समझाते हुए सिर्फ इंजेक्शन उनके कंधे के पास तक ले जाया गया। इस दौरान इंजेक्शन लगाने वाले अधिकारी ने लाभार्थी को टीका के संबंध में पूरी जानकारी देने के साथ ही उसे टीका लगने के बाद आने वाली समस्याओं के बारे में बताया। इसका उद्देश्य इसमें लगने वाले समय को देखना रहा।
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