स्वास्थ्य मंत्री बोले-खराब व्यवस्थाओं के लिए डॉक्टर जिम्मेदार:बोले- हमने पैसा दे दिया, अब कमी के लिए हॉस्पिटल के हेड जवाबदार

भोपाल6 महीने पहले
  • कॉपी लिंक

मप्र के अस्पतालों में बिगड़ी हुई व्यवस्थाओं को लेकर अक्सर सवाल उठते रहते हैं। मप्र के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने बड़ी बात कही है। भोपाल के होटल ताज में आयोजित 'मुस्कराता बचपन' कार्यक्रम में अस्पतालों में खराब स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर संस्था प्रमुख (अस्पताल के इंचार्ज डॉक्टर) को जिम्मेदार बताया है।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा - अस्पतालों में जहां सुधार की जरूरत है। वहां सुविधाएं बढ़ाने के लिए सरकार और हम लोगों ने प्रयास किया है। अभी विभाग ने कायाकल्प अभियान चलाया था। जहां इंस्ट्रूमेंट की कमी है। उसको पूरा कर रहे हैं। जहां आप लोग बैठ रहे हैं उस अस्पताल में बैठने की व्यवस्थाएं ठीक हों। जो दवाएं आप लोग लिख रहे हैं उन दवाओं की व्यवस्था हो। पैथोलॉजी के टेस्ट की व्यवस्थाएं अस्पतालों में की गई हैं। अगर ये सारी सुविधाएं दे रहे हैं। इसके बाद भी अगर काम न हो तो फिर संस्था पर पोस्टेड प्रमुख पर प्रश्नचिन्ह लगता है।

हम लोगों ने कायाकल्प अभियान चलाया। और बहुत सारी जगहों पर समय पर काम हो गया लेकिन कुछ जगहों पर लोगों में स्टेमिना ही नहीं हैं काम करने की। आप पांच-लाख दे दो, दस लाख दे दो। पहले कहते थे कि टेंडर नहीं लग रहे विभाग से पैसा नहीं आया। अब तो कायाकल्प अभियान में अस्पताल के प्रमुख को ही डायरेक्ट पैसा दे दिया। अब किसी प्रकार की समस्या नहीं होनी चाहिए।

स्वास्थ्य मंत्री ने आगे कहा- हम लोगों ने कायाकल्प अभियान चलाया। बहुत सारे अस्पतालों में समय पर काम हो गया लेकिन कुछ जगहों पर लोगों में काम करने की स्टेमिना ही नहीं हैं। बस कहते रहते हैं आप पांच-लाख दे दो, दस लाख दे दो। पहले कहते थे कि टेंडर नहीं लग रहे विभाग से पैसा नहीं आया। अब तो कायाकल्प अभियान में अस्पताल के प्रमुख को ही डायरेक्ट पैसा दे दिया।

अब समस्या नहीं होनी चाहिए। पहली बार हर एक अस्पताल को हम लोगों ने डायरेक्ट पैसा दिया। पांच-पांच लाख रूपए पीएचसी को ठीक करने के लिए दिए हैं। कि अस्पताल में कोई समस्या न रहे। मैं मंगलवार को जिलों में बात करता हूं। उसमें मरीजों से अस्पतालों में दी जा रही सुविधाओं के बारे में पूछता हूं।

दस्तक अभियान और चाइल्ड हेल्थ में अच्छा काम करने वाले जिलों के अफसरों को सम्मानित किया गया। इस मौके पर स्वास्थ्य मंत्री डॉ.प्रभुराम चौधरी की पत्नी डॉ.नीरा चौधरी ने भी पुरुस्कार प्राप्त किया।
दस्तक अभियान और चाइल्ड हेल्थ में अच्छा काम करने वाले जिलों के अफसरों को सम्मानित किया गया। इस मौके पर स्वास्थ्य मंत्री डॉ.प्रभुराम चौधरी की पत्नी डॉ.नीरा चौधरी ने भी पुरुस्कार प्राप्त किया।

