बुरहानपुर में बदमाश वन चौकी में तोड़फोड़ करते हुए 17 बंदूकें और कारतूस लूट ले गए। चौकीदार से मारपीट की बात भी सामने आई है। घटना नेपानगर तहसील की नावरा वन रेंज के ग्राम बाकड़ी की है। पुलिस, वन विभाग की टीम सहित प्रशासनिक अफसर मौके पर पहुंचे हैं।
एसपी राहुल कुमार लोढ़ा ने बताया कि घटना रात 9.30 बजे की है। बाकड़ी वन चौकी में करीब 15-20 अज्ञात बदमाश घुसे। यहां वन चौकी महज 60 साल के दैनिक वेतनभोगी चौकीदार भोला के हवाले थी। भोला यहां अपनी पत्नी के साथ यहां रहता है। बदमाश उसे थप्पड़ मारकर बदमाश बंदूकें छीनकर ले गए। करीब 17 बंदूकें ले जाने की बात सामने आई है। बताया जा रहा है कि 10 स्टॉक रजिस्टर में दर्ज थीं, बाकी अन्य चौकियों की बंदूकें भी यहां रखी हुई थीं।
चौकीदार बोला- चोरों ने मुझे पीटा
चौकीदार भोला ने बताया कि रात में चोर आए थे। वो बहुत सारे लाेग थे। उन्होंने मेरे साथ मारपीट की। बंदूक कितनी थीं, यह ताे डिप्टी रेंजर ही बता पाएंगे। यहां की 11 बंदूकें थीं। बाकी नीम सिटी चौकी क्षेत्र की बंदूकें भी यहां रखी हुई थीं। डिप्टी सर तो 2 महीने से यहां नहीं आए हैं।
पहले भी हो चुके हमले
नावरा रेंज के जंगल में 200 से ज्यादा लोगों ने कब्जा कर रखा है। अतिक्रमणकारी 2 महीने से लगातार जंगल की कटाई कर रहे हैं। इनको रोकने पर पुलिस और वन विभाग की टीम पर पहले भी हमले हो चुके हैं। इस रेंज में अब 2 दिन से ड्रोन से निगरानी हो रही है। 800 से ज्यादा पुलिस, वनकर्मियों और बीएसएफ बल को बुलाया गया है।
बड़ा एक्शन लेने की तैयारी
नावरा रेंज में जंगलराज को पूरी तरह खत्म करने की तैयारी चल रही है। जंगल में घुसकर बैठे 200 से ज्यादा अतिक्रमणकारियों को खदेड़ने के साथ अतिक्रमण को मुक्त कराने जल्द बड़ा अभियान होगा। इसकी तैयारी के लिए बीएसएफ, पुलिस और वन विभाग का 800 से ज्यादा का बल बुलाया गया है। घाघरला में निगरानी सेंटर बनेगा। यहां सबसे ज्यादा अतिक्रमण है। एसपी राहुल कुमार लोढ़ा ने कहा कि अतिक्रमण को हटाने के लिए बड़े स्तर पर कार्रवाई जरूरी है। इसके लिए हम तैयारी कर रहे हैं। बड़ी कार्रवाई कर अतिक्रमणकारियों को खदेड़ा जाएगा।
8 अक्टूबर से जंगल कटाई में आई तेजी
नावरा रेंज में यूं तो लंबे समय से कटाई हो रही है, लेकिन इसमें 8 अक्टूबर 2022 से तेजी आ गई। अक्टूबर में अतिक्रमणकारियों ने पानखेड़ा बीट का जंगल काट डाला। सख्ती दिखाने पर वनकर्मियों पर लगातार हमले किए गए। 4 दिन पहले 300 से अधिक अतिक्रमणकारी घाघरला के जंगल में घुस आए और कटाई करने लगे, लेकिन यहां के ग्रामीणों ने आवाज उठाना शुरू कर दी। रविवार को ग्रामीणों ने कलेक्टर से मुलाकात की। सोमवार को भी ग्रामीणों ने बुरहानपुर पहुंचकर नारेबाजी कर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन एडीएम शैलेंद्र सिंह सोलंकी को सौंपा था।
ये हैं हालात...
बुरहानपुर में 1.90 लाख हेक्टेयर जंगल, 57 हजार हेक्टेयर पर अतिक्रमण
बुरहानपुर जिले में 1 लाख 90 हजार 100 हेक्टेयर जंगल है। 57 हजार हेक्टेयर में लाखों पेड़ काटने के बाद अतिक्रमण हो चुका है। 2018 के बाद से यहां अतिक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है। अधिकांश अतिक्रमणकारी खंडवा, खरगोन, बड़वानी जिले के रहने वाले हैं। इससे पहले ये बड़वानी में जंगल का सफाया कर चुके हैं।
जिले में 8 रेंज, कहीं सुरक्षित नहीं जंगल
जिले में वन विभाग की असीरगढ़, धुलकोट, नेपानगर, नावरा, बुरहानपुर, खकनार, शाहपुर और बोदरली 8 रेंज हैं। खास बात यह है कि कोई रेंज ऐसी नहीं है, जहां जंगल नहीं कटता हो। वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार 2017 तक ही जिले का 55 हजार हेक्टेयर क्षेत्र अतिक्रमण की जद में आ चुका था। बाद में 2 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में और अतिक्रमण कर लिया गया।
5 साल में जिले का इतना जंगल कट चुका
2018 | 200 हेक्टेयर |
2019 | 700 हेक्टेयर |
2020 | 500 हेक्टेयर |
2021 | 100 हेक्टेयर |
2022 | अब तक नावरा रेंज में 123 हेक्टेयर |
272 अफसर और कर्मचारी ...बंदूकें महज 26
बुरहानपुर जिले में वन विभाग में अफसरों से लेकर वनरक्षक तक 272 लोगों का अमला है। इन पर 1 लाख 90 हजार 100 हेक्टेयर जंगल की सुरक्षा की जिम्मेदारी है। हालात यह हैं कि विभाग के पास सिर्फ 26 बंदूकें और 4 पिस्टल हैं। यह पिस्टल चार रेंजर को दी गई है। जबकि, जिले में आठ रेंजर हैं। विभाग के पास पर्याप्त हथियार नहीं हैं। हर बार टीम हमला होने पर जान बचाकर भागती है।
पहले भी हुए हमले...
