अधिवक्ता संघ की जिला इकाई ने जिला और सत्र न्यायाधीश के माध्यम से उच्च न्यायालय जबलपुर के मुख्य न्यायाधीश को ज्ञापन भेजा है। यह ज्ञापन उच्च न्यायालय के पत्र क्र. ए-4 के संदर्भ में निर्धारित 25 केसों मे पैरवी करने के लिए अधिवक्ताओं पर दबाव होने के कारण उन पर हो रहे प्रतिकूल प्रभाव के संबंध में है।
अधिवक्ता संघ के जिलाध्यक्ष एडवोकेट राकेश कुमार दीक्षित ने बताया कि उच्च न्यायालय द्वारा 25 केसों को रजिस्टर्ड कर तीव्र सुनवाई की जा रही है जिससे अधिवक्तागणों की पैरवी के लिए छतरपुर न्यायालय के अतिरिक्त लवकुशनगर, राजनगर, नौगांव, बिजावर और बड़ामलहरा न्यायालय जाना पड़ता है। सभी न्यायालयों के प्रकरण एक ही दिनांक को सुनवाई के लिए नियत होते हैं जिससे अधिवक्ता सभी जगह एक साथ पैरवीं नहीं कर पाते। यही कारण है कि अधिवक्तागणों पर कार्य का अत्याधिक बोझ है और वे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित हो रहे हैं। ज्ञापन के माध्यम से उच्च न्यायालय जबलपुर की इस प्रक्रिया को समाप्त किए जाने की मांग की गई है। मांग पूरी नहीं होने पर आगामी दिनों में लोक अदालत का बहिष्कार करने की चेतावनी दी गई है।
2 दिन की कलमबंद हड़ताल पर अधिवक्ता...
वहीं जिले के लवकुशनगर तहसील प्रांगण में अधिवक्ता संघ के बैनर तले वकीलों ने 2 दिवसीय कलमबंद हड़ताल मंगलवार को शुरु की है। अधिवक्ता संघ के नगर अध्यक्ष राजकिशोर तिवारी और उपाध्यक्ष दुर्गाप्रसाद अवस्थी ने बताया कि यह हड़ताल उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा निचली अदालतों को 5 साल पुराने 25-25 प्रकरणों की सूची तैयार कर शीघ्र निराकरण करने के संबंध में दिए गए निर्देशों के विरोध में की जा रही है क्योंकि उक्त निर्देश का पालन करने में अधिवक्ताओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय की यह प्रक्रिया न तो अधिवक्ताओं के हित में है और न ही पक्षकारों के। बुधवार को हड़ताल के बाद अगर मांग पूरी नहीं हुई तो अधिवक्ता लोकतांत्रिक तरीके से लोक अदालतों का बहिष्कार करेंगे।
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