प्रियंका डांगी एमबीए हैं। सोच बिलकुल नायाब। इंदौर में उन्होंने कैफेटेरिया डाला। लक्ष्य ग्राहक थीं वे बच्चों के लालन-पालन में लगी महिलाएं, जो चाहकर भी घर से बाहर नहीं जा सकतीं। प्रियंका ने कैफेटेरिया के साथ गेम जोन बनाया। सोच थी बच्चे गेम जोन में खेलेंगे और उनकी मां अपनी सखी सहेलियों के साथ काफी के साथ गपशप कर सकेंगी। लेकिन प्रियंका अब खुद को परेशानी में घिरा पा रहीं है।
उन्होंने यह कैफे और गेम जोन मप्र सरकार की युवा उद्यमी योजना से 70 लाख का कर्ज लेकर शुरू किया था। इसमें करीब 12 लाख की सब्सिडी मिलनी थी। दो साल से उन्हें सब्सिडी का एक रुपया नहीं मिला। अब बैंक की किस्त देने के लिए उन्हें पति और परिवार से मदद लेनी पड़ रही है। दुविधा में अकेली प्रियंका नहीं है। मप्र में उनकी तरह के 1.50 लाख से अधिक युवा हैं। राज्य सरकार ने उनकी 90 करोड़ रुपए की सब्सिडी अटका दी है। मप्र सरकार ने दिसंबर-20 में मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना और मुख्यमंत्री कृषि उद्यमी योजना बंद करने की औपचारिक घोषणा की थी।
हालांकि मार्च-2020 के बाद से ही बैंकों को कह दिया गया था कि वे इन तीन योजनाओं में कर्ज स्वीकृत करके सब्सिडी क्लेम न करें। जब यह योजना चालू थी। उस दौरान करीब 5 लाख लोगों को इस सब्सिडी स्वरोजगार योजना से कर्ज दिया गया। अब उन्हीं में से 1.5 लाख लोगों की सब्सिडी सरकार ने जारी नहीं की। प्रियंका डांगी ने 2019 में कर्ज लिया था। वे सब्सिडी की पात्र थीं। अशोक नगर की सोनम दसोनिया ने प्रियंका की तरह सी मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना में 17 लाख का कर्ज लिया। कृषक परिवार की सोनम घर की माली हालत सुधारना चाहती थी। उन्होंने कर्ज की रकम से हार्वेस्टर खरीदा। उनकी भी 2.58 लाख की सब्सिडी अटक गई। बैंक किश्त भरने के लिए उनके पति को साहूकारों से कर्ज लेना पड़ा। एफएमपीसीसीआई के अध्यक्ष डॉ. आरएस गोस्वामी कहते हैं, सरकार को यह पेंडिंग सब्सिडी जल्द से जल्द जारी करना चाहिए। आखिर यह लोन केवल इसीलिए लिए गए थे कि इसमें सब्सिडी मिल रही थी।
सबसे ज्यादा मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना का मिला लाभ
मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना न्यूनतम 10 वीं पास 18 से 40 वर्ष आयु वर्ग के युवकों को इस योजना में 10 लाख से लेकर 2 करोड़ तक का लोन मिलता था। मार्जिन मनी के रूप में मप्र सरकार कुल लोन राशि का 15% अधिकतम 12 लाख की सब्सिडी देती थी।
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना-इस योजना में 18-45 वर्ष के युवकों को व्यापार और 50 हजार से लेकर 10 लाख रुपए का लोन दिया जाता था। यहां लोन राशि यानी 10 लाख रुपए पर का अधिकतम राशि 3 लाख रुपए तक का अनुदान दिया जाता था।
कृषि योजना में 1.50 लाख को मिला रोजगार-कृषकों के पुत्र और पुत्रियों के लिए यह योजना थी। 10वीं पास 18से 45 वर्ष के युवक इसके पात्र थे। 50 हजार रुपए से लेकर 2 करोड़ रुपए तक का कर्ज लिया जा सकता था। इस योजना में अधिकतम 18 लाख रुपए का अनुदान मिलता था। पुरुषों को लोन राशि पर लगने वाले ब्याज पर 5%, महिला उद्यमी को 6% की ब्याज सब्सिडी मिलती थी।
सभी बैंकों की ओर से पेंडिंग सब्सिडी की जानकारियां आ रहीं हैं। यह मप्र सरकार को भेजी गई हैं। सरकार ने कहा है कि जल्द ही सब्सिडी जारी की जाएगी।
एसडी माहुरकर, समन्वयक, एसएलबीसी, मप्र
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