पाएं अपने शहर की ताज़ा ख़बरें और फ्री ई-पेपर
Install AppAds से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
मकड़ावदाकलां में चल रही पांच दिवसीय शिवमहापुराण की कथा के पांचवे दिन कथा वाचक शंभूनाथ योगी ने शिव विवाह की कथा का प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है। बिना श्रद्धा और विश्वास के पति-पत्नी का जीवन सुखमय नहीं हो सकता। श्रद्धा के बिना धर्म की कल्पना ही नहीं की जा सकती है।
उन्होंंने कहा कि शिव-विवाह जीवात्मा का परमात्मा से, कामनाओं का भावनाओं से और नदियों का सागर से मिलन की गाथा का नाम है। भगवान शिव ने यदि शृंगार किया तो जग को सत्य से जोड़ने के लिए विवाह किया, तो वह भी जग के कल्याण के लिए।
उन्होंने भक्तों को कथा का रसपान कराते हुए कहा कि शिव जी की समाधि भंग करने जब काम पहुंचा तो भगवान ने तीसरा नेत्र खोला और वह जल कर भस्म हो गया। तीसरा नेत्र ज्ञान चक्षु है। यह खुलता है तो मनुष्य के अंदर से काम जल जाता है।
धर्म पर आरूढ़ होकर ही गृहस्थ जीवन को ठीक ढंग से चलाया जा सकता है। जिसके जीवन में डगमगाना खत्म हो जाए, वह कैलाश है। कैलाश में ऊंचाई है। हमारा भवन भले ही ऊंचा न हो, किन्तु भावनाएं ऊंची होनी चाहिए। नंदी पे होके सवार भोले जी चले दूल्हा बनके.. जैसे भजनों पर श्रोता झूम उठे। ब्रह्मा विष्णु महेश, ऋषि