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रीवा के रेपिस्ट महंत का मददगार भोपाल से दबोचा:ब्राम्हण समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने फॉर्म हाउस पर ठहराया, महंत की गिरफ्तारी के बाद भोपाल आया

भोपालएक वर्ष पहले
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रीवा के राजनिवास (सर्किट हाउस) में लड़की से रेप के आरोपी महंत सीताराम की मदद करने वाले को भोपाल से गिरफ्तार किया गया है। वह रीवा का रहने वाला संजय त्रिपाठी अखिल भारतीय ब्राम्हण समाज का राष्ट्रीय अध्यक्ष है। पुलिस ने शनिवार को उसे रीवा की कोर्ट में पेश किया। यहां से उसे जेल भेज दिया गया। कोर्ट परिसर में वह भारतीय जनता पार्टी जिंदाबाद के नारे लगाने लगा..। यही नहीं, वह हंसता भी रहा। रेप की घटना के बाद त्रिपाठी ने रेप के आरोपी महंत को रीवा स्थित अपने फार्म हाउस पर ठहराया था। पुलिस जब दबिश देने पहुंची, तब आरोपी महंत को वह अपनी लग्जरी कार से बायपास पर छोड़ आया। इसके बाद भी वह महंत की मदद करता रहा।

एएसपी शिवकुमार वर्मा ने बताया कि संजय त्रिपाठी के खिलाफ हत्या, हत्या का प्रयास समेत 29 संगीन केस दर्ज हैं। पुलिस को उसने बताया कि उसे हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा हो चुकी है। वर्तमान में वह जमानत पर है। हालांकि जमानत के वह दस्तावेज पुलिस के समक्ष नहीं पेश कर पाया।

ऐसे में पुलिस को आशंका है कि त्रिपाठी पैरोल लेकर बाहर आया होगा। इसके बाद वह जेल में दाखिल नहीं हुआ। पुलिस ने संजय के साथ उसके भांजे मयंक को भी गिरफ्तार किया है। संजय त्रिपाठी रीवा में वर्तमान में रेलवे स्टेशन के पास एक काॅम्प्लेक्स का निर्माण कर रहा है। रीवा प्रशासन शनिवार को उसका काम्प्लेक्स देखने पहुंची। बतादें, छात्रा के साथ दुष्कर्म करने वाले महंत सीताराम दास को सिंगरौली से गिरफ्तार किया गया था। महंत एक नाई की दुकान में बाल कटवाने पहुंचा था।

यह था मामला
ASP शिवकुमार वर्मा के अनुसार बीते सोमवार की शाम अकौरी (थाना नईगढ़ी) निवासी हिस्ट्रीशीटर विनोद पांडेय के बुलाने पर किशोरी सतना से रीवा आई थी। किशोरी को झांसा देकर महंत से मिलने सर्किट हाउस लाया गया। उसे पहले सैनिक स्कूल के पास बुलाया गया। फिर वहां से गाड़ी के जरिए सर्किट हाउस के अंदर लाया गया। नाबालिग को महंत सीताराम उर्फ समर्थ त्रिपाठी से विनोद पांडेय ने मिलवाया।

पीड़िता ने बताया था कि वहां महंत, विनोद और एक अन्य आरोपी शराब पार्टी कर रहे थे। उसे भी शराब पिलाना चाही। उसके मना करने पर विनोद और दूसरा शख्स बाहर से रूम बंद कर चले गए। महंत ने गलत काम करने के बाद अपने चेलों से उसे घर छोड़ आने को कहा। हिस्ट्रीशीटर ने उसे धमकाया कि किसी को कुछ नहीं बताना। सर्किट हाउस के बाहर उसकी जान-पहचान वाले मिल गए। उन्होंने उसे आरोपियों से छुड़ाया। इसके बाद वह सतना चली गई। 29 मार्च की शाम पिता के साथ रीवा के सिविल थाने पहुंचकर केस दर्ज कराया।

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