3 साल में 10 से ज्यादा हमले
3 साल में फॉरेस्ट और पुलिस टीम पर 10 से ज्यादा हमले हो चुके हैं। इन हमलों में कई बार ग्रामीण भी घायल हुए हैं। इसी महीने 11 अक्टूबर को जामुन नाला, 19 अक्टूबर को बाकड़ी में वनकर्मियों पर हमला हो चुका है। बुरहानपुर में खरगोन और बड़वानी से भी अतिक्रमणकारी आकर बस गए हैं।
1 महीने पहले वारंट निकला तो धनुष-बाण, फरसा लेकर उतरे
बुरहानपुर में फॉरेस्ट टीम के खिलाफ आदिवासी धनुष-बाण, कुल्हाड़ी और फरसा लेकर सड़क पर उतर आए। 1 महीने पहले फॉरेस्ट टीम जंगल में पेड़ काटे जाने पर सर्च वारंट लेकर पहुंची थी। महिलाओं ने टीम से झूमाझटकी की और पथराव भी किया। घटना बुरहानपुर जिले के सीवल की है। फॉरेस्ट टीम मौके से वापस लौट आई और सीधा नेपानगर थाने जाकर इसकी शिकायत की। बताया जा रहा है कि टीम के नेपानगर जाते ही सुबह 10 बजे जंगल में छिपे बैठे अतिक्रमणकारियों ने सीवल में धनुष-बाण, फरसे और कुल्हाड़ी लेकर जुलूस निकाला। पढ़िए पूरी खबर
11 अक्टूबर को सीवल बाकड़ी क्षेत्र में ही हुआ था हमला
11 अक्टूबर 22 को इसी सीवल बाकड़ी क्षेत्र में जामुननाला के के पास अज्ञात अतिक्रमणकारियों ने वनकर्मियों पर हमला किया था। bसमें रेंजर सहित कुछ वनकर्मी घायल हुए थे। अब इसी क्षेत्र की वन चौकी को अतिक्रमणकारियों ने निशाना बनाया। 3 साल पहले घाघरला में भी अतिक्रमणकारियों ने एक बार बंदूकें छीनी थी। काफी दिनों बाद वापस लौटाई थी। तब यहां प्रशासन ने संयुक्त कार्रवाई कर अतिक्रमणकारियों को जंगल से खदेड़ा था।
2019 में हुई थी हवाई फायरिंग, मजिस्ट्रियल जांच आज तक सार्वजनिक नहीं
2019 में बदनापुर में तेजी से हो रहे अतिक्रमण को रोकने के लिए वनकर्मियों की टीम पहुंची थी। तब अतिक्रमणकारियों और वनकर्मियों के बीच झड़प हुई थी। इस दौरान वनकर्मियों द्वारा हवाई फायरिंग की गई थी। इसकी मजिस्ट्रियल जांच भी हुई थी, लेकिन उस जांच को आज तक सार्वजनिक नहीं किया गया।
नावरा रेंज में सागौन का जंगल...
बुरहानपुर जिले की वन रेंज में सागौन के पेड़ बड़े पैमाने पर हैं। खासकर नावरा रेंज में। सागौन के पेड़ में दीमक नहीं लगती। लकड़ी मजबूत होती है और ये फिनिशिंग भी अच्छी देती है। इसकी इसी खासियत की वजह से इसे फर्नीचर बनाने में ज्यादा उपयोग किया जाता है। सागौन की लकड़ी की बाजार में अच्छी कीमत भी मिल जाती है।
क्यों हो रहा विवाद....
2006 में वनाधिकार अधिनियम लागू हुआ है। इसके तहत आदिवासियों को वनाधिकार के पत्र यानी जमीन के पट्टे दिए जाते हैं। जनजातीय विभाग के अनुसार, वनाधिकार अधिनियम 2006 लागू होने के बाद से पट्टा वितरण प्रोसेस चालू कर दी गई थी। तब से लेकर अब तक जिले में 8005 वनाधिकार पत्र ऐसे पात्र दावेदारों को दिए गए हैं, जो 2005 से पहले वन क्षेत्र में काबिज थे, लेकिन यहां धीरे-धीरे बाहरी अतिक्रमणकारी आकर बसते गए और कई फर्जी दावे भी लगा दिए गए।
खास बात यह है कि जिले में सबसे अधिक नेपानगर क्षेत्र में करीब 3 हजार से ज्यादा पट्टे बंटे हैं। इसमें नेपानगर, सीवल, मांडवा, सागफाटा, नावरा, सांईखेड़ा, गोलखेड़ा सहित अन्य वन क्षेत्र शामिल हैं। जबकि, अन्य पट्टे बुरहानपुर और खकनार क्षेत्र में बंटे हैं। 5944 पेंडिंग हैं, लेकिन इस पेंडेंसी की मुख्य वजह यह है कि इसमें कई दावेदार 2005 के बाद आकर जिले में बसे हैं या फिर किसी के परिवार ने एक बार लाभ ले लिया है, उसी परिवार का दूसरा सदस्य लाभ लेने के चक्कर में है।
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