केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मंगलवार को भोपाल दौरे पर रहीं। वे यहां '21वीं सदी के वैश्विक परिदृश्य में भारत का आर्थिक सामर्थ्य' विषय पर रविंद्र भवन में आयोजित प्रोग्राम में शामिल होने आई थीं। यहां संबोधन के दौरान उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा- कांग्रेस के समय में जो लोग मर गए या जिनका जन्म नहीं हुआ उनको भी पैसा मिलता था।
कार्यक्रम में संबोधन के दौरान सीतारमण ने शिवराज सिंह चौहान को यशस्वी और वेरी पॉपुलर चीफ मिनिस्टर कहकर संबोधित किया। निर्मला ने कहा- जब भी मुझे हिन्दी भाषी राज्यों में बोलने का आमंत्रण मिलता है मैं थोड़ा संकोच करती हूं। मेरी हिन्दी और व्याकरण थोड़ी कमजोर है। मैं गंभीरता से कह रही हूं कि एक राष्ट्रऋषि जैसे दत्तोपंत ठेंगड़ी जी की स्मृति में आयोजित व्याख्यान में मुझे बुलाया गया उसके लिए मैं धन्यवाद देती हूं। ब्रिटिश जमाने में एक संगठन के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती थी। संगठन खड़ा करना और उसे आइडियोलॉजिकल शक्ति के साथ खड़ा रखना सामान्य बात नहीं हैं। उस समय जो सरकार थी उसकी आइडियोलॉजी अलग थी। इसके बाद भी दत्तोपंत जी ने अपनी विचारधारा के मुताबिक संगठन बनाया।
इसके पहले भोपाल पहुंचने के बाद सीतारमण एयरपोर्ट से सीधे सीएम हाउस पहुंचीं। यहां सीएम शिवराज सिंह चौहान ने उनका स्वागत किया। करीब एक घंटे तक सीएम हाउस में रुकने के बाद वे मंत्रालय पहुंचीं और अफसरों के साथ बैठक की। मंत्रालय में सीएम शिवराज सिंह चौहान, वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा की मौजूदगी में वित्त विभाग के अफसरों ने उनके सामने मप्र की वित्तीय स्थिति को लेकर प्रेजेंटेशन दिया।
उन्होंने कहा- दत्तोपंत जी ने सत्ता के विरुद्ध खडे़ होकर अपनी विचारधारा के अनुसार संगठन की नींव रखी। आज हम देख रहे हैं उस समय उनका वैचारिक दृष्टिकोण मजबूत था। भारतीय मजदूर संघ जब बना तब कम्युनिस्ट कैम्प को ही लेबर का संगठन माना जाता था। उस समय कम्युनिस्ट लोग ही बात करते थे। मजदूरों की बात रखने वाला कोई दूसरा संगठन नहीं था। 1955 में दत्तोपंत जी ने भारतीय मजदूर संघ बनाया। 1985 में भारतीय मजदूर संघ को चीन से आमंत्रण मिला। उन्होंने पहचाना कि शायद दुनियां में मजदूरों का सबसे बड़ा संगठन भारतीय मजदूर संघ है। चीन और रूस से पैसे लेकर कम्युनिस्ट संगठन अपने लोगों को सपोर्ट करते थे। 30 साल में कोई विदेशी सहयोग न लेते हुए भारतीय मजदूर संघ ने अपना वर्चस्व बना लिया।
सीतारमण ने कहा जब मैंने पहली बार उनकाे सुना मैं चकित रह गई। उन नारों में सिर्फ एक कॉमा बदला वो नारा था ट्रेड यूनियन का नारा था- वर्कर्स ऑफ द वर्ल्ड यूनाइट। यानि मजदूरों एकत्रित हो जाओ। कार्ल्स मार्क्स के नारे को ट्रेड यूनियन ने अपनाया। हमारे दत्ताेपंत जी ने बोला-हमें सहयोग और समन्वय के साथ एक जुट होना चाहिए। विदेशी सहयोग और नारों के आधार पर हम आगे बढ़ने के बजाय संगठित हो जाओ। उस समय सिर्फ अकेले भारतीय मजदूर संघ ही नहीं भारतीय अधिवक्ता परिषद , ग्राहक पंचायत भी दत्तोपंत जी की देन है।
सीतारमण ने कहा- जिन्होंने हमारे ऊपर राज किया, उसे छोड़ दाे। हमारी आजादी के 100 बाद यानी 2047 में डेवलप नेशन होने के लिए मानसिकता होनी चाहिए। ये काम पीएम नरेन्द्र मोदी ने पंच प्रण में किया है। हमारी विरासत को याद करो ताकि हम आत्मविश्वास के साथ आत्मनिर्भर बन सकें। पिछले सात-आठ साल में भारत की ब्रांड इमेज बनाने वाले ऋषि मिलते हैं। हर देश में 21 जून को योगा दिवस उत्साह से मनाते हैं। 2023 में जी-20 के आयोजन की मेजबानी भारत कर रहा है। सभी देशों के राजदूतों की ट्रिप अंडमान तक कराई। सब एक खुले स्थान पर एकत्रित हुए और राजदूतों ने योग किया। योग को पिछले सात-आठ साल में दुनिया भर में मान्यता मिली। ये नहीं कह रही हूं कि पहले लोग योग नहीं करते थे लेकिन योग को उत्साह पूर्वक स्थान इन सात-आठ सालों में मिला है।
दत्तोपंत जी मुख्यत: चार बातें कहा करते थे...
पहला - फ्री कॉम्प्टिशन। इससे बाजार में आर्थिक सुधार होगा। दूसरा - हर कदम बराबरी के साथ। राज्य के लोगों को बराबरी का मौका दिया जाए। बिना भेदभाव के सभी पात्रों को लाभ मिले। तीसरा - ग्लोबल डेवलपमेंट। प्रकृति का दोहन करो, लेकिन जरूरत से ज्यादा न करो। चौथा - स्वरोजगार की दिशा में आगे बढ़ना है न कि वेतनधारी नौकरी की तरफ।
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा- हमारा देश अद्भुत है। अगर थोडे़ पीछे चले जाएं। दो सौ साल के गुलामी के कालखंड को छोड़ दें तो भारत का स्थान सभ्यता संस्कृति और आर्थिक रूप से सबसे ऊपर था। मुगल काल में आर्थिक सांस्कृतिक दमन के बाद जीडीपी में 25 फीसदी योगदान भारत का होता था। ब्रिटिश काल में हमारा योगदान घटकर 4 फीसदी रह गया। और 1970 में ये गिरकर 3 फीसदी रह गया। लेकिन आज पीएम नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अर्थव्यवस्था में हमारी भागीदारी 9.5% पहुंच गई है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा कि मप्र ने तय किया है 5सौ ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाकर देंगे। 2014 के पहले भारत घोटालों का भारत था। अब कभी मत कहियेगा कि हमारी हिन्दी कमजोर है
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