इन दिनाें अधिकतर जिलों में बारिश सामान्य से अधिक है। लेकिन जून में कम बारिश हुई। इसके चलते किसान धान लगाने का इंतजार करने के बजाय सोयाबीन में शिफ्ट हो गए। नतीजतन प्रदेश में धान का रकबा 33% तक घट गया। हालांकि इस दौरान सोयाबीन का रकबा करीब 9% बढ़ा।
कृषि विभाग के अनुसार प्रदेश में अब तक 9.88 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान रोपी गई है। पिछले साल इस अवधि तक 14.72 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान लगाई जा चुकी थी। वहीं 45.58 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन की बुवाई हो चुकी है। वर्ष 2021 में इस अवधि तक महज 41.86 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन लगाई गई थी।
सोयाबीन तिलहन की फसल है। अनाज की बात करें तो इस बार केवल मक्का ही पिछले साल के मुकाबले ज्यादा क्षेत्र में बोई गई है। धान समेत सभी दूसरे अनाज ज्वार, बाजरा और कोदो का रकबा पिछले साल के मुकाबले कम है। दलहन की फसलों की स्थिति अनाज की तुलना में बेहतर है।
बारिश के चलते धान के रकबे में तेजी
कृषि विशेषज्ञों की मानें तो 15 अगस्त तक धान का रकबा सामान्य स्तर पर पहुंच सकता है। सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के कार्यकारी निदेशक डीएन पाठक कहते हैं, सोयाबीन के रकबे में इस साल बढ़ोतरी हो सकती है। अनाज, दलहन और तिलहन का संयुक्त रकबा पिछले साल से 1.93 लाख हेक्टेयर ज्यादा है। इसमें खास योगदान दलहन और तिलहन का है।
15 जुलाई तक की स्थिति
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