उप्र में उनई के शिवकुमार चौरसिया गंभीर रूप से बीमार होने के कारण उनके शरीर में मात्र 2 प्रतिशत हीमोग्लोबिन बचा था। जानकारी लगने पर डॉ. अरुणेंद्र शुक्ला ने रक्तदान कर उसकी सहायता की। डॉ. शुक्ला अब तक जरूरतमंद लोगों के लिए 18 बार रक्तदान कर चुके हैं। डॉक्टर ने कहा कि रक्तदान करने से शरीर को कोई हानि नहीं होती, इसलिए वे हर तीन माह में रक्तदान कर पीड़ितों की मदद करते हैं।
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