एक हजार से ज्यादा आदिवासी अवैध वन कटाई और वनाधिकार के लंबित मामलों के निराकरण नहीं होने के विरोध में कलेक्टोरेट पहुंचे। यहां ढाई घंटे तक घेराव किया। घूंघट में आदिवासी महिलाओं ने हुंकार लगाते हुए जंगल की कटाई के लिए वनकर्मियों को दोषी बताया। कहा कि वन विभाग के मैदानी कर्मचारी ही अवैध वन कटाई करवा रहे हैं। फिर आदिवासियों को आरोपी बनाकर जेल भेज रहे हैं।
आदिवासियों ने सरकार पर मूलभूत जरूरत को पूरा करने के बजाय जंगलों को निजी हाथों में बेचने के लिए कानून पास करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा 10 हजार से ज्यादा वनाधिकार के मामले लंबित हैं, उन्हें निरस्त करने के लिए कागजों पर ग्राम सभा होती है। ग्राम सभा में बिना कोरम पूरा किए केस निरस्त किए जा रहे हैं। आदिवासी जाग्रत संगठन की माधुरी बेन ने कहा- सीएम राइज योजना आदिवासी क्षेत्रों में लाई जा रही है, जिसके बाद दर्जनों स्कूलों को बंद करने की योजना है। ऐसे में आदिवासी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा भी नहीं मिलेगी। प्रदर्शन के दौरान बड़ी संख्या में पुलिस बल भी तैनात किया गया था।
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