रायसेन जिले की जीवनदायिनी बेतवा नदी सूखने की कगार पर है। गर्मी की शुरुआत में ही नदी के किनारे बसे 300 गांवों में जल संकट खड़ा हो गया है। हालात जानने के लिए दैनिक भास्कर के रिपोर्टर ने 250 फीट की ऊंचाई से ड्रोन से नदी का जायजा लिया।
रायसेन को मध्यप्रदेश में धान का कटोरा कहा जाता है। यहां बेतवा के उद्गम स्थल से लेकर विदिशा तक नदी के पानी का उपयोग किसान सिंचाई के लिए करते हैं। पीने के पानी के लिए भी ग्रामीण बेतवा नदी पर ही निर्भर हैं। किसान मोटर पंप के जरिए काफी मात्रा में पानी खींच लेते हैं। लेकिन अब ये नदी सूख रही है। 2005 के बाद से ही हर साल गर्मी में ऐसी स्थिति बन रही है। नदी में पानी नहीं होने का बड़ा कारण ये भी है कि किसान मोटर पंप लगाकर सिंचाई के लिए पानी खींच लेते है।
किसान लंबे समय से कर रहे डैम की मांग
मंडीदीप के 3 गांव से निकली बेतवा नदी रायसेन के अलावा विदिशा, झांसी, ललितपुर होकर उत्तर प्रदेश के हरिपुर गांव में यमुना नदी में मिल जाती है। करीब 480 किमी क्षेत्र में बहने वाली बेतवा नदी पर मकोडिया बांध की मांग किसान लंबे समय से कर रहे हैं, लेकिन अब तक स्वीकृत नहीं मिली है। यदि डैम बन जाए तो बारिश के पानी को रोका जा सकता है। डैम बनने से न सिर्फ पीने के पानी की समस्या खत्म होगी, बल्कि 1000 एकड़ की भूमि भी सिंचित होगी।
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