बीते रात सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 6 घंटे तक प्रसव के लिए तड़पती रही गर्भवती महिला और रेफर किए जाने पर रास्ते में डिलेवरी होने तथा नवजात की मौत हो जाने के मामले में मानव अधिकार आयोग भोपाल ने कलेक्टर और सीएमएचओ से एक माह के अंदर जवाब मांगा है।
बुधवार 22 जून की शाम को थाना नौगांव क्षेत्र के बरट सड़ेरी से ज्ञान राजपूत नाम की महिला अपनी गर्भवती बहू को प्रसव के लिए नौगांव अस्पताल लेकर आई थी। नर्सों ने बताया था कि रात 9 से 10 बजे तक डिलेवरी हो जाएगी, लेकिन इस अवधि में डिलेवरी नहीं कराई और गर्भवती को रेफर कराने की सलाह दी।
करीब 6 घंटे तक गर्भवती महिला प्रसव के लिए इंतजार करती रही। अंत में उसे जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। रेफर होने के बाद उसे एम्बुलेंस की सुविधा भी नहीं मिली। एक स्थानीय मीडिया कर्मी ने निजी वाहन से जिला अस्पताल भिजवाया।
गर्भवती की नवोदय स्कूल के पास एम्बुलेंस में ही डिलेवरी हो गई, उसने बच्चे को जन्म दे दिया। बच्चे की मौत हो गई थी। प्रसव के बाद बच्चे की मौत हुई या मां के गर्भ में ही, यह जांच का विषय है। मामले में अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही सामने आई।
एक माह में दें रिपोर्ट- इस मामले में त्वरित संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार जैन ने कलेक्टर छतरपुर और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी छतरपुर से एक माह में जवाब मांगा है। आयोग अध्यक्ष ने कहा है कि मामले की जांच कराकर जांच रिपोर्ट भेजें। साथ ही यह भी पूछा है कि पीड़िता को कोई मुआवजा राशि दी गई है या नहीं?
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