मध्य प्रदेश में कांग्रेस को अब राहुल गांधी पर विश्वास नहीं रहा? यह सवाल इसलिए क्योंकि पार्टी ने 28 विधानसभा सीट पर उपचुनाव में जो मिनी वचन पत्र जारी किया है, उसमें राहुल गांधी गायब हैं। वचनपत्र के कवर पर इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी के साथ पीसीसी चीफ कमलनाथ की फोटो है, लेकिन राहुल गांधी नहीं दिख रहे हैं।
साल 2018 के विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस पार्टी ने जो वचन पत्र जारी किया था, उसमें फ्रंट पेज पर फ्रंट फोटो राहुल गांधी की थी, लेकिन अब उपचुनाव में कांग्रेस ने मिनी वचन पत्र जारी किया है। इसमें कमलनाथ सरकार की 15 महीने की उपलब्धियों का सारांश जनता के सामने पेश किया गया है। उसमें इंदिरा गांधी, सोनिया गांधी के साथ सिर्फ पीसीसी चीफ कमलनाथ की फोटो है। इसमें 28 सीटों के लिए अलग-अलग वचन पत्र जारी किए। कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में 'आपके सपने होंगे साकार, फिर बनेगी कमलनाथ सरकार' स्लोगन दिया है। पिछली सरकार की उपलब्धियों का क्रेडिट भी पूरी तरह से कमलनाथ लेते हुए नजर आ रहे हैं।
भाजपा का तंज- कमलनाथ राहुल गांधी को अपना नेता नहीं मानते हैं
भाजपा ने कांग्रेस के मिनी वचन पत्र से राहुल गांधी के आउट होने पर तंज कसा है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता हितेश वाजपेयी ने कहा कि कमलनाथ राहुल गांधी को अपना नेता नहीं मानते हैं, इसलिए वचनपत्र में राहुल गांधी का चेहरा नहीं रखा है और न ही उन्हें मध्य प्रदेश बुलाते हैं। वाजपेयी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी जानती है कि राहुल गांधी और दिग्विजय सिंह के फ्रंट पर आने से वोट कट जाते हैं। यही कारण है कि पार्टी ने उपचुनाव में दोनों नेताओं को बाहर कर दिया है।
इधर, कांग्रेस के मीडिया कोऑर्डिनेटर नरेंद्र सलूजा का कहना है कि मुख्य वचनपत्र तैयार किया जा रहा है। वचनपत्र बनने गया है, उसमें राहुल गांधी समेत सभी वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं की तस्वीरें हैं। इसे नवरात्रि के पहले दिन लांच किया जाएगा। भाजपा के पास मुद्दे नहीं हैं, इसलिए वह हमारे वचनपत्र पर बात कर रही है।
रणनीति: नाथ चुनाव प्रबंधन देख रहे, तो दिग्विजय का फोकस सिंधिया पर
कांग्रेस एकमात्र चेहरे कमलनाथ के साथ और नेतृत्व में चुनाव में आगे बढ़ गई है। नाथ ने इस बार नए नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी है। दिग्विजय को पर्दे के पीछे रखा गया है। पार्टी की अंदरूनी रणनीति है कि कमलनाथ चुनाव में शिवराज के साथ सिंधिया को निशाने पर लेंगे, लेकिन दिग्विजय का पूरा फोकस सिंधिया और उनकी टीम पर रहेगा। दिग्विजय ही पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच समन्वय बनाएंगे। नाराज नेताओं से बात करेंगे।
कमलनाथ प्रत्याशियों के समर्थन में जनसभाएं लेंगे। दिग्विजय समूह बैठक के साथ घर-घर जाएंगे। खास सीटों का प्रबंधन कमलनाथ के खास सिपहसालार ही देखेंगे। उन्होंने कोर टीम भी बनाई है, जो प्रतिदिन के कैंपेन और फीडबैक के साथ अन्य मुद्दों पर फोकस्ड काम कर रही है। यह इंदौर और ग्वालियर से काम कर रही है।
चुनावी सभाओं में लोगों की संख्या को देखते हुए कांग्रेस में यह माना जा रहा है कि कार्यकर्ताओं ने बतौर नेता कमलनाथ को स्वीकार कर लिया है। 28 सीटों पर कमलनाथ का यह फाॅर्मूला कितना असरदार होता है। राहुल गांधी और दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं के चुनाव से दूर रखने का फायदा कितना पार्टी को मिलता है, ये तो आने वाला वक्त बताएगा।
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