क्षेत्र में बरसात का दौर थमने व खेतों में सोयाबीन की फसल बड़ी होने पर किसानों ने उसमें डौरे चलाना शुरु कर दिए हैं। वहीं बारिश की खेंच ने चिंता को बढ़ा रखा है। अभी तक क्षेत्र में झमाझम नहीं हो सकी है। साथ ही गर्मी व उमस ने भी परेशान किया हुआ है।
जून माह के अंतिम सप्ताह में हुई अच्छी बारिश के बाद किसानों ने खरीफ की बोवनी कर दी थी। अब फसल बीस दिन की होने को आई, लेकिन खेतों में फसल अंकुरित होते ही खरपतवार के साथ ही इल्ली का प्रकोप भी बढ़ने लगा है। इनसे फसल को बचाने के लिए किसान जहां दवाई का छिड़काव कर रहे हैं तो वहीं डोरे भी चलाने लगे हैं।
किसान कमल सिंह का कहना है कि बीस दिन पहले महंगा बीज खरीदकर सोयाबीन व अन्य फसलों की बोवनी की गई थी, लेकिन जैसे ही बीज अंकुरित हुआ और खेतों में पौधे दिखने लगे थे कि इल्लियों ने उन पर हमला कर दिया। वहीं खरपतवार भी उग आई है। अब किसान इल्ली मार दवाई के साथ चारा मार दवाई का भी छिड़काव खेतों में करने लगे हैं।
जिन किसानों के पास बैल हैं वह खेतों में खरपतवार को नष्ट करने के लिए डोरे भी चला रहे हैं। इस समय सोयाबीन फसल में तम्बाकू इल्ली, चने की सुंडी इल्ली, गडल बिटल, तना मक्खी व सफेद मक्खी आदि कीटों का प्रकोप हो रहा है। इससे फसल को बचाने के लिए कृषि विभाग द्वारा भी किसानों को सलाह दी जा रही है। किसान सौभाल सिंह ने बताया कि इस समय फसल बीस दिनों की हो चुकी है। कई गांवों में अभी भी कम बारिश होने से किसानों को चिंता सताने लगी है।
कृषि विभाग के एसएडीओ बीएस मेवाड़ा ने बताया कि क्षेत्र में कृषि विभाग के उपसंचालक रमा शंकर जाट ने भी टीम के साथ खेतों पर पहुंचकर निरीक्षण कर पाया था कि फसल में इल्ली का प्रकोप बढ़ रहा है।
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