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भास्कर एक्सक्लूसिववाग्देवी की वो प्रतिमा जिसे मुगलों ने खंडित किया था...:अंग्रेजों ने लंदन में बक्से में कैद किया; देखिए वहां से लाइव रिपोर्ट

धार4 महीने पहलेलेखक: राजीव तिवारी
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कल यानी 26 जनवरी को बसंत पंचमी है। इस दिन धार की भोजशाला में वाग्देवी यानी सरस्वती की पूजा होती है। इस भोजशाला को मुस्लिम मस्जिद मानते हैं, तो हिंदू भोजशाला। बसंत पंचमी पर भोजशाला को लेकर विवाद भी लगातार होते रहे हैं। इस बीच हम आपको भोजशाला की मां वाग्देवी की प्रतिमा के दर्शन करा रहे हैं, जो 114 साल से लंदन के ब्रिटिश म्यूजियम ग्रेट रसल स्ट्रीट में रखी है। मुगलों के आक्रमण के बाद खंडित हुई इस प्रतिमा को अंग्रेजों ने खुदाई कर 1875 में निकाला था।

लंदन से इंटरनेशनल बिजनेस की पढ़ाई कर रहे धार के कृष पाल ने ब्रिटिश म्यूजियम ग्रेट रसल स्ट्रीट से भास्कर के लिए रिपोर्टिंग की। वे डेढ़ साल से लंदन में हैं। वे परिचितों से पूछकर 24 जनवरी को ब्रिटिश म्यूजियम, ग्रेट रसल स्ट्रीट पहुंचे, जहां मां वाग्देवी की प्रतिमा रखी हुई है। ये प्रतिमा धार की भोजशाला पर मुगलों के आक्रमण से खंडित हो गई थी। इसकी दो भुजा टूटी हुई हैं। जानिए कृष पाल ने लंदन में क्या कुछ देखा और बताया...

मैं कृष पाल। उम्र-23 साल। जब से होश संभाला तब से हर बसंत पंचमी पर भोजशाला का नाम सुना। भोजशाला के नाम पर हो रहे विवाद और दंगे मेरे जेहन में आज भी ताजा हैं, इसलिए यहां का इतिहास जानने के लिए बहुत सारी किताबें पढ़ीं। बचपन में दादा-नानी से कहानियों में भोजशाला और मां वाग्देवी के बारे में सुना था। फिर मां वाग्देवी की असली प्रतिमा काे देखने की इच्छा हुई, लेकिन वहां तक पहुंचना आसान नहीं था, क्योंकि यह प्रतिमा लंदन के ब्रिटिश म्यूजियम ग्रेट रसल स्ट्रीट में रखी है। इसे भारत लाने को लेकर भोज उत्सव समिति 1952 से संघर्ष कर रही है। कई बार दंगे हुए, लोगों ने लाठियां तक खाईं, लेकिन अब तक मां की प्रतिमा के आने का इंतजार है।

कृष पाल ने वीडियो कॉल पर ग्रेट रसल स्ट्रीट में स्थित ब्रिटिश म्यूजियम को दिखाया। वे पहली बार मां की प्रतिमा को देखकर भाव-विभोर हो गए। यहां हमारे देवी-देवताओं की 100 से ज्यादा प्रतिमाएं हैं। म्यूजियम में दो प्रतिमाएं आसपास रखी हैं। करीब 7 से 8 फीट ऊंचे कांच के बॉक्स में मां की 4 से 5 फीट ऊंची प्रतिमा के पास ही पूरी प्रतिमा रखी हुई थी। इस बॉक्स को टच करने की अनुमति नहीं है। इस पर प्रतिमा के बारे में पूरा उल्लेख चस्पा है।

म्यूजियम में यूएस, अफ्रीका, चीन समेत एशिया के कई देशों की प्रतिमाएं रखी हुई हैं। भोज की नगरी नरेशचंद्र नगरी विद्याधरी शांभरी... अर्थात राजा भोज की नगरी की विद्या की देवी। सफेद पत्थर की चार भुजा वाली सुंदर प्रतिमा के नीचे लिखे 1034 ईस्वी के शिलालेख पर यह पंक्तियां अंकित हैं। हालांकि हिंदूवादी संगठन भले ही इसे वाग्देवी की प्रतिमा बताते हों, लेकिन मूर्ति की पहचान के लिए म्यूजियम में जो जानकारी दी गई है, उसमें इसे जैन देवी अम्बिका बताया गया है। यह प्रतिमा 1909 में लंदन लाई गई थी।