47585 बच्चों में मिला गंभीर कुपोषण
कार्यक्रम में एनएचएम की एमडी प्रियंका दास ने प्रजेंटेशन देकर सांस कार्यक्रम और दस्तक अभियान के बारे में बताया। एनएचएम की एमडी ने कहा प्रदेश भर में जुलाई से सितंबर 2022 तक दस्तक अभियान चलाया गया था। दस्तक अभियान साल में 2 बार जुलाई-अगस्त (डायरिया केस अधिकता वाले माह) तथा माह दिसम्बर-जनवरी (इन महीनों में निमोनिया केस अधिकता वाले माह) के दौरान चलाया जाता है।

  • दस्तक अभियान के पहले चरण में जुलाई-अगस्त 2022 के दौरान, कुल 83.31 लाख बच्चों की जानकारी डिजिटलाइज की गई व 80.63 लाख बच्चों की स्क्रीनिंग की गई। स्क्रीनिंग में 47585 बच्चों में गंभीर कुपोषण पाया गया।
  • गंभीर कुपोषित बच्चों में से 13919 बच्चों को पोषण पुर्नवास केन्द्र में भर्ती कर इलाज मुहैया कराया गया।
  • 8430 बच्चों में जन्मजात विकृतियों की पहचान हुई है।
  • दस्तक अभियान के दौरान डिजिटल हिमोग्लोबिनोमीटर के माध्यम से कुल 62.07 लाख बच्चों की एनिमिया की जांच की गई।
  • 29.16 लाख बच्चों को आयरन फोलिक एसिड प्रदाय किया गया
  • 4300 बच्चों को ब्लड ट्रांसफ्यूजन प्रदाय किया गया।
  • 71.09 लाख बच्चों को विटामिन ए की दवा दी गई।

बच्चों में निमोनिया से होने वाली मौतों को रोकने शुरु हुआ सांस अभियान
कार्यक्रम में एनएचएम की एमडी प्रियंका दास ने बताया बच्चों में होने वाली मौतों में बड़ा कारण निमोनिया होता है। प्रदेश में जन्म लेने वाले नवजात बच्चों से लेकर 5 साल तक के बच्चों में निमोनिया से होने वाली मौतों को रोकने के लिए 12 नवम्बर 2022 से 28 फरवरी 2023 तक साँस अभियान चलाया जा रहा है।

ACS सुलेमान के भाषणों में तीन बार बंद हुआ माइक

एनएचएम की एमडी प्रियंका दास और हेल्थ कमिश्नर डॉ.सुदाम खाडे़ के भाषणों के बाद अपर मुख्य सचिव मो.सुलेमान बोलने के लिए पहुंचे। सुलेमान ने जैसे ही बोलना शुरु किया कि अचानक माइक बंद हो गया। कुछ ही सेकंड में हॉल की लाइट्स भी बंद हो गईं। दूसरी बार जैसे ही फिर सुलेमान ने अपनी बात आगे बढ़ाई दो-तीन मिनट में फिर माइक की आवाज बंद हो गई।

आनन-फानन में एनएचएम की एमडी और तमाम अधिकारी साउंड सिस्टम के पास पहुंचे। थोडी देर में माइक ऑन हुआ फिर एसीएस ने अपनी बात आगे बढ़ाई तो फिर माइक से आवाज आनी बंद हो गई। माइक बंद होने के बाद करीब 5 मिनट तक वे पोडियम के पास खड़े रहे। जब माइक काफी देर तक ठीक नहीं हुआ, तो वे अपनी सीट पर आकर बैठ गए। फिर अफसरों ने मामले को भांपते हुए स्वास्थ्य कर्मियों का पुरुस्कार वितरण शुरू कराया। पुरुस्कार वितरण के बाद स्वास्थ्य मंत्री को संबोधन के लिए आमंत्रित किया गया, तो उन्होंने कहा कि एसीएस साहब की बात अधूरी रह गई थी मेरे पहले वे बोलेंगे। इसके बाद सुलेमान फिर माइक पर पहुंचे और अपना उद्बोधन पूरा किया।