नालछा ब्लॉक के ग्राम कागदीपुरा में शनिवार को दिगंबर जैन संत आचार्य वर्धमान सागर का मंगल प्रवेश हुआ है। इस मौके पर उन्होंने अति क्षेत्र मंदिर पहुंचकर दर्शन कर कहा कि चित्त प्रसन्नता से ही जीवन सुखद होता है। चित्त प्रसन्नता में कार्य के प्रति उत्साह होता है। प्रसन्नता ही विकास के लिए आवश्यक है। निर्मल चित्त में ही आनंद आता है। चित्त प्रसन्नता में निमित्त भी पवित्र ही मिलते हैं। निर्मल चित्त वाला ही विशिष्ट चरित्र का पालन कर सकता है। उत्साहहीन व्यक्ति अर्ध मृतक सम जीवन जीता है। लौकिक हो या पारमार्थिक दोनों ही कार्यों की संपन्नता के लिए आत्म प्रसन्नता, उत्साह अनिवार्य है। श्रेष्ठ कार्य के लिए चित्त की पवित्रता का होना आवश्यक है। जिसका चित्त भ्रांत है, उसके संपूर्ण कार्य ही भ्रांत होते हैं।
सत्संग सुन कर मूर्ख व्यक्ति भी सुधर जाता है
इस दौरान आचार्य वर्धमान सागर ने कहा कि जिस प्रकार पारस पत्थर के स्पर्श से लोहा सोना बन जाता है ठीक उसी प्रकार सत्संग सुनकर मूर्ख भी सुधर जाते हैं। महाराज ने कहा कि व्यक्ति को कुछ समय परमात्मा सिमरन के लिए निकालना चाहिए। हमें अपनी पूरी उम्र दुनियावी कामों में नहीं बितानी चाहिए। उन्होंने कहा कि इंसान अपना खानपान शुद्ध रखे। जो व्यक्ति शुद्ध खानपान रखता है, उसकी सोच विचार शुद्ध होते हैं। इसलिए मांसाहारी भोजन से बचें। उन्होंने कहा कि खानपान का असर हमारी सोच पर पड़ता है, इसलिए साधु संतों ने शराब, मांसाहारी भोजन से दूर रहने का संदेश दिया है।
यह कार्यक्रम हुए मंगल प्रवेश के दौरान
पूजा-अर्चना के साथ भजन कीर्तन की प्रस्तुति हुई। वही महाराज श्री के चरणों में सभी अनुयायियों ने उनका आशीर्वाद लेकर उनकी भक्ति कीर्तन किया। इस अवसर पर प्रसिद्ध भजन गायक नितिन गंगवाल आकर्षक प्रस्तुति दी धार्मिक भजनों की। इस अवसर पर विनय जैन, प्रवीण गोधा, आशीष जैन सुरेश गंगवाल, मुकेश गंगवाल, नवीन गोधा, दिलीप गंगवाल, नितिन गंगवाल, अशोक कासलीवाल, नरेंद्र जैन, दिगंबर समाज की महिला मंडल मंजू गोधा, चेतना छाबड़ा, इंदिरा गंगवाल, सरला गंगवाल, रानी गंगवाल मौजूद रहे।
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