कृष पाल ने वीडियो कॉल पर लंदन में स्थित इस म्यूजियम को दिखाया और फिर भीतर पहुंचकर मां वाग्देवी की प्रतिमा के दर्शन भी करवाए।
कृष पाल ने वीडियो कॉल पर लंदन में स्थित इस म्यूजियम को दिखाया और फिर भीतर पहुंचकर मां वाग्देवी की प्रतिमा के दर्शन भी करवाए।

लंदन में मां वाग्देवी की प्रतिमा के सामने दंडवत प्रणाम किया

मां वाग्देवी की प्रतिमा को निहारने लंदन गए धार के ही इंटीरियर डिजाइनर दीप पटेल ने दैनिक भास्कर से बात की। उन्होंने बताया कि भोजशाला में मां की तस्वीर के तो कई बार दर्शन किए, लेकिन असली प्रतिमा को देखने का मन होता था। करीब 6 साल पहले लंदन जाने का मौका मिला। मैं अपने पिता विजय पटेल और मां के साथ 15 दिन के लिए लंदन पहुंचा। हम यहां मौसी के घर वेलिंग्टन में रुके। उनसे रास्ता समझा और निकल पड़े मां के दर्शन के लिए। ट्रेन और टैक्सी की मदद से दो घंटे के सफर के बाद हम खड़े थे ब्रिटिश म्यूजियम ग्रेट रसल स्ट्रीट के सामने। कड़ी सुरक्षा के बीच जांच प्रक्रिया से गुजरे।

गेट पर आने का कारण पूछा, नाम व पता लिखा गया। इसके बाद एक नक्शा देते हुए कहा- हमारा म्यूजियम बहुत बड़ा है। यहां सेक्शन बने हुए हैं, जिसमें दुनियाभर से लाई गई वस्तुएं-प्रतिमाएं, ऐतिहासिक महत्व की चीजें देश के हिसाब से रखी गई हैं। हमने भारत का सेक्शन चुना। भारत और चीन के सेक्शन आमने-सामने हैं। उसमें भव्य हॉल में भारत से ले जाई गई वस्तुएं-प्रतिमाएं रखी थीं। 100 से अधिक प्रतिमाओं के बीच मां वाग्देवी की प्रतिमा भी थी। हमने मां को प्रणाम किया। परमिशन लेकर फोटो और वीडियो कॉल कर धार के रिश्तेदारों, दोस्तों को दर्शन करवाए। मां वाग्देवी की प्रतिमा के पास ही मां दुर्गा, गणेशजी की प्रतिमा के साथ भगवान महावीर समेत कई अन्य जैन तीर्थंकरों और बुद्ध की प्रतिमाएं भी रखी थीं।

बचपन से भोजशाला और विवाद को सुनने के बाद दीप पटेल से भी रहा नहीं गया। वे अपने माता-पिता के साथ लंदन पहुंचे और मां वाग्देवी के दर्शन किए उन्हें दंडवत प्रणाम किया।
बचपन से भोजशाला और विवाद को सुनने के बाद दीप पटेल से भी रहा नहीं गया। वे अपने माता-पिता के साथ लंदन पहुंचे और मां वाग्देवी के दर्शन किए उन्हें दंडवत प्रणाम किया।

भोजशाला को हुए विवादों के बाद व्यवस्था में बदलाव भी किए गए

1995 में हुए विवाद के बाद से यहां मंगलवार को पूजा और शुक्रवार को नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई। 12 मई 1997 को कलेक्टर ने भोजशाला में आम लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया। मंगलवार की पूजा पर रोक लगा दी गई। हिंदुओं को बसंत पंचमी पर और मुसलमानों को शुक्रवार को 1 से 3 बजे तक नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई। ये प्रतिबंध 31 जुलाई 1997 को हटा दिया गया।

