ऑल इंडिया इलेक्ट्रिसिटी एम्पलाइज फेडरेशन के तत्वावधान में 23 नवंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर क्रांतिकारी मैदान में बिजली कामगारों के राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन किया। इस अवसर पर पदाधिकारियों ने कहा कि इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2022 को निरस्त नहीं किया गया। देश के कोने-कोने में कार्यरत लगभग 27 लाख बिजली कामगार एक साथ बिजली बंद हड़ताल करेंगे।
ज्ञातव्य हो कि केंद्र सरकार के द्वारा निजीकरण का प्रस्ताव इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2022 के रूप में पूरे देश में लागू करने का प्रस्ताव संसद में पारित करा लिया गया है और अब बारी है राज्यों की सरकारों द्वारा लागू करने की। ऐसा माना जा रहा है कि वर्तमान में हो रहे दो राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद 2023 में 3 राज्यों मप्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान के आगामी विधानसभा चुनाव के बाद पूरे देश में इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2022 लागू हो जाएगा और बिजली बोर्ड एवं बिजली कंपनियां समाप्त हो जाएंगी तथा बिजली उत्पादन से लेकर बिजली वितरण का काम निजी हाथों में सौंपा जा सकता है।
केंद्र सरकार के बिल के प्रस्ताव में इस बात का कहीं कोई उल्लेख नहीं किया गया है कि वर्तमान में बिजली कंपनियों में वर्तमान में कार्यरत अधिकारियों कर्मचारियों की वेतन सहित उन सेवा शर्तों का क्या होगा, जिन सेवा शर्तों के आधार पर उन्हें नौकरी दी गई थी। कहा जा रहा है कि निजीकरण हो जाने के बाद बिजली की कीमत अब से चार गुना ज्यादा दर पर उपभोक्ताओं को खरीदनी पड़ेगी। जिसकी मार सभी प्रकार के उपभोक्ताओं को झेलनी पड़ेगी। विद्युत कामगारों के राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन में शामिल मप्र से विद्युत कर्मचारी जनता यूनियन व ट्रांसमिशन कर्मचारी जनता यूनियन के प्रांतीय अध्यक्ष मोहन अग्रवाल एवं पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कर्मचारी जनता यूनियन के प्रान्तीय उपाध्यक्ष पीएन नामदेव ने बताया कि वर्तमान में केंद्र में स्थापित सरकार के लिए गुजरात, हिमाचल के बाद मप्र, छत्तीसगढ़ एवं राजस्थान में आगामी वर्ष होने वाले चुनाव बहुत ही अहम है उसी के इंतजार में बिजली का निजीकरण रुका हुआ है।
मप्र की बिजली कंपनियों में प्रभावी मप्र विद्युत कर्मचारी जनता यूनियन के द्वारा आगामी आंदोलनात्मक योजनाओं की घोषणा भी कर दी गई है, जिसके मुताबिक पूरे प्रदेश में प्रमुख कार्यालयों में आमसभा आयोजित करने का निर्णय लिया गया है।
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