ये कहानी 17 साल की उस लड़की की है, जिसे हाल ही में गुना पुलिस ने पाकिस्तान बॉर्डर से बरामद किया है। वह 16 दिन तक दोस्त के साथ रही। पुलिस ने 2200 किलोमीटर की यात्रा कर उसे खोजा है। लड़की ने पुलिस को बताया कि वह घरवालों से नाराज होकर गई थी, लेकिन जब दैनिक भास्कर ने उससे बात की, तो वजह कुछ और ही बताई।
आखिर उसने ऐसा क्यों किया? दोनों को क्या अलग-अलग बताया? क्या है पूरा मामला? जानते हैं…
पहले पूरा मामला जान लेते हैं
16 अक्टूबर 2022 को गुना के कोतवाली इलाके से एक नाबालिग लड़की लापता हो गई थी। उसके चाचा ने कोतवाली में गुमशुदगी दर्ज कराई थी। पुलिस ने तलाश शुरू की। CSP श्वेता गुप्ता के मार्गदर्शन में टीआई मदन मोहन मालवीय टीम के साथ लड़की की तलाश में जुट गए। साइबर सेल की मदद से कई जगह दबिश दी गई। 3 नवंबर को लड़की राजस्थान की पाकिस्तान बॉर्डर पर हनुमानगढ़ जिले में मिली। पुलिस टीम वहां से लड़की को लेकर गुना पहुंची, जहां उसे परिवार वालों के सुपुर्द कर दिया।
अब जानते हैं पुलिस को क्या बताया?
पुलिस ने लड़की से पूछताछ की। CSP श्वेता गुप्ता ने बताया कि लड़की ने पुलिस को दिए बयानों में कहा है कि घरवाले उसके लिए रिश्ता तलाश कर रहे थे। वह शादी नहीं करना चाहती है, इसलिए नाराज होकर घर से भाग गई। वह ट्रेन से जयपुर होते हुए हनुमानगढ़ पहुंची। करीब 15 दिन तक हनुमानगढ़ में गुरुद्वारे में रही। कुछ दिन भीख मांगकर भी गुजारा किया।
पहले भास्कर को भी वही कहानी बताई
दैनिक भास्कर की टीम रविवार को लड़की के गांव पहुंची। ये गांव जिला मुख्यालय से करीब 90 किमी दूर है। मुख्य गांव से कच्चे और पथरीले रास्तों पर उतरे। करीब 2 किलोमीटर चलने के बाद पठार सा नजर आया। पता पूछते-पूछते आखिरकार लड़की का घर मिल गया। ये घर 4-5 कमरों का है। टीम ने लड़की से बात की। पहले उसने पुलिस को दिए बयानों को दोहरा दिया। बीच में टोकते हुए लड़की की मां ने बेटी से सच्चाई बताने के लिए कहा। मां के कहने के बाद उसने जो बताया, उससे थ्योरी ही बदल गई।
मां के टोकने के बाद ये बताई सच्चाई...