6 फरवरी 1998 को केंद्रीय पुरातत्व विभाग ने आगामी आदेश तक प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया। 2003 में मंगलवार को फिर से पूजा करने की अनुमति दी गई। बगैर फूल-माला के पूजा करने के लिए कहा गया। पर्यटकों के लिए भी भोजशाला को खोला गया। 18 फरवरी 2003 को भोजशाला परिसर में सांप्रदायिक तनाव के बाद हिंसा फैली। 2003 से हर मंगलवार और बसंत पंचमी पर सूर्योदय से सूर्यास्त तक हिंदुओं को पूजा की अनुमति और शुक्रवार को मुस्लिमों को नमाज की अनुमति दी गई। बाकी पांच दिनों में भोजशाला पर्यटकों के लिए यह खुली रहती है।

2013 में भी बसंत पंचमी और शुक्रवार एक दिन आने पर धार में माहौल बिगड़ गया था। हिंदुओं के जगह छोड़ने से इनकार करने पर पुलिस को हवाई फायरिंग और लाठीचार्ज करना पड़ा था। इसके बाद माहौल बिगड़ गया।इसके बाद साल साल 2016 में भी शुक्रवार के दिन बसंत पंचमी पड़ने से यहां तनाव का माहौल बन गया था।

धार की भोजशाला में पूजा और नमाज की ये है स्थिति

धार के भोजशाला परिसर में मंगलवार को ढोल, झांझ, मजीरे के साथ हिंदू समाज के लोग सुंदरकांड का पाठ करते हैं। इसके अलावा शुक्रवार को मुस्लिम समाज जुमे की नमाज पढ़ता है। बता दें, बाकी दिनों में परिसर सभी धर्म के लोगों के लिए खुला है। वहां कोई भी टिकट लेकर अंदर जा सकता है।

मप्र हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने धार के भोजशाला में नमाज पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका स्वीकार करते हुए आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI), केंद्र सरकार, राज्य सरकार, भोजशाला कमेटी को नोटिस जारी किया है।
मप्र हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने धार के भोजशाला में नमाज पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका स्वीकार करते हुए आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI), केंद्र सरकार, राज्य सरकार, भोजशाला कमेटी को नोटिस जारी किया है।

भोजशाला का इतिहास व इसे लेकर अब तक क्या-क्या संघर्ष हुआ

  • प्रथम आक्रमण के समय भोजशाला के 1400 प्रकाण्ड विद्वानों ने संघर्ष कर अपनी आहुति दी।
  • सन 1305 में अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के समय तत्कालीन राजा महलक देव और गोगा देव ने युद्ध करते हुए वीरगति प्राप्त की।
  • मेहमूद खिलजी के आक्रमण के समय राजपूत सरदार मेदिनी राय ने वनवासियों की सेना बनाकर विद्रोह किया।
  • अंग्रेजों के शासनकाल में सन 1875 में भोपावर के पॉलिटिकल एजेंट मेजर किनकैड ने भोजशाला में खुदाई करवाई। कहा जाता है कि वे मुगल आक्रमणकारियों द्वारा खंडित कर जमीन में गाड़ दी गई वाग्देवी की प्रतिमा को लंदन लेकर गए, जो आज भी ब्रिटिश म्यूजियम ग्रेट रसल स्ट्रीट लंदन में रखी है।
  • सन 1936 में मुसलमानों ने तत्कालीन दीवान नाडकर से नमाज के लिए भोजशाला में जगह मांगी, लेकिन हिंदू समाज के आक्रामक प्रतिकार के कारण इस मंदिर में नमाज नहीं हो सकी।
  • सन 1937 से लेकर 1942 तक नमाज ना पढ़ने देने को लेकर हिंदू समाज ने संघर्ष किया।
  • सन 1942 में धार स्टेट के तात्कालीन राजा ने मुस्लिम समाज को नमाज पढ़ने के लिए बख्तावर मार्ग पर मस्जिद के लिए स्थान दिया, जहां पर आज भी रहमत मस्जिद मौजूद है।
  • राजा के द्वारा दी गई रहमत के कारण ही इसे रहमत मस्जिद का नाम दिया गया।
  • सन 1952 में धार के हिंदू समाज ने महाराज भोज वसंतोत्सव समिति के नेतृत्व में प्रत्येक वसंत पंचमी पर धार्मिक एवं सांस्कृति कार्यक्रमों का आयोजन कर जनजागरण प्रारंभ किया।
  • हिंदूवादी संगठन द्वारा ब्रिटिश म्यूजियम लंदन में कैद मां वाग्देवी की प्रतिमा को लाने का प्रयास शुरू हुआ। सरकार को ज्ञापन देकर इसे लेकर प्रयत्न होने लगे।
  • सन 1961 में इतिहासकार पद्मश्री डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर स्वयं लंदन गए और प्रतिमा को धार की मां वाग्देवी होने को लेकर प्रमाणित किया।
  • वर्ष 1977 के बाद मंदिर परिसर में नमाज प्रारंभ हुई। इस दौरान पूर्व के एक आदेश का उल्लेख कर कुछ लोगों ने षड्यंत्र किया।

