प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने जन्मदिन यानी 17 सितंबर को मध्य प्रदेश के दौरे पर रहेंगे। इसी दिन कूनो नेशनल पार्क में 8 अफ्रीकन चीतों की शिफ्टिंग होगी। PM इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। साथ ही महिला स्व-सहायता समूह के सम्मेलन को भी संबोधित करेंगे। इसकी जानकारी CM शिवराज सिंह चौहान ने कैबिनेट की बैठक से पहले मंत्रिपरिषद के सदस्यों को दी।
PM के दौरे के लिए भोपाल और श्योपुर में तैयारियां तेज हो गई हैं। श्योपुर में 7 हेलीपैड बनाए जा रहे हैं। इसमें 3 नेशनल पार्क के भीतर बन रहे हैं। हेलीकॉप्टर की मदद से चीतों को शिफ्ट किया जाएगा, जबकि पार्क के बाहर भी VVIP के आगमन के लिए 4 हेलीपैड तैयार किए जा रहे हैं।
फर्स्ट फेस में 5 चीते आएंगे भारत
जानकारी के अनुसार, चीते नामीबिया से पहले दिल्ली लाए जाएंगे। वहां से कार्गो प्लेन में उन्हें जयपुर लाया जाएगा। यहां से हेलीकॉप्टर से कूनो नेशनल पार्क शिफ्ट किया जाएगा। सरकार के सूत्रों ने बताया कि नामीबिया से 8 चीतें भारत लाने के लिए MoU किया गया था, लेकिन तीन चीते भारत सरकार ने रिजेक्ट कर दिए हैं, इसलिए पहले चरण में पांच चीते कूनो नेशनल पार्क में शिफ्ट किए जा रहे हैं।
MP के कूनो में 8 चीते लाने की तैयारी पूरी
मध्यप्रदेश के श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से 8 चीते लाने की तैयारी है। इनके पहले 15 अगस्त तक कूनो लाने की तैयारी चल रही थी। हालांकि, तब इसकी तारीख की आधिकारिक रूप से घोषणा नहीं हुई थी। नामीबिया से 16 घंटे में ग्वालियर पहुंचेंगे चीते
जानिए, नामीबिया से लाने में कितना समय लगेगा?
सरकार के सूत्रों के मुताबिक, 15 सितंबर को चीतों को नामीबिया से जोहान्सबर्ग हवाई मार्ग से लाने की तैयारी है। इसमें करीब 2 घंटे 10 मिनट का समय लगेगा। नामीबिया से आने के बाद चीतों को 30 दिन क्वारैंटाइन में रखा जाएगा। इसके बाद इन्हें धीरे-धीरे बड़े बाड़ों में शिफ्ट किया जाएगा। बाद में खुले में भी छोड़ा जाएगा। उनकी छह से आठ महीने तक कड़ी निगरानी रखी जाएगी।
वन विभाग के सूत्रों के मुताबिक, चीते को फिर से देश में लाने के लिए लंबे समय से प्रोजेक्ट चल रहा है। 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी को इसकी मंजूरी दी थी। प्रयोग के लिए अफ्रीकन चीते को भारत के जंगलों में लाया जा रहा है। पिछले कुछ महीनों से प्रोजेक्ट ने फिर रफ्तार पकड़ी है।
तत्कालीन पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने की थी पहल
चीतों को भारत लाने की पहल 2010 में तत्कालीन पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने की थी। एक दशक के बाद मामले में बड़ा मोड़ आया। पहली बार 28 जनवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने चीतों को भारत लाने की अनुमति दी थी। साथ ही, काेर्ट ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को चीतों के लिए उपयुक्त जगह खोजने का आदेश दिया था। कई राष्ट्रीय उद्यानों पर विचार के बाद एक्सपर्ट्स ने पृथ्वी पर तेज जानवर की देश में वापसी के लिए मध्य प्रदेश के श्योपुर में कूनो पालपुर राष्ट्रीय उद्यान को चुना।
देश में 70 साल बाद आएंगे चीते
भारत में चीते विलुप्त हो चुके हैं। अफ्रीका से चीतों को वापस देश में बसाने के लिए सबसे उपयुक्त कूनो पालपुर नेशनल पार्क को चुना गया। 70 साल बाद चीतों की फिर से वापसी होगी। भारत में आखिरी बार 1950 में चीता छत्तीसगढ़ राज्य में देखा गया था। इसके बाद ये देश में कहीं नजर नहीं आए। सरकार ने चीता दिखाने वाले को 5 लाख रु. का इनाम भी रखा था। लेकिन चीता कभी किसी को नजर ही नहीं आया।
जो चीते भारत आ रहे हैं, उनकी तस्वीरों के साथ जानिए खासियत...
चीता पूरी ताकत से दौड़ता है तो 7 मीटर लंबी छलांग लगाता है। चीता अपनी यह रफ्तार सिर्फ 3 सेंकेंड में पकड़ लेता है। चीता दहाड़ नहीं सकता। वह बिल्लियों की तरह गुर्राता है। यहां क्लिक करके जानिए चीते की पूरी खासियत...
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