सरस्वती विहार कालोनी में "लापता नाले'' का मसला अब सुलझने की ओर है। कागजों पर जिस जगह पर वास्तव में नाला बहता था, वहां 13 मकान बना दिए गए हैं। वर्तमान में जहां से वह बह रहा है, वहां उसका रास्ता बंद हो गया है। इसलिए \"लापता' और मौजूदा नाले के बीच एक नया नाला बनाया जा रहा है। बताया जाता है कि यह नाला काॅलोनाइजर की जमीन पर बनाया जा रहा है।
दावा यह भी है कि काम भी उसी से कराया जा रहा है। हालांकि एक अधिकारी ने बताया कि अगर हम बारीकी से जमीन की जांच करें तो वहां सरकारी रकबा ही मिलेगा। भास्कर ने 19 फरवरी के अंक में सबसे पहले यह मुद्दा उठाया था।
15 फीट चौड़ाई का दावा
यह काम अचानक शुरू कर दिया गया। मौके पर जब भास्कर की टीम पहुंची तो वहां कोई सरकारी अधिकारी या कर्मचारी नहीं मिला। राजस्व विभाग से मिली जानकारी के अनुसार नाले की चौड़ाई लगभग 10 से 15 फीट के बीच रखी जाएगी। इसकी लंबाई 150 मीटर रखी जाएगी। इसके अलावा इसके दोनों ओर फेंसिंग भी होगी । काॅलोनी के लोगों का कहना है कि कम चौड़ाई वाले नाले में से पानी कैसे निकलेगा।
नाला निजी जमीन पर बन रहा तो रिकार्ड में दर्ज हो
उधर जानकारों का कहना है कि अगर उक्त नाला किसी की निजी जमीन पर बन रहा है तो उसे राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज किया जाना चाहिए। यानी उसे सरकारी जमीन का दर्जा मिलना चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो समस्या बढ़ सकती है। उधर एक पुलिया भी तोड़ना पड़ सकती है, क्योंकि वह भी निजी जमीन पर बताई जा रही है।
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