समाज सुधारक, विचारवंत, महात्मा ज्योतिबा फुले की पुण्यतिथि पर सोमवार को शहर में स्थित उनकी प्रतिमा पर विभिन्न संगठनों व गणमान्य नागरिकों ने माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया। माली समाज के जिलाध्यक्ष प्रभाकर चौधरी ने बताया महात्मा ज्योतिबा फुले दलितों, पिछड़ों के मसीहा थे। उन्होंने दलितों, पिछड़ों को शिक्षा का अधिकार दिलाया। अपनी पत्नी सावित्रीबाई फुले को भारत की प्रथम महिला शिक्षिका बनाकर नारी शिक्षा की अलख जगाई।
अनेकों पाठशाला खोली तथा सत्यशोधक समाज की स्थापना की। हिंदू जागरण मंच जिलाध्यक्ष ठा प्रियांक सिंह ने कहा महात्मा ज्योतिबा फुले बहुत बुद्धिमान थे। उन्होंने मराठी में अध्ययन किया। वे महान क्रांतिकारी, भारतीय विचारक, समाजसेवी, लेखक एवं दार्शनिक थे। महज 13 साल की उम्र में 1840 में ज्योतिबा का विवाह सावित्रीबाई से हुआ था। महाराष्ट्र में धार्मिक सुधार आंदोलन जोरों पर था।
जाति-प्रथा का विरोध करने और एकेश्वरवाद को अमल में लाने के लिए ‘प्रार्थना समाज’ की स्थापना की गई थी। समाजसेवी विनोद लोढे, हीरालाल माली ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर अशोक पाटिल, पंडित माली, हरीभाऊ महाजन, रविंद्र महाजन, प्रभाकर महाजन, राजू सोनवणे, भावेश सावले, मनीष पोद्दार, बंटी नागोरी आदि मौजूद थे।
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