मेलघाट टाइगर रिजर्व के बाहर से अकोला-खंडवा ब्रॉडगेज लाइन डाली जाएगी। इससे दोनों के बीच की दूरी 29 किलोमीटर बढ़ जाएगी। इसका अच्छे और बुरे दोनों ही प्रभाव बुरहानपुर पर होंगे। महाराष्ट्र के अड़गांव से तुकईथड़ के बीच रेल लाइन का रास्ता बदलेगा। इससे दूरी बढ़ेगी, लेकिन रेल लाइन खकनार से होकर गुजरेंगी, ऐसे में भविष्य में यहां स्टॉपेज की संभावना हो सकती है। खकनार क्षेत्र के लिए जीवनदायिनी माने जाने वाली हैदराबाद अजमेर जयपुर रेल लाइन को अकोट से खंडवा ब्रॉडगेज में बदलने का काम अब तेज हो गया है।
रेलवे मंत्रालय ने अकोला से खंडवा तक 176 किलोमीटर रेलवे मार्ग को मीटर गेज से ब्रॉडगेज की योजना बनाई थी। लेकिन मेलघाट टाइगर रिजर्व के कारण लंबे समय से यह लंबित थी। रेल लाइन के कारण वन्य जीवों पर होने वाले बुरे प्रभाव के कारण इसकी अनुमति नहीं मिल रही थी। इसलिए अब रेल लाइन का मार्ग ही बदल दिया है। रेल मार्ग को धूलघाट टाइगर प्रोजेक्ट क्षेत्र का मुख्य हिस्सा है, इस हिस्से से रेल लाइन नहीं जाएगे।
भारतीय वन्यजीव संस्थान ने इस भाग से रेलवे को ब्रॉड गेज करने की बजाय परिवर्तित मार्ग से करने का सुझाव दिया था। इसे मान भी लिया गया। जून माह में गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में दिल्ली में हुई वेस्टर्न झोन काउंसलिंग की सभा में परिवर्तित रूट को मंजूरी दे दी गई है। इस प्रोजेक्ट से सबसे ज्यादा फायदा खकनार क्षेत्र को होगा। यह रेल लाइन दक्षिण भारत की ओर जाती है। जब यह रूट चालू था, तो हजारों की संख्या में लोग सफर करते है। इसके बंद होने के बाद से तुकईथड़ स्टेशन उजाड़ हो गया है।
ऐसे बदलेगा का रूट : वर्तमान मीटरगेज रूट मेलघाट सेक्शन में अड़गांव, हिवरखेड़, वानरोड, धुलघाट, डबका, तुकईथड़ तक है। लेकिन प्रस्तावित मार्ग को परिवर्तित होने पर अड़गांव, हिवरखेड़, सोनाला, जामोद, खकनार, खिकरी से होक तुकईथड तक रेल लाइन जाएगी। इससे 29 किमी की दूरी बढ़ जाएगी। इसमें 15 किमी मध्यप्रदेश, पांच किलोमीटर महाराष्ट्र से वन भूमि का अधिग्रहण करना होगा। 9 किलोमीटर पहले से रेलवे के अधीन है। रेलवे बोर्ड ने अति आवश्यक कार्य में शामिल करप पहले हुए सर्वे के आधार पर भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया तेज करने का कहा है। रेल मंत्रालय और पर्यावरण मंत्रालय ने मेलघाट क्षेत्र से ब्रॉडगेज रेल लाइन के लिए फरवरी 2019 में मंजूरी दी थी। महाराष्ट्र सरकार ने अनापत्ति प्रमाण पत्र देने से मना करते हुए रूट बदलने की मांग की थी। इसी कारण प्रोजेक्ट मंजूरी में देरी हुई।
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