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एक तरफ संभागायुक्त और कलेक्टर समेत सभी अधिकारी इस बात पर बारबार जोर दे रहे हैं कि मरीजों को बिना जायज कारण हायर सेंटर रेफर न करें, लेकिन जेपी अस्पताल के डॉक्टर अपनी सहूलियत के लिए मरीजों को रेफर कर रहे हैं। ऐसा ही एक मामला गुरुवार को भी सामने आया है।
यहां भर्ती एक गर्भवती को ऑनकॉल ड्यूटी डॉक्टर ने महिला को बिना देखे रैफर किया, ताकि उन्हें अस्पताल नहीं आना पड़े। शंकराचार्य नगर निवासी संजय कनोजिया जेपी अस्पताल की रसोई में काम करते हैं। उनकी पत्नी पूर्णिमा को 9 महीने का गर्भ है। बुधवार को बीपी हाई हुआ तो अस्पताल में भर्ती किया था।
गुरुवार दोपहर करीब दो बजे पेट में दर्द के साथ ही ब्लीडिंग भी शुरू हो गई। ड्यूटी डॉक्टर ने देखा तो सीजर करने की बात कही। इस पर ऑनकॉल ड्यूटी डॉ. निर्मला बाथम को फोन लगाया, लेकिन डॉ. बाथम ने बिना अस्पताल आए सुल्तानिया रेफर करने को कहा।
इस पर संजय ने डॉ. बाथम से फोन पर अनुरोध किया, लेकिन उन्होंने नहीं सुनी। संजय ने सिविल सर्जन डॉ. राकेश श्रीवास्तव को इस संबंध में बताया। उनके कहने के बाद भी डॉ. बाथम नहीं आईं, अंत में करीब साढ़े छह बजे संजय पत्नी को सुल्तानिया लेकर जाना पड़ा।
पति की सहमति पर ही सुल्तानिया रेफर किया
मामले में गायनाकोलॉजिस्ट डॉ. निर्मला बाथम का कहना है कि मैंने गुरुवार को 2 बजे तक 4 सीजर किए हैं। एनेस्थेटिस्ट कोरोना पॉजिटिव आ गए तो ओटी बंद करनी पड़ी थी। दूसरी ओटी का टेबल ठीक नहीं है। इस कारण शाम 6 बजे के बाद सीजर हो सकता था, लेकिन पूर्णिमा की उम्र ज्यादा है, पेट में जुड़वा बच्चे हैं, ऐसे में रिस्क नहीं लिया जा सकता है। पति की सहमति पर ही सुल्तानिया रेफर किया गया है।
कहने के बाद भी महिला को क्यों किया रेफर, बात करेंगे
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