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डीजल और ट्रांसपोर्ट घोटाले के लिए बदनाम रहे नगर निगम के वर्कशॉप में अब तस्वीर ही बदल गई है। तीन महीने पहले मैकेनिकल इंजीनियर चंचलेश गिरहारे को वर्कशॉप की कमान सौंपी गई। इस 30 साल के युवा इंजीनियर ने तीन महीने में ऐसा कमाल कर दिखाया कि कंडम पड़ी 4 जेसीबी और पोकलेन (चेन माउंटेड एस्केवेटर) को नई बनाकर काम में लगा दिया।
ये वो मशीनें हैं, जो सालों से कबाड़ में पड़ी थीं या जानबूझकर कंडम घोषित कर कबाड़ कर दी गई थीं। निगम दो साल से कभी कचरा खंती तो कभी नालों की सफाई के नाम पर किराए की एस्केवेटर लगा रहा था। 2300 रुपए घंटे इनके लिए भुगतान हो रहा था। भास्कर में खबर छपी तो इस युवा इंजीनियर ने कबाड़ में पड़ीं एस्केवेटर को वर्कशॉप में बुलवाया।
महीने भर के भीतर इन मशीनों का कायाकल्प कर दिया। इसी में से एक कंडम मशीन अब बड़े तालाब की सफाई में जुट गई है। माता मंदिर में निगम के वर्कशॉप का पूरा सिस्टम बदल गया है। अब ये सर्विस सेंटर हो गया है। इसकी पूरी निगरानी सीसीटीवी के जरिए होती है।
कौनसी गाड़ी आ रही है, किस गाड़ी में क्या काम हो रहा है, सबकुछ रिकॉर्ड किया जा रहा है। सभी 19 जोन में डोर टू डोर गाड़ियों के लिए पार्किंग बनाई है, ताकि उसमें से कोई पार्ट्स और डीजल चोरी न हो सके। निगम कमिश्नर वीएस चौधरी कोलसानी ने कहा कि वर्कशॉप में सकारात्मक बदलाव दिखे हैं। कंडम हो चुकी एस्केवेटर मशीनें सुधारकर काम में ली जा रही हैं। अब हमें किराए पर मशीनें नहीं लेनी पड़ रही हैं।
बैटरी पर ही सालाना 1 करोड़ खर्च
वर्कशॉप प्रभारी चंचलेश ने 2014 में भोपाल के ही एक निजी कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। इसके बाद वे पॉवर जनरेशन कंपनी में इंजीनियर हो गए। इसी साल निगम में वे प्रतिनियुक्ति पर आए हैं। अक्टूबर में उन्हें वर्कशॉप का प्रभार मिला है। उन्होंने कहा कि वे तो बस सिस्टम बना रहे हैं, ताकि निगम के हर संसाधन का बेहतर इस्तेमाल हो सके।
गाड़ियों से निकलने वाले पुराने पार्ट्स और टायर आदि की भी एंट्री हो रही है। इसे स्क्रैप में डाला जाता है। चंचलेश ने बताया कि निगम की गाड़ियों की बैटरी पर सालाना एक करोड़ रुपए खर्च होते थे, इसलिए 6 लाख रुपए की एक मशीन ली गई है, ताकि बैटरियां दुरूस्त हो सके। टॉयरों की रिमोल्डिंग के लिए 30 लाख रुपए की मशीन ली जा रही है।
मशीनें जो सुधरीं कोई 2 साल से तो कोई 6 साल से खराब थी
जेसीबी- साल 2011
कब से बिगड़ी थी- 2 साल से वर्कशॉप में खड़ी।
कितना खर्च- 2 लाख
जेसीबी-2011
कब से खराब- 6 माह से, एक प्राइवेट वर्कशॉप में खड़ी।
कितना खर्च- 3 लाख
जेसीबी- 2008
कब से बिगड़ी थी- 6 साल से कंडम हालत थी।
कितना खर्च- 1.50 लाख
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