कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने रायसेन किले के मंदिर को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री पर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज हैं और उनके राज्य में शिव कैद में हैं, तो राज्य किसी काम का नहीं है। उन्होंने कहा कि धिक्कार है रायसेनवालों… शिव मंदिर में ताला डाला है और तुम दिवाली मना रहे हो। शंकर के मंदिर में ताला है। तुम लड्डू खा रहे हो। अरे.. आसपास कोई तालाब हो तो चुल्लू भर पानी भरकर ले आओ।
पंडित मिश्रा ने रायसेन में शिव महापुराण के दौरान व्यास गद्दी से भक्तों को संबोधित किया। उन्होंने कहा- मैं जानता हूं मामा सनातनी हैं, गृहमंत्री सनातनी हैं, प्रधानमंत्री सनातनी हैं। मैं चाहूंगा मेरे शंकर को कैद से बाहर निकाला जाए।
इतिहास में एक बार सीएम ने खोला था ताला
पंडित मिश्रा ने बताया कि जब से देश आजाद हुआ तब से मेरे भगवान के मंदिर में ताला डला है। सन् 1974 में एक मुख्यमंत्री जी आए थे और केवल 1 दिन के लिए ताला खोलकर गए थे। भारत तो आजाद हो गया लेकिन मेरे शंकर आजाद नहीं हो पाए।
शिवराज यशस्वी राजा हैं
उन्होंने लोगों से कहा कि सीएम से बोलें कि मेरे शिवराज मामा, आप में वह बल है, आप इस प्रदेश के वह राजा हो, जिन्हें यशस्वी राजा कहा जाता है। रायसेन की यह भूमि आपके लिए पलक बिछा कर खड़ी है। आप आइए और भगवान के मंदिर का ताला खोलकर जाइए। हम इंतजार करेंगे आपका।
पहले भी सुर्खियों में रह चुके हैं पं. मिश्रा
सीहोर में शिवरात्रि की मौके पर रुद्राक्ष महोत्सव का आयोजन किया गया था। पंडित मिश्रा ने 11 लाख रुद्राक्ष वितरण करने का ऐलान किया था। पहले ही दिन भक्त इतनी बड़ी संख्या में पहुंचे कि भोपाल-इंदौर हाइवे पर 6 घंटे तक जाम रहा। यह देख पंडित जी ने कथा खत्म करने का ऐलान कर भक्तों से वापस लौटने का अनुरोध किया था।
ये है मंदिर से जुड़ा विवाद
रायसेन की पहाड़ी पर शिवजी का ऐतिहासिक मंदिर है। जिसे 12 वीं सदी में बना हुआ बताया जाता है। इस मंदिर के पट साल में सिर्फ एक बार महाशिवरात्रि पर खुलते हैं। आजादी के बाद यहां पर भी मंदिर और मस्जिद का विवाद खड़ा हुआ, जिसके बाद पुरातत्व विभाग ने यहां ताले लगा दिए। हालांकि 1974 में हिंदू समाज और संगठनों ने मंदिर का ताले खोलने के लिए एक बड़ा आंदोलन किया। जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश चंद सेठी ने खुद यहां आकर ताले खुलवाए और महाशिवरात्रि पर मंदिर परिसर में एक विशाल मेले का आयोजन किया। तब हर साल महाशिवरात्रि पर मंदिर के ताले खोलने की व्यवस्था लागू की गई जो आज भी चल रही है।
उधर इस मामले में पुरातत्व विभाग का कहना है कि मंदिर इतनी उंचाई पर है, इसलिए देख रेख आसान नहीं है। इस दौरान मंदिर में किसी चीज का नुकसान होता है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा। अगर किसी अज्ञात व्यक्ति ने मंदिर में कोई तोड़फोड़ कर दी, तो माहौल भी बिगड़ सकता है।
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