‘पिता जोधपुर में रहकर मजदूरी करते हैं। करीब एक साल पहले मैं भी पिता के साथ काम करने के लिए जोधपुर चली गई थी। यहां ही सुखविंदर से जान-पहचान हुई थी। हम दोनों दोस्त बन गए। मैंने बाड़मेर में भी मौसी के पास रहकर काम किया। मौसी को हम दोनों के बारे में पता था। बाड़मेर में रहकर मौसी के फोन से सुखविंदर से बात करती रही। सुखविंदर ने गलत काम भी किया।
करीब 2 महीने पहले गांव आ गई। गुना में दादाजी, चाचा और उनके बच्चे रहते हैं। चाचा के बच्चे पढ़ाई करते हैं। दादाजी की भी तबीयत खराब रहती है। चचेरे भाइयों को खाना बनाकर देने लगी। उनके बाकी काम भी करती थी।
पिता भी कुछ दिन पहले ही मजदूरी करने जोधपुर चले गए थे। यहां मेरे पास मोबाइल नहीं था। पास में रहने वाली लड़की से मुलाकात हुई। उसी के फोन से मौसी को कॉल किया। मौसी ने उस लड़के (सुखविंदर) से फिर से बात कराई। यहीं से लड़के ने हनुमानगढ़ आने और वहां रहने की बात कही, तो मैं भी तैयार हो गई।
16 अक्टूबर की शाम 6 बजे के आस-पास ऑटो से गुना रेलवे स्टेशन पहुंची। मेरे अकाउंट में उसी ने 150 रुपए भेज दिए थे। इन्हीं रुपयों से जयपुर के लिए टिकट खरीदा। रात 10.30 बजे गुना से जयपुर जाने वाली ट्रेन में बैठ गई। सुबह जयपुर रेलवे स्टेशन पहुंची। वहां दोस्त मुझे लेने आ गया। उसके साथ बस से हनुमानगढ़ पहुंची। वहां से उसके गांव चले गए। उसके घर में ही 15 दिन तक रही। उसके माता-पिता भी साथ रहते थे। कुछ दिन बाद पुलिस आ गई। पुलिस के साथ चाचा भी थे। वे मुझे लेकर गुना आ गए।
(लड़की ने जैसा भास्कर को बताया)
अब जानिए, पुलिस कैसे लड़की तक पहुंची
मामले में जांच अधिकारी ASI असलम खान ने बताया कि 17 अक्टूबर को गुमशुदगी दर्ज की गई थी। इसके बाद से ही लड़की की तलाश में लग गए। पता चला कि लड़की पिछले साल बाड़मेर में रह चुकी है। वह पिता के साथ मजदूरी करने गई थी। यहीं से पुलिस को उसके बाड़मेर में होने का शक हुआ। साइबर सेल की मदद ली। बाड़मेर का क्लू मिलने के बाद वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दी। निर्देश मिलने के बाद टीम 1 नवंबर को हनुमानगढ़ के लिए रवाना हुई।
टीम में ASI असलम खान, हेड कॉन्स्टेबल अशोक सरोज, हेड कॉन्स्टेबल अमित कलावत और लेडी कॉन्स्टेबल जागृति यादव शामिल थीं। टीम अजमेर के रास्ते उसे पहले बाड़मेर में खोजने जा रही थी। टीम रास्ते में ही थी कि इसी दौरान उसके हनुमानगढ़ में होने की लिंक मिली। टीम हनुमानगढ़ पहुंच गई। वहां कोर्ट के पास लड़की मिल गई। वह कुछ वकीलों के भी संपर्क में थी। लड़की ठीक हालात में है। लड़की ने यही बताया कि वह मर्जी से आई है। परिवार वालों की डांट के बाद घर छोड़कर आ गई। ASI ने बताया कि लड़की को खोजने और वापस लाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। वहां वकील भी पुलिस से उलझ गए थे। उसे वापस लाने में करीब 2200 किलोमीटर का सफर करना पड़ा।
आखिर लड़की ने अलग-अलग वजह क्यों बताई
लड़की का सोचना था कि पुलिस को जो कहानी बताई, उसमें पुलिस ने उसे परिवार वालों को सौंप दिया। इसके बाद पुलिस केस बंद कर देगी। सच्चाई बताती, तो मामले की जांच होती। लड़का भी पकड़ा जाता। अब पुलिस लड़की से पूछताछ के बाद जांच का एंगल बदल सकती है।
इस साल अब तक 20 बच्चे लापता
इस साल यानी 2022 में 4 नवंबर तक कोतवाली क्षेत्र से 15 लड़कियां लापता हुई हैं। वहीं, 5 लड़के भी लापता हैं। इनमें से 14 लड़कियों और 4 लड़कों को बरामद कर लिया गया है। इनमें से 2 राजस्थान, 1 दिल्ली, 1 इंदौर और 10 गुना से बरामद की गई हैं। वहीं, 2021 में 22 लड़कियां और 4 लड़के लापता हुए थे। इनमें से 21 लड़कियों को ढूंढ लिया गया था। चारों लड़कों को भी बरामद कर लिया।
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