देवास में पदस्थ जिला खनिज अधिकारी एमएस खतेड़िया फैक्ट्री मालिक निकला। उसने बेटे को भी सरकारी ठेकेदार बनाकर रखा था। लोकायुक्त की टीम ने उनके चार ठिकानों पर मंगलवार को दबिश दी। टीम ने देवास के अलावा इंदौर के तुलसीनगर में स्थित मकान, उज्जैन के मकान और पीथमपुर की क्रेशर प्लांट में सर्चिंग की। सुबह से शुरू हुई कार्रवाई देर शाम तक चली। उनके पास आलीशान मकान, लग्जरी कारों के साथ नकदी और लाखों के जेवर मिले हैं।
लोकायुक्त ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में केस दर्ज किया है। अधिकारी ने नौकरी से करीब सवा करोड़ रुपए वेतन के रूप में लिए, जबकि जांच में आय से करीब छह गुना अधिक मूल्य की अचल और चल संपत्ति मिली है। इंदौर में दो टीम, एक टीम पीथमपुर और एक टीम ने उज्जैन ने सर्चिंग की। सुबह 5:30 बजे से लोकायुक्त के अधिकारी ठिकानों पर पहुंचे और दस्तावेजों को खंगाला।
डीएसपी लोकायुक्त, इंदौर आनंद कुमार यादव ने बताया कि डॉ. मोहन सिंह खतेड़िया के यहां से काफी दस्तावेज मिले हैं। वर्तमान में इनका वेतन करीब डेढ़ लाख रुपए है। ये इंदौर के अलावा धार, देवास में पदस्थ रहे हैं। इनकी संपत्तियां उज्जैन, इंदौर, धार जिले में हैं। उज्जैन में मकान, पीथमपुर के ग्राम खंडवा के खेड़ा में RMC प्लांट है। यह बेटे के नाम पर है। इंदौर का तुलसी नगर स्थित मकान भाई के नाम पर है। पिछले पांच महीने से देवास में पदस्थ हैं। इसके पहले वे धार में पदस्थ थे।
सर्चिंग में मिली अचल संपत्ति
चल संपत्ति में यह मिला
जियोलॉजिस्ट से भर्ती बने अधिकारी
डॉ. खतेडिया 1991 में खनिज विभाग में जियोलॉजिस्ट सहायक ग्रेड-2 के रूप में भर्ती हुए थे, जिसके बाद विभागीय अधिकारियों से सांठ-गांठ कर प्रभारी खनिज अधिकारी बन गए। धार जिले में भी खतेड़िया लंबे तक पदस्थ रहे। यहां से एक बार ट्रांसफर हुआ तो कुछ समय बाद फिर से वापस धार में पोस्टिंग करवा ली। पांच महीने पहले ही धार से देवास उनका ट्रांसफर हुआ था।
पिता माइनिंग अधिकारी, बेटा ठेकेदार
विभागीय सूत्रों के अनुसार जिला खनिज अधिकारी रहते हुए खतेड़िया ने अपने बेटे नयन को सरकारी ठेकेदार बनाया। जिस जिले में खतेड़िया पदस्थ रहते थे, उस क्षेत्र के सरकारी काम अपने बेटे को दिला दिया करते थे। इसके अलावा खदान वालों से औने-पौने दाम पर गिट्टी और रेत के ट्रक सस्ते दाम पर दिलाने का दबाव भी बनाते थे। पहले बेटे नयन द्वारा इंदौर के पास ग्राम सनावदिया में आरएमसी प्लांट डाला गया था, लेकिन जब पिता को धार में पदस्थापना मिली तो बेटे ने जुगाड़ लगाकर प्लांट भी पीथमपुर में स्थानांतरित कर लिया था। ठेकेदार बेटे की कंपनी में 4 बल्कर जैसे बड़े वाहन हैं, इन वाहनों से बड़े प्लांट से राख लाकर सीमेंट फैक्ट्री में डाली जाती है।
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