मध्य प्रदेश के कर्मचारी एवं पेंशनर्स के लिए लागू की जाने वाली स्वास्थ्य बीमा योजना की किस्त 1000 से 650 के बजाय 100 से 250 रुपए होना। यह मांग पेंशनर एसोसिएशन की स्थानीय शाखा ने मुख्यमंत्री से की है। इसके लिए एक ज्ञापन बुधवार को मुख्यमंत्री के नाम एसडीएम जूही गर्ग को सौंपा।
ज्ञापन में उल्लेख गया किया गया है कि कोरोना की प्रथम एवं द्वितीय लहर में 50 हजार से अधिक पेंशनर बीमार हुए तथा लगभग 1000 की मृत्यु हुई तथा बीमारी आदि में एक-एक पेंशनर का 5 से 10 लाख का खर्चा भी हुआ, जो उनके लिए असहनीय एवं क्षमता के बाहर था। अब अगर 1000 एवं 650 बीमा की किस्त काटी जाएगी तो कर्ज के बोझ तले दबा पेंशनर और भी अधिक संकट में आ जाएगा।
ज्ञापन सौंपने वालों में अध्यक्ष आरएस सोनी, संभागीय महामंत्री एवं परामर्शदाता जेएल मारोठिया, कोषाध्यक्ष केडी अग्रवाल, सचिव एआर खान, रिटायर्ड टीआई रामचंद्र साहू, श्याम सुंदर मिश्रा, बीएल गौतम, दीनदयाल शिवहरे, बाबूलाल दांगी, देवेंद्र सिंह हीरोकिया, रामदास चौरसिया, देशमुख मुरलीधर पालीवाल, राकेश शर्मा, अब्दुल वाहिद अंसारी, मोती लाल कुशवाहा, बृजमोहन गुप्ता, डीआर यादव, कालूराम शाक्यवार, डीआर वर्मा, रामचंद्र मोरवाल, प्रेमशंकर शाक्यवार, गोपाल साहू, राम बक्स भिलाला, नरेंद्र सिंह हाडा, पूनमचंद जांगड़े, धन रूप राठौर, रामप्रसाद शर्मा, कैलाश चंद साहू, नाथूलाल आदि शामिल रहे।
इन मांगों को भी उठाया: इसी के साथ ज्ञापन में एक जुलाई 2019 से लंबित महंगाई राहत स्वीकृत करने, शासकीस कर्मचारियों की तरह पेंशनरों को भी मृत्यु उपरांत उपादान 50 हजार रुपए प्रदान किए जाने, सातवें वेतनमान 1 जून 2016 से 31 मार्च 2018 तक 32 माह के एरियर का भुगतान किए जाने, मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 490को अधिनियम विलोपित किए जाने। नई पेंशन योजना बंद कर पुरानी पेंशन योजना लागू की जाने, पेंशनरों को वर्तमान में 80 वर्ष पूर्ण होने पर 20 प्रतिशत की वृद्धि की जाती है जो अब 70 वर्ष की आयु होने पर 20 प्रतिशत की वृद्धि की जाने, पेंशनर को प्रति माह कम से कम 1000 रुपए चिकित्सा भत्ता भुगतान किए जाना आदि मांगें शामिल हैं।
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