अहमदाबाद ब्लास्ट केस में फांसी की सजा पाने वाला सिमी का मास्टर माइंड आतंकी सफदर नागौरी ब्रेन वॉश करने में माहिर है। उसकी तकरीरें सुनने के बाद भोपाल जेल का प्रहरी भी इस्लाम कबूलने को राजी हो गया था। इस बात का पता चलते ही जेल अधीक्षक ने तुरंत प्रहरी की ड्यूटी बदल दी थी।
जेल अधीक्षक दिनेश नरगावे ने बताया कि भोपाल जेल में मई 2017 में बंद सफदर नागौरी उन प्रहरियों को बरगलाने लगा, जिनकी ड्यूटी उसके बैरक में होती थी। वह उन्हें हिंदू धर्म में छुआछूत और सामाजिक भेदभाव का हवाला देकर मुस्लिम बनने के लिए प्रेरित करता था।
कहता है- अल्लाह की शरण में आ जाओ
नागौरी कहता कि अल्लाह की शरण में आ जाओ, यहां सब बराबर हैं। हिंदू बनने में क्या रखा है? हिंदू धर्म में तुम्हें बराबरी का दर्जा नहीं है। भेदभाव किया जाता है। दोयम दर्जे का नागरिक बनाकर रखा जाता है। उसकी तकरीरें सुन-सुनकर एक प्रहरी उसकी बातों में आ गया। बाद में उस प्रहरी की ड्यूटी बदल दी गई। जेल अधीक्षक ने बताया कि इसके बाद ट्रेनिंग देकर दूसरे जेल प्रहरियों को उसकी बैरक के पास तैनात किया गया।
बता दें कि सिमी के मास्टरमाइंड आतंकी सफदर नागौरी समेत 38 आतंकियों को शुक्रवार को अहमदाबाद की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है। सभी को अहमदाबाद में 2008 में हुए सीरियल ब्लास्ट के मामले में सजा हुई है। नागौरी भोपाल सेंट्रल जेल में बंद है।
इशारों में ही बात, एक साथ बैरक से निकलने में मनाही
जेल अधीक्षक ने बताया कि भोपाल जेल में सिमी के 24 सदस्य बंद हैं। उन्हें हाई सिक्यूरिटी जोन में रखा गया है। सफदर नागौरी और अबू फैजल की खास निगरानी रखी जाती है। यह दोनों हमलों के मास्टरमाइंड हैं। इनकी चौकसी के लिए 80 प्रहरियों को खास ट्रेनिंग दी गई है। जिनकी अलग-अलग समय में ड्यूटी लगाई जाती है। आतंकी एक-दूसरे से मुलाकात नहीं कर सकें, इसके लिए अलग-अलग समय में 1-1 घंटे के लिए उन्हें बैरक से बाहर निकाला जाता है। अब वे एक-दूसरे से सिर्फ इशारों में ही बात कर पाते हैं। ऐसा करने के पीछे जेल अधिकारियों का मकसद ये है कि इनका संदेश एक-दूसरे तक नहीं पहुंच पाता।
हर रात जागता है 24 में से एक आतंकी
जेल में बंद आतंकियों के बीच रात में एक आतंकी नहीं सोता है। इसका मकसद अब तक जेल अधिकारी नहीं समझ सके हैं। जेल अधीक्षक बताते हैं कि हर रोज 24 में से 1 सिमी आतंकी पूरी रात जागता है। सुबह 4 से 5 बजे के बीच सभी उठ जाते हैं। इसके बाद वह सेल में बंद रहते हैं। किताबें पढ़ते हैं। वह उन लेखकों की किताबों की डिमांड करते हैं जो देश के खिलाफ है।
अपनी बेटियों को उच्च शिक्षा, दूसरे के बच्चों को आतंक का पैगाम
नागौरी गरीब तबके के मुस्लिम युवकों को आतंक के रास्ते पर चलने के लिए बहकाता रहा, लेकिन अपने बच्चों को बेहतरीन तालीम दिलाई। उसकी दोनों बेटियां अव्वल दर्जे की शिक्षा ले रही हैं। बेटा भी अच्छे कॉलेज में पढ़ रहा है। जेल अफसरों के मुताबिक नागौरी ने पत्र लिखकर आतंक के रास्ते पर चलने के लिए युवाओं को मैसेज देने की कोशिश की थी। लेकिन जेल से वह पत्र बाहर ही नहीं आने दिया गया। उसके लिखे एक-एक पत्र की बारीकी से जांच की जाती है। जिनमें भड़काने वाली बातें होती हैं, उन्हें भेजा ही नहीं जाता। बाहर से आने वाले पत्रों की भी जांच की जाती है।
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