नेशनल हेराल्ड केस की आंच मध्यप्रदेश तक आ चुकी है। शिवराज सरकार के नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने भोपाल में नेशनल हेराल्ड को दी गई जमीन के दुरुपयोग की जांच के आदेश दिए हैं। भोपाल में 13 फरवरी 1983 में नेशनल हेराल्ड ग्रुप के हिंदी अखबार दैनिक नवजीवन की शुरुआत हुई थी। नवजीवन के कर्मचारी रहे मोहम्मद सईद बताते हैं कि लखनऊ में जिस मशीन पर महात्मा गांधी ने नेशनल हेराल्ड अखबार की छपाई शुरू की थी, उसी मशीन को भोपाल भेजा गया था। सईद ने अखबार की छपाई शुरू होने से बंद होने तक के सफर पर बात की, जानिए पूरी कहानी, उन्हीं की जुबानी...
भोपाल में 1983 में दैनिक नवजीवन अखबार की लॉन्चिंग हुई। मैंने अखबार के प्रोडक्शन और सर्कुलेशन में जॉइन किया था। 1991 तक हमें सैलरी मिलती रही। राजीव गांधी की मौत के बाद सैलरी मिलना बंद हो गई। जब अखबार की आर्थिक हालत बिगड़ने लगी तो हमें उस वक्त के CM सुंदरलाल पटवा मदद करते थे। उस समय करीब 60 हजार रुपए के ऐड से जैसे-तैसे अखबार चलाते रहे। 10 नवंबर, 1992 को दिल्ली से फरमान आया और अखबार बंद कर दिया गया।
हमने लेबर कोर्ट में केस लगाया। कोर्ट में राजीनामा हुआ और हमारी रुकी हुई 50% सैलरी देने की सहमति दी। 6 महीने में बाकी सैलरी के साथ ग्रेज्युटी, एरियर और PF देने की बात हुई थी, लेकिन, आज तक ये वादा पूरा नहीं हुआ। 89 कर्मचारी प्रभावित थे। कई साथियों की मौत हो चुकी है। अखबार बंद होने के बाद गांधीजी की मशीन भी गायब कर दी गई। पुलिस और नेताओं के चक्कर लगाए, लेकिन मशीन नहीं मिल पाई।
डेवलपमेंट के नाम पर गायब हुई मशीन नहीं मिली
भोपाल में जो जमीन AJL को मिली थी, अखबार बंद होने के बाद कुछ लोगों को उसकी पावर ऑफ अटॉर्नी मिल गई। उन्होंने जमीन के खाली हिस्से में बिल्डिंग बनाने का प्लान बनाया। जमीन की खुदाई के दौरान हमारी मशीन गायब करा दी। जिस समय बिल्डिंग बनाने के लिए खुदाई का काम चल रहा था, उस समय मेरी बेटी अस्पताल में भर्ती थी। मैंने जब देखा मशीन नहीं है तो थाने गया, लेकिन, पुलिस ने FIR दर्ज नहीं की। मैं दिल्ली जाकर कांग्रेस नेताओं से मिला तो बमुश्किल मामला दर्ज हुआ, लेकिन, गांधी जी की मशीन देने के बजाय कबाड़ से लाकर एक मशीन बरामद करा दी गई।
89 कर्मचारियों का 1.70 करोड़ बकाया
नेशनल हेराल्ड ने भोपाल के 89 कर्मचारियों की सैलरी ग्रेज्युटी-PF नहीं दिया। हमारा 1 करोड़ 70 लाख का बकाया है। इसका केस लेबर कोर्ट में चल रहा है। 1993 से 2003 तक कांग्रेस की सरकार थी, लेकिन किसी कांग्रेसी ने हमारी तरफ ध्यान नहीं दिया। कर्मचारियों को धोखे में रखकर जमीन बेची गई। आधे कर्मचारियों की मौत हो गई। जो बचे हैं उनमें से कोई मूंगफली बेच रहा है, तो किसी से अब खड़े होते नहीं बनता।
जानिए, नेशनल हेराल्ड केस क्या है? नेशनल हेराल्ड का मामला सबसे पहले भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने 2012 में उठाया था। अगस्त 2014 में ED ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया। केस में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस के ही मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीस, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे को आरोपी बनाया गया था।
स्लाइड्स में समझिए, इस पूरे केस को...
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