डिंडौरी में आज लोक अदालत में अधिवक्ताओं और न्यायाधीशों की उपस्थिति में तीन परिवारों का विवाद सुलझा कर उन्हें एक बार फिर मिला दिया गया। न्यायालय परिसर में तीनों परिवारों को फूल माला पहनाकर विदा कर दिया गया। तीनों परिवारों ने न्यायाधीशों और अधिवक्ताओं का आभार प्रकट किया है।
जानकारी के अनुसार आयोजित नेशनल लोक अदालत में लंबे समय से न्यायिक प्रक्रिया में उलझे तीन परिवारिक मामलों को जिला न्यायाधीश कुमारी नीना आशापुरे की मौजूदगी में कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश सुरेश कुमार चौबे, सचिव मंडलोई और अधिवक्ता सुरेंद्र ठाकुर, दशरथ धुर्वे, संतोष धुर्वे, जीपी गर्ग सहित अध्यक्ष जिला अधिवक्ता संघ यू के पटेरिया के साझा प्रयासों से दोनों पक्ष अपनी अपनी गलतफहमी और आपसी गिले शिकवों को दूर करते हुए अपने संबंधों को पुनर्जीवित करना स्वीकार कर फिर एक साथ साथ रहने को राजी हो गए। एक मामले में पडरिया निवासी प्रदीप बर्मन का अपनी पत्नी संध्या बर्मन के साथ परिवारिक विवाद चल रहा था और संध्या बर्मन अपनी दोनों बेटियों, प्रिया और गौरी के साथ प्रदीप से अलग निवास कर रही थी। आज लोक अदालत में दी गई समझाइश और सलाह के बाद साथ-साथ रहने को राजी हो गए।
ऐसे ही एक-दूसरे मामले में झांकी समनापुर के निवासी जगत सिंह का अपनी पत्नी गायत्री के साथ विवाद चल रहा था और काफी तनावपूर्ण जीवन में दोनों पक्ष रह रहे थे। जब आज उन्हें उपस्थित न्यायाधीश और अधिवक्ताओं की ओर से बैठाकर समझाइश दी गई और आने वाले भविष्य को ध्यान में रखते हुए निर्णय करने का अनुरोध किया गया। जिस पर लोक अदालत की समझाइस को आत्मसात करते हुए दोनों पक्ष एक हो गए। इसी प्रकार धनुवासागर निवासी धनेश कुमार राठौर का अपनी पत्नी देवकी के साथ भरण पोषण का प्रकरण चल रहा था। जिसमें जयप्रकाश कोरबा अधिवक्ता और न्यायधीशों की समझाइश से मामले को समाप्त कराया गया। इसके उपरांत लोक अदालत में समझौता हो जाने के बाद इन दंपतियों का सम्मान किया गया।
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