देश को डिजिटल और अत्याधुनिक करने की सोच से भले ही शासकीय और निजी प्रणाली को नवीन तकनीक से जोड़ने के दावे किए जा रहे हों, लेकिन जमीनी हकीकत इसके उलट दिखाई दे रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में संचार के बेहद मामूली संसाधन भी अब तक उपलब्ध नहीं हो पाए हैं। हालत यह है कि जनपद पंचायत की लगभग 70 फीसदी ग्राम पंचायतों में इंटरनेट सेवा नहीं मिलने के कारण कम्प्यूटर बेकार पड़े हैं।
ग्राम पंचायतों में अव्यवस्था और भ्रष्टाचार इस कदर हावी है कि इसे जिले में बैठे अधिकारी बखूबी जानकर भी अनजान बने हुए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के दावे करने वाले यह अधिकारी जिले के मुखिया की आंखों में धूल झोंक रहे हैं।
जपं की कई पंचायतों में कंप्यूटरीकृत काम गांव में ही हो सके इसके लिए शासन ने कंप्यूटर सहित अन्य संसाधन उपलब्ध करवाए थे, लेकिन इनका उपयोग नहीं होने के कारण पंचायत भवनों में रखे रखे धूल खा रहे हैं। वहीं इंटरनेट सेवा नहीं होने के कारण सरपंच, सचिव व रोजगार सहायक इन कम्प्यूटर सहित प्रिंटर उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। यही नहीं पंचायत के जिम्मेदार इनका उपयोग करने के लिए प्रयास नहीं कर रहें हैं।
इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं होना बना कारण:
ग्राम पंचायतों में शासन की योजना अनुसार पंचायत में चल रहे कार्यों की माॅनीटरिंग और इनके लेखा-जोखा सहित हितग्राहियों को योजना का लाभ देने के लिए वहां इंटरनेट सेवा होना जरूरी है। पंचायत में इंटरनेट नहीं जुडे़ होने के कारण मनरेगा अंतर्गत होने वाले काम वर्क डिमांड, मस्टर फीडिंग, ई-पेमेंट सहित ट्रीपल एसएमटी मैपिंग, पात्रता पर्ची निकालना, पेंशन भुगतान, जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र आदि कामों के लिए ग्रामीणों को परेशान होना पड़ता है।
ई पंचायतों का सपना अधूरा:
ग्राम पंचायत को ई-पंचायत बनाने और यहां होने वाले काम को ऑनलाइन और पारदर्शी बनाने की सोच से जपं की पंचायतों को ई-पंचायत बनाया गया था। जानकारों को कहना है कि जिला पंचायत द्वारा 1 लाख 20 हजार की लागत से पंचायत को माॅनीटर, सीपीयू, इंवर्टर, कीबोर्ड, माउस, यूएसबी डिवाइस, बड़ी एलसीडी टीवी सहित अन्य सामान दिया गया था, लेकिन उसके बाद भी पंचायत में कम्प्यूटर कार्य न होकर दुकानों से इसका लाभ लिया जा रहा है।
कंप्यूटर संबंधी सरकारी काम दुकानों पर करवाया जा रहा
जनपद की लगभग सभी पंचायतों में सचिव सहित रोजगार सहायक अपनी सेवाएं दे रहे हैं। जानकारों का कहना है कि रोजगार सहायकों की पदस्थापना कम्प्यूटर संबंधित कार्य करने के लिए की गई थी, लेकिन ग्राम पंचायतों द्वारा कम्प्यूटर से संबंधित कार्य पंचायत द्वारा दुकानों से कराया जा रहा है। जिससे गोपनीयता भंग होने का अंदेशा बना हुआ है। सवाल यह है कि पंचायतों में नेट नहीं है, कम्प्यूटर नहीं चल रहा है तो पंचायत द्वारा आखिर कम्प्यूटर रिपेयरिंग, कार्टेज रिफलिंग क्यों कराई जा रही है।
सरपंच-सचिव के घर रखे कम्प्यूटर
सूत्रों की मानें तो पंचायत में कम्प्यूटर पर काम के लिए जरूरी इंटरनेट सेवा न होने के कारण कई पंचायत के कम्प्यूटर को सरपंच-सचिव ने अपने घर में रख लिया है। जिन पर उनके परिजन अपना निजी काम कर रहे हैं। कुछ ग्राम पंचायतों में कम्प्यूटर सहित अन्य उपकरणों की स्थिति इतनी दयनीय है कि कबाड़ में देने लायक हो चुके हैं, लेकिन जनपद में बैठे जिम्मेदारों ने कभी इसकी सुध नहीं ली।
व्यवस्था में करेंगे सुधार
कुछ ग्राम पंचायतों में इंटरनेट सेवा नहीं है, तो मोबाइल के नेट से कार्य हो रहा है। वहीं कुछ ग्राम पंचायतों के सिस्टम खराब होने से वह दुकानों से करवा रहे है। काम को समय सीमा में निपटाने के लिए सचिवों की मजबूरी बनी हुईं है। लेकिन जल्द ही इस व्यवस्था में सुधार किया जाएगा।
-रश्मि चौहान, सीईओ सिलवानी।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.