• Hindi News
  • Local
  • Mp
  • Vidisha
  • Here Is The 2200 year old Giant Statue Of Kubera, People Used To Wash Clothes On Kuber's Back On The Banks Of The River.

धनतेरस पर धन के देवता की कहानी:विदिशा में 2200 साल पुरानी कुबेर की 12 फीट की मूर्ति, देशभर में सिर्फ 4 मूर्तियां

विदिशाएक वर्ष पहले

कुबेर... यानी धन के देवता...। मंगलवार काे धनतेरस पर कई जगह कुबेर की पूजा की जा रही है, लेकिन कम लोग जानते हैं कि विदिशा में कुबेर की प्राचीन प्रतिमा है। 2200 साल पुरानी इस प्रतिमा की ऊंचाई 12 फीट है। यह आज भी सिविल लाइंस स्थित जिला पुरातत्व संग्रहालय भवन के प्रवेश द्वार पर विराजमान है। कुबेर की इस विशाल प्रतिमा के बाद एक अन्य कक्ष में कुबेर की पत्नी यक्षिणी की भी 5 फीट ऊंची प्रतिमा रखी है। वह भी इसी प्रतिमा की समकालीन बताई जाती है।

माना जाता है कि प्राचीन समय में विदिशा व्यापार का सबसे बड़ा केंद्र था। यह धनधान्य से भरपूर था। कुबेर को धन का देवता माना जाता है, इसलिए यहां के लोग उस समय कुबेर की प्रतिमा बनाकर पूजा किया करते थे। हर साल धनतेरस पर लोग दर्शन-पूजन के लिए यहां आते हैं।

प्रतिमा 2200 साल पुरानी बताई जा रही है।
प्रतिमा 2200 साल पुरानी बताई जा रही है।

देश में 4 बड़ी प्रतिमाएं
20 सालों से यहां पूजन करने आ रहे सुशील शर्मा बताते हैं कि इस तरह की देश में केवल 4 प्रतिमाएं हैं। पहली विदिशा, दूसरी उत्तर प्रदेश के मथुरा, तीसरी बिहार के पटना और चौथी राजस्थान के भरतपुर में है, हालांकि विदिशा की प्रतिमा सबसे ऊंची और प्राचीन है।

बैस नदी में उलटी पड़ी थी प्रतिमा, लोग धोते थे कपड़े
स्थानीय निवासी पंकज जैन के मुताबिक बुजुर्ग बताते हैं कि यह प्रतिमा बैस नदी में उल्टी पड़ी थी। यह इतनी विशाल है कि लोग इसकी पीठ पर कपड़े धोया करते थे। सालों पहले जब नदी का पानी कम हुआ, तो प्रतिमा की हकीकत का खुलासा हुआ। इसके बाद इसे संग्रहालय लाया गया।

हाथ में धन की थैली लिए हैं कुबेर
कुबेर की यह प्रतिमा 12 फीट ऊंची है। प्रतिमा के शीर्ष पर पगड़ी और कंधों तक उत्तरीय वस्त्र है। कानों में कुंडल और गले में भारी कंठा है। प्रतिमा के एक हाथ में धन की थैली स्पष्ट दिखाई देती है। कुबेर प्रतिमा के साथ ही बैसनगर से 5 फीट की यक्षिणी की प्रतिमा भी मिली थी, जो कुबेर की पत्नी हैं। यह प्रतिमा भी जिला संग्रहालय में मौजूद है।

7वीं-8वीं शताब्दी की है प्रतिमा
संग्रहालय में ही बाहर 7वीं से 8वीं शताब्दी के कुबेर की प्रतिमा भी रखी है, जो बडोह पठारी से मिली थी। इनके हाथ में एक प्याला है। धन की पोटली पर इनका पैर रखा है।

इतिहास ये कहता है...
वरिष्ठ इतिहासकार नारायण व्यास ने बताया कि प्राचीन काल में विदिशा व्यापारियों का बड़ा केंद्र और वैभवशाली नगर था। यहां हाथी दांत का कारोबार होता था। लोग धन के देवता कुबेर की प्रतिमा बनाकर उनकी पूजा करते थे। कुबेर को 8 दिगपाल में एक उत्तर दिशा का देवता माना जाता है, जो धन की दिशा है। विदिशा संग्रहालय में कुबेर की जो प्रतिमा है, वह ईसा पूर्व दूसरी सदी यानी करीब 2200 साल पुरानी है। कुबेर की पत्नी यक्षिणी की ऐसी प्रतिमा जो इतनी ऊंचाई और प्राचीन है, वह कलकत्ता के संग्रहालय के प्रवेश द्वार पर रखी है।

धार्मिक महत्व भी है
विदिशा के धर्माचार्य संजय पुरोहित ने बताया कि सनातन धर्म मे कुबेर को धनादिपति माना गया है। इनकी पत्नी यक्षिणी हैं। इनकी पूजन करने से स्थिर (अचल) लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। सभी वेद पुराणों में कुबेर का वर्णन मिलता है। सोने की लंका का निर्माण भी कुबेर ने ही किया था। धनतेरस पर कुबेर और यम की पूजन का महत्व है। धनतेरस पर शाम के समय 2 बत्ती के घी का दीपक पूर्व दिशा की ओर लगाकर कुबेर देव का ध्यान किया जाए, तो धन प्राप्त होता है। वहीं, एक बत्ती का तेल का दीपक दक्षिण दिशा की ओर लगाया जाए, तो अकाल मृत्यु से रक्षा होती है।