नोट- उक्त जानकारी आंदोलन से जुडे समिति के संयोजक गोपाल शर्मा के द्वारा दी गई है।

लंदन के म्यूजियम में रखी मां की प्रतिमा।
लंदन के म्यूजियम में रखी मां की प्रतिमा।

हाईकोर्ट में लगी याचिका, किसी भी पक्ष से नोटिस का जवाब नहीं

भोजशाला विवाद में हिंदुओं का पक्ष रखने के लिए हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस संस्था की ओर से इंदौर हाईकोर्ट में एक याचिका अधिवक्ता हरिशंकर जैन व विष्णु शंकर के माध्यम से लगाई है। अध्यक्ष रंजना अग्निहोत्री सहित संस्था के अन्य सदस्यों ने सामूहिक रूप से मुख्य पांच बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए याचिका 2 मई 2022 को ए‍डमिट की थी। 11 मई 2022 को याचिका पर सबसे पहले सुनवाई शुरू हुई। इंदौर हाईकोर्ट डबल बैंच में यह प्रकरण चल रहा है।

हाईकोर्ट के माध्यम से मौलाना कमालुद्दीन सोसाइटी, धार पुलिस व जिला प्रशासन, प्रमुख सचिव गृह के माध्यम से मध्यप्रदेश गृह विभाग, पुरातत्व अधिकारी मांडू, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण अधीक्षक भोपाल, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण दिल्ली, मुख्य सचिव संस्कृति मंत्रालय नई दिल्ली व श्री महाराज भोज समिति को नोटिस जारी किया गया था। प्रकरण की सुनवाई शुरू हुए करीब 9 महीने बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक किसी भी पक्ष की ओर से नोटिस को लेकर जवाब नहीं आया है।

समिति की मांग- भोजशाला मंदिर पर हिंदू समाज का आधिपत्‍य हो

भोज उत्सव समिति संस्था के प्रदेश उपाध्यक्ष आशीष गोयल ने बताया कि संस्था पहले भी काशी, अयोध्या व मथुरा जैसे मामलों में अपनी ओर से याचिका लगा चुकी है, जिसके सार्थक परिणाम सभी हिंदू समाज के सामने हैं। इस मर्तबा हिंदू फ्रंट ऑफ जस्टिस की ओर से भोजशाला को लेकर याचिका कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की गई। संस्था की प्रमुख मांगों में यह है कि भोजशाला मंदिर पर हिंदू समाज का आधिपत्‍य हो। अवैध रूप से हो रही नमाज बंद हो। लंदन से मां वाग्देवी की मूर्ति लाई जाए।

भोजशाला के पूरे परिसर की फोटो और वीडियोग्राफी करवाई जाए तथा हिंदू समाज को पूरे वर्षभर पूजा-अर्चना का अधिकार मिले। इस प्रकरण को लेकर आगामी सुनवाई अब फरवरी में होगी। अभी तक बैंच के सामने 3 से 4 बार मामला आ चुका है, किंतु नोटिस का जवाब नहीं आने के कारण तारीख आगे बढ़ गई है।

भोजशाला समिति के हेमंत दौराया ने बताया कि लोकसभा चुनाव वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री मोदी जब झाबुआ व धार आए थे, तब भी मूर्ति वापस लाने की मांग को लेकर ज्ञापन प्रेषित किया गया था।
भोजशाला समिति के हेमंत दौराया ने बताया कि लोकसभा चुनाव वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री मोदी जब झाबुआ व धार आए थे, तब भी मूर्ति वापस लाने की मांग को लेकर ज्ञापन प्रेषित किया गया था।

