'मोगली' के घर में बाइसन का कुनबा बढ़ा:पेंच में टूरिस्ट्स को नन्हें मेहमानों के हो रहे दीदार; झुंड में ही घूम रहे

भोपाल4 महीने पहले
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'मोगली' का घर यानी पेंच नेशनल पार्क...। यह मध्यप्रदेश के 6 टाइगर रिजर्व में से एक है। पार्क की न सिर्फ टाइगर बल्कि 'जंगल बुक' के किरदार बघीरा यानी ब्लैक पैंथर (तेंदुए) के रूप में भी पहचान है। इसी पार्क में अब बाइसन (गौर) का कुनबा भी बढ़ रहा है, जो टूरिस्टों को रोमांचित कर रहा है। पार्क में 3 हजार से ज्यादा बाइसन है। पिछले कुछ दिनों में नन्हें मेहमानों का आगमन भी हुआ है। ऐसे में बाइसन की संख्या गई है। 8 से 10 वयस्कों के झुंड में तीन से चार बच्चे हैं।

पेंच के डिप्टी डायरेक्टर रजनीश कुमार सिंह ने बताया कि, पेंच में बाइसन का नेक्स्ट जनरेशन आ गया है। पार्क वर्तमान में 'गौर' के छोटे बच्चों से भरा हुआ है। जिन्हें अपने झुंड के साथ चरते, हरे-भरे घास के मैदानों में घूमते हुए टूरिस्ट देख रहे हैं। ब्लैक पैंथर और टाइगरों के साथ बायसन को देख टूरिस्ट रोमांचित हो रहे हैं। पार्क के खुलने के बाद से ही टूरिस्टों की संख्या भी बढ़ गई है।

पेंच टाइगर रिजर्व में बाइसन का कुनबा बढ़ रहा है। पिछले कुछ दिनों से बाइसन के बच्चे भी नजर आ रहे हैं।
पेंच टाइगर रिजर्व में बाइसन का कुनबा बढ़ रहा है। पिछले कुछ दिनों से बाइसन के बच्चे भी नजर आ रहे हैं।

वयस्क बाइसन का ऊपरी हिस्सा काला, पैर सफेद
पेंच में पाए जाने वाले वयस्क बाइसन और बच्चों के शरीर का रंग अलग-अलग देखने को मिल रहा है। वयस्क बाइसन का ऊपरी हिस्सा काला है, जबकि पैर सफेद है। जैसे उन्होंने पैरों में सफेद मौजे पहन रखे हैं। वहीं, ऊपर काला कोट पहना हो। दूसरी ओर बच्चों का ऊपरी हिस्सा ब्राउन है, जबकि पैर सफेद ही है।

बच्चे वयस्क बाइसन के झुंड में ही रहते हैं। ताकि, टाइगर, तेंदुए या फिर अन्य किसी जंगली जानवर से बच सके।
बच्चे वयस्क बाइसन के झुंड में ही रहते हैं। ताकि, टाइगर, तेंदुए या फिर अन्य किसी जंगली जानवर से बच सके।

झुंड में रहते हैं, ताकि टाइगर-पैंथर से बच सके
बाइसन परिवार के वयस्क सदस्य भी बच्चों को झुंड में ही रख रहे हैं। दरअसल, पेंच में ब्लैक पैंथर के साथ 60 से ज्यादा टाइगर है। वहीं, अन्य मांसाहारी जानवर भी है। इनसे बचाने के लिए बच्चे हमेशा वयस्कों के साथ झुंड में रहते हैं।

पेंच टाइगर रिजर्व में तीन हजार से अधिक बाइसन है। इसकी गिनती होने के बाद संख्या में और भी बढ़ोतरी होगी।
पेंच टाइगर रिजर्व में तीन हजार से अधिक बाइसन है। इसकी गिनती होने के बाद संख्या में और भी बढ़ोतरी होगी।

वन विहार में भी हैं बाइसन
राजधानी भोपाल के वन विहार नेशनल पार्क में भी बाइसन है। यहां दो बाइसन है, जो बड़े बाड़े में रहते हैं।

एमपी में कहां है पेंच टाइगर रिजर्व
पेंच टाइगर रिजर्व मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा और सिवनी जिले में स्थित है। इसका नाम पेंच नदी से निकला है, जो इस टाइगर रिजर्व से होकर बहती है। पेंच नदी उत्तर से दक्षिण की ओर बहती है जो टाइगर रिजर्व को समान रूप छिंदवाड़ा और सिवनी जिले को पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों में विभाजित करती है। इस टाइगर रिजर्व में जंगली ग्वार, बाघ, तेंदुआ, बंदर और हिरण आसानी से देखे जा सकते हैं। यह टाइगर रिजर्व नेशनल हाईवे 7 पौनी के पास है और महाराष्ट्र और नागपुर के बहुत करीब है। पर्यटकों के प्रवेश के लिए दो प्रसिद्ध द्वार है, जिन्हें तुरिया और कर्मझिरी नाम दिया गया है।

STR में सबसे ज्यादा बाइपास
नर्मदापुरम जिले में स्थित सतपुड़ा टाइगर रिजर्व (STR) में करीब पांच हजार बाइसन है। पिछले दिनों यहां टूरिस्टों को दो नए दुलर्भ मेहमानों के दीदार हुए थे। बाइसन यानि गौर के परिवार में जन्मे दो सफेद बच्चों को देख टूरिस्ट रोमांचित हो गए। दोनों ही बच्चे अलग खासियत लिए हुए थे। यह बच्चे अब बड़े हो रहे हैं। इन्हें अपने आप में दुलर्भ माना जा रहा है।

सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को देख टूरिस्ट रोमांचित हो जाते हैं। यहां पर करीब पांच हजार बाइसन पाए जाते हैं। पिछले दिनों दो दुलर्भ बच्चे भी नजर आए थे।
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को देख टूरिस्ट रोमांचित हो जाते हैं। यहां पर करीब पांच हजार बाइसन पाए जाते हैं। पिछले दिनों दो दुलर्भ बच्चे भी नजर आए थे।

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MP के 6 टाइगर रिजर्व में 1 अक्टूबर से खुल चुके, टूरिस्ट कर रहे दीदार

मध्यप्रदेश के सभी 6 टाइगर रिजर्व नेशनल पार्क 1 अक्टूबर से खुल चुके हैं। इसके बाद टूरिस्ट कोर एरिया में जाकर टाइगर्स के करीब से दीदार कर रहे हैं। टाइगर रिजर्व की सैर करने के लिए आपको पहले ऑनलाइन बुकिंग करना होगी, जो 1 महीने पहले ही खुल चुकी है। प्रदेश में पेंच के अलावा सतपुड़ा, कान्हा, बांधवगढ़, संजय डुबरी और पन्ना टाइगर रिजर्व भी है। यह पढ़ें