जिले के अस्पतालों में डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों का टोटा है। कस्बों और ग्रामीण क्षेत्र में संचालित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं उप स्वास्थ्य केंद्र विभाग की उपेक्षा के शिकार हैं। कुछ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ऐसे हैं जहां डॉक्टर ही नहीं हैं। वहीं अधिकांश उप स्वास्थ्य केंद्र केवल नर्स के ही भरोसे ही संचालित हाे रहे हैं। ऐसी हालत में हर व्यक्ति को समुचित उपचार और स्वास्थ्य लाभ पहुंचाने की शासन की मंशा पर विभागीय अनदेखी के चलते पानी फिर रहा है।
इस गंभीर मामले में स्वास्थ्य अधिकारियों के पास केवल कहना रहता है कि उनके पास डॉक्टरों और स्टाफ की कमी है। ग्रामीण क्षेत्रों में हालात यह हैं कि लोगों को गंभीर बीमार परिजन को लेकर दूर-दराज या फिर जिला अस्पताल इलाज कराने जाना पड़ता है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में डॉक्टरों की कमी
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के हाल भी काफी खराब हैं। गौरिहार में डॉक्टर के 5 पद हैं, लेकिन यहां केवल 2 ही डॉक्टर तैनात हैं। लवकुशनगर में 8 पद हैं, लेकिन यहां 3 डॉक्टर ही तैनात हैं। खजुराहो में 4 पद स्वीकृत हैं लेकिन यहां केवल एक डॉक्टर पदस्थ है। विश्व पर्यटन क्षेत्र होने के बावजूद यहां कोई महिला चिकित्सक ही नहीं है।
रामटौरिया में दो डॉक्टर एक साल से आए ही नहीं
बड़ामलहरा जनपद क्षेत्र के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रामटौरिया में डॉ. पूजा सिंह परमार 7 माह पहले और डॉ.अश्विनी वर्मा सवा साल पहले पदस्थ हुए थे। लेकिन पदस्थापना के बाद से दोनों अस्पताल में आए ही नहीं। डॉ. अश्विनी बड़ामलहरा बीएमओ डॉ. केपी बमौरिया के बेटे हैं, इसी ठसक के कारण वह अस्पताल नहीं आते। ऐसी हालत में यह अस्पताल एक साल से कम्पाउंडर, एक स्टाफ नर्स और एएनएम के भरोसे चल रहा है। यहां इलाज के नाम पर केवल सर्दी, बुखार, पेट दर्द आदि की दवा मिल जाती है। बाकी मरीजों को घुवारा या टीकमगढ़ रेफर कर दिया जाता है।
चंदवारा उप स्वास्थ्य केंद्र 30 में से 10 दिन ही खुलता
गौरिहार जनपद के ग्राम रामपुर में उप स्वास्थ्य केंद्र है, यहां रामपुर, बलरामपुर, महारानी, इंद्रपुरी के लोग इलाज कराने आते थे। यहां एक सीएचओ एवं एक नर्स तैनात हैं। लेकिन अस्पताल में अक्सर ताला लटका रहता है। वहीं चंदवारा उप स्वास्थ्य केंद्र महीने में केवल 10 दिन ही खुलता है, बाकी दिनों यहां ताला लटका रहता है। इलाज कराने बारीगढ़ या लवकुशनगर जाना पड़ता है।
लखनवा : एक साल से डॉक्टर विहीन है अस्पताल
बिजावर जनपद के ग्राम लखनवा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 2 डॉक्टर के पद स्वीकृत हैं। लेकिन एक साल से यहां कोई डॉक्टर ही तैनात नहीं है। यहां कम्पाउंडर अस्पताल चला रहा है। मरीजों को सटई रेफर किया जाता है। यही हाल देवरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का है। यहां भी 2 डॉक्टर के पद हैं, एक महिला डॉक्टर पदस्थ हुईं, लेकिन वह महीनों से नहीं आईं।
बमनौरा : महीने में दो बार अस्पताल आते हैं डॉक्टर
घुवारा क्षेत्र के बमनौरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉ. अरुण शुक्ला पदस्थ हैं। लेकिन वह महीने में केवल दो या तीन दिन ही अस्पताल आते हैं। अपनी ड्यूटी की औपचारिकता पूरी कर वापस लौट जाते हैं। यहां की व्यवस्थाएं एवं इलाज की जिम्मेदारी कंपाउंडर और नर्सें ही निभाती हैं। इस क्षेत्र के मरीजों को इलाज के लिए घुवारा या बड़ामलहरा जाना पड़ता है।
मुड़ेरी : दो माह से कोई डॉक्टर ही तैनात नहीं हुआ
लवकुशनगर क्षेत्र के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मुड़ेरी में डॉ. एसडी मिश्रा के सेवानिवृत्त होने के बाद से लंबे समय तक कोई डॉक्टर नहीं रहा। कुछ समय पहले यहां डॉ. चारू चौरसिया तैनात हुईं, लेकिन वह भी कभी कभार ही यहां आईं। विरोध होने पर उन्होंने अपना स्थानांतरण बारीगढ़ करवा लिया। अब दो माह से मुड़ेरी में कोई डॉक्टर ही तैनात नहीं है। एक भृत्य और एक अन्य कर्मचारी के भरोसे अस्पताल है।
सीएमएचओ डॉ. लखन तिवारी का कहना है कि रामटौरिया के डॉक्टरों की लापरवाही अधिक है। कई बार चैक करने गया तो उन्हें भनक लग गई और वह पहुंच गए। अब किसी दूसरे मार्ग से जाकर निरीक्षण करूंगा। जहां भी डॉक्टर नहीं पहुंच रहे, वहां गोपनीय ढंग से निरीक्षण करूंगा। सभी बीएमओ को निर्देशित करता हूं कि जो डॉक्टर नहीं पहुंच रहे, उनके खिलाफ प्रतिवेदन दें। अस्पताल नियमित खुलने चाहिए। व्यवस्थाओं में सुधार के लिए हर संभव प्रयास करूंगा। लापरवाहों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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