प्रधानमंत्री मोदी से भी कर चुके हैं प्रतिमा को वापस लाने की मांग

भोजशाला समिति के हेमंत दौराया ने बताया कि लंदन से मां वाग्देवी की मूर्ति पुन: वापस लाने के लिए समिति के माध्यम से सालों से संघर्ष किया जा रहा है। इसको लेकर शासन-प्रशासन के समक्ष ज्ञापन भी सौंपा गया है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती सहित अन्य नेताओं को भी ज्ञापन प्रेषित किया गया है। लोकसभा चुनाव वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री मोदी जब झाबुआ व धार आए थे, तब भी मूर्ति वापस लाने की मांग को लेकर ज्ञापन प्रेषित किया गया था।

अब जानते हैं 26 जनवरी को वसंत पंचमी पर क्या-क्या होंगे आयोजन...

वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार करेंगे धर्मसभा को संबोधित

  • 26 जनवरी को बसंत पंचमी पर सुबह 7 बजे मुख्य आयोजन की शुरुआत होगी। शोभायात्रा के साथ शाम 5 बजे आरती के साथ दिन का समापन होगा।
  • सुबह 7 बजे मां सरस्वती यज्ञ की शुरुआत होगी। 11 बजे उदाजीराव चौराहा लालबाग से मां वाग्देवी की शोभायात्रा निकलना प्रारंभ होगी।
  • दोपहर में अभा राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार एवं राज्यसभा सांसद डॉ. सुमेर सिंह सोलंकी धर्मसभा को संबोधित करेंगे।
  • धर्मसभा के बाद दोपहर करीब 1.30 बजे महाआरती होगी। सुबह से लेकर शाम तक वेदारम्भ संस्कार सरस्वती कंठाभरण मंदिर धार में होगा।
  • 27 जनवरी को दोपहर 3 बजे मातृशक्ति सम्मेलन का आयोजन रखा गया है, जिसमें पूजन, आरती एवं हवन-मातृशक्ति के द्वारा भोजशाला में होगा।
  • मुख्‍य अतिथि एवं वक्ता के रूप में संत सिया भारतीजी शामिल होंगी। रात 8 बजे श्री बाबा खाटू श्यामजी का भव्य दरबार एवं भजन संध्या का आयोजन भी होगा।
  • 28 जनवरी को सत्याग्रह के बाद पूजन।
  • 28 जनवरी को दोपहर 1 बजे वाद-संवाद प्रतियोगिता का आयोजन व रात में 9 बजे अभा विराट कवि सम्मेलन का आयोजन रखा गया है। इसके साथ ही तीन दिवसीय आयोजन का समापन भी होगा।
  • 31 जनवरी मंगलवार को सुबह 8.55 बजे नियमित सत्याग्रह होने के बाद अखंड संकल्प ज्योति मंदिर में कन्या पूजन एवं कन्या भोजन का आयोजन भी समिति के माध्यम से रखा गया है।
भोजशाला में 26 जनवरी यानी बसंच पंचमी पर होने वाले आयोजन को लेकर तैयारी शुरू हो गई है। यहां पर यज्ञ वेदी को फूलों से सजाया जा रहा है। आयोजन तीन दिनों तक चलेगा।
भोजशाला में 26 जनवरी यानी बसंच पंचमी पर होने वाले आयोजन को लेकर तैयारी शुरू हो गई है। यहां पर यज्ञ वेदी को फूलों से सजाया जा रहा है। आयोजन तीन दिनों तक चलेगा।

कल सुरक्षा के लिए उज्जैन, इंदौर और झाबुआ से भी आएंगे जवान

32वीं वाहिनी उज्जैन, 24वीं वाहिनी जावरा, 15वीं वाहिनी इंदौर, पीआरटीएस इंदौर, झाबुआ जिला, अलीराजपुर जिलों से कुल 550 पुलिसकर्मियों का बल धार को मिला है, जो संभवत 25 जनवरी को धार आ जाएगा। इसके साथ ही धार एडिशनल एसपी, उप सेनानी 34वीं वाहिनी, पुलिस अधीक्षक पीआरटीएस इंदौर भी मुख्य अधिकारियों के रूप में तैनात रहेंगे। वहीं 4 डीएसपी इंदौर सहित एसडीओपी व सीएसपी भी अलग-अलग स्थानों पर डयूटी करेंगे।

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