नासिक में हुई घटना के बाद भोपाल के 120 अस्पतालों में भी आक्सीजन की व्यवस्था की जांच शुरू हो गई है। रेडक्रास और हमीदिया अस्पताल सहित शहर के कई अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट और सप्लाई सिस्टम सुरक्षित नहीं है। न ऑक्सीजन सिलेंडर सुरक्षित ढंग से रखे जा रहे हैं और न ही उनकी सेफ्टी जांच हो रही है। प्लांट का संचालन भी प्रशिक्षित टेक्नीशियन के हाथ में नहीं है। नगर निगम के इंजीनियरों की टीम ने निरीक्षण के बाद जिन अस्पतालों को नोटिस जारी किए हैं उनमेंं जवाहरलाल नेहरू कैंसर अस्पताल, एलबीएस, सिल्वर लाइन, ग्रीन सिटी, निर्वाण, सहारा आदि शामिल हैं।
जानकारी के मुताबिक इन अस्पतालों के निरीक्षण करने वाले इंजीनियरों के अनुसार सभी अस्पतालों को 3 दिन के भीतर जवाब देने को कहा गया है। जो कमियां तत्काल दूर हो सकती हैं उन पर तुरंत एक्शन लेने और स्टैंड बाय प्लांट लगाने जैसे बड़े कामों के लिए कार्रवाई शुरू करने को कहा गया है। जांच में सामने आया कि कहीं वार्ड बॉय आक्सीजन की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं तो कहीं अस्पताल में प्यून पर मरीजों की सांसों की जिम्मेदारी है। राजधानी के निजी अस्पतालों में आक्सीजन के रखरखाव का काम निजी हाथों में सौप रखा है, इसके बावजूद इस ओर ध्यान नहीं किया जा रहा है।
नगर निगम अपर आयुक्त सीपी गोहिल के साथ एक्जीक्युटिव इंजीनियर आशीष श्रीवास्तव, सहायक यंत्री चंचलेश कुमार की टीम ने एम्स, कस्तूरबा अस्पताल और भोपाल फ्रेक्चर हास्पिटल के ऑक्सीजन सप्लाई सिस्टम की जांच की। खास तौर से कस्तूरबा अस्पताल में सिस्टम में बहुत सारी खामियां मिलीं। कस्तूरबा हॉस्पिटल को भेल कारखाने से ऑक्सीजन गैस मिलती है। यहां करीब 40 बेड पर ऑक्सीजन सप्लाई होता है।
प्रेशर लो-हाई करने वाले वाल्व खराब मिले
कस्तूरबा अस्तपाल में हालत यह है कि प्रेशर को रेगुलेट यानी कम या ज्यादा करने वाले वाल्व खराब पड़े हैं। सेफ्टी के लिए लगने वाले अन्य वाल्व भी खराब हैं। एेसे में पूरा सिस्टम केवल अंदाज पर ही चल रहा है। एक्जीक्युटिव इंजीनियर श्रीवास्तव ने एक रिपोर्ट बना कर अस्पताल प्रबंधन को दी है और उन्हें सिस्टम सुधारने को कहा है।
एम्स में मिला मामूली लीकेज
एम्स की ऑक्सीजन सप्लाई लाइन में एक मामूली लीकेज था, टीम के सदस्यों के अनुसार मौजूदा स्थितियों को देखते हुए इतने छोटे लीकेज के लिए प्लांट को बंद करके रिपेयर करने की जरूरत नहीं है। बता दें कि नगर निगम के इंजीनियरों ने फिलहाल 12 अस्पतालों की जांच रिपोर्ट तैयार की है।
जांच में सच सामने आया
कस्तूरबा अस्पताल : ऑक्सीजन सप्लाई सिस्टम असुरक्षित है। यहां सेफ्टी और प्रेशर रेगुलेटिंग वाल्व खराब हैं। इसके अलावा ऑक्सीजन सिलेंडरों के गिरने का खतरा है, क्योंकि इन्हें चेन से बांध कर नहीं रखा जा रहा है।
एम्स : ऑक्सीजन प्लांट तो बेहतर स्थिति में मिला, लेकिन यहां भी सिलेंडर लाने ले जाने के लिए ट्रॉली नहीं है। कर्मचारी सिलेंडर को जमीन पर लुढ़का कर ले जाते हैं, यह खतरनाक हो सकता है।
भोपाल फ्रेक्चर हास्पिटल : ऑक्सीजन प्लांट का मेंटनेंस एक निजी एजेंसी करती है और यहां प्लांट बेहतर स्थिति में है।
सिद्धांता अस्पताल: आक्सीजन लीक होते पाई गई है। जांच अधिकारियों ने तत्काल इसका सुधारकार्य कराने के निर्देश दिए।
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