शहर में 300 से ज्यादा प्राइवेट कॉलोनियां ऐसी हैं, जिनमें क्लोज्ड कैंपस के नाम पर बाउंड्रीवॉल बनाकर गेट लगा दिए गए हैं, लेकिन इनमें से एक भी क्लोज्ड कैंपस को टीएंडसीपी की अनुमति नहीं है। नतीजा यह कि नई-नई कॉलोनियां बनने पर रास्ता देने को लेकर लोगों में विवाद हो रहे हैं। दरअसल, न तो मास्टर प्लान की सड़कें बनीं और न जोनल प्लान बने, जिससे 2 कॉलोनियों या दो इलाकों को जोड़ने वाली को-ऑर्डिनेशन रोड तय की जा सकें।
नगर निगम की बिल्डिंग परमिशन शाखा ने शुक्रवार को रोहित नगर के पास आकृति ईको सिटी में सड़क पर लगे गेट को तोड़ दिया। यहां कलियासोत नदी की ओर डेवलप हो रहीं दूसरी कॉलोनी के डेवलपर्स ने शिकायत की थी कि इस कॉलोनी के लोग उन्हें यहां से आने-जाने से रोकते हैं। नगर निगम ने अपनी जांच में पाया कि गेट को-ऑर्डिनेशन रोड पर लगा है, जबकि आकृति के रहवासियों का दावा था कि उन्हें तो प्लॉट बेचते समय क्लोज्ड कैंपस बताया गया था और यह सड़क भी कॉलोनीवासियों ने जनभागीदारी से बनाई है। इसी तरह कोलार में सर्वधर्म ए सेक्टर की को-ऑर्डिनेशन रोड पर पैलेस आर्चर्ड कॉलोनी का गेट लगा है। आसपास की कालोनियों के रहवासियों को घूम कर जाना पड़ता है। कई बार शिकायत के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
न मास्टर प्लान की सड़कें बनीं और न जोनल प्लान
1995 में बने मास्टर प्लान में 241 किमी की सड़कें मंजूर हुई थीं, लेकिन इनमें से सिर्फ 52 किमी ही बन पाईं। मास्टर प्लान सड़कों की चौड़ाई को छोड़कर कॉलोनियों की अनुमति दे दी गई, लेकिन दो-दो एकड़ की कॉलोनियों की अनुमति देते समय यह ध्यान नहीं रखा कि मास्टर प्लान की इन चौड़ी सड़कों पर बीच-बीच में चौराहे देना होंगे, जहां से संकरी सड़कें इनमें मिलेंगी। नतीजा- पिछले 20-25 सालों में शहर में जितनी भी कॉलोनियां बनीं उनमें मनमर्जी से ही को-ऑर्डिनेशन रोड का प्रावधान हुआ।
हम टीएंडसीपी के नक्शे के आधार पर करते हैं कार्रवाई
शहर में निजी कॉलोनियों में टीएंडसीपी की तरफ से एक भी क्लोज्ड कैंपस की अनुमति नहीं है। जहां रहवासियों ने अपनी सुविधा और सुरक्षा के लिए गेट लगा लिए हैं वहां यदि दूसरी कॉलोनी के रहवासियों को परेशानी होती है और वे शिकायत करते हैं तो हम टीएंडसीपी के नक्शे के आधार पर कार्रवाई करते हैं।
-एमएस सेंगर, सहायक यंत्री कॉलोनी प्रकोष्ठ (नगर निगम)
एक्सपर्ट बोले- जोनल प्लान बनता तो समस्या नहीं आती
भोपाल में सिर्फ एक ही कॉलोनी को क्लोज्ड कैंपस की अनुमति है वो भी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की स्टाफ कॉलोनी है। हमने 1975 में शहर का पहला मास्टर प्लान बनाया और 1995 में दूसरा आया। अब हम न तो मास्टर प्लान बना पा रहे और न जोनल प्लान बनाया। यदि जोनल प्लान बनाते तो हर क्षेत्र में छोटी सड़कें भी प्लान में आ जातीं।
-अमोघ गुप्ता, आर्किटेक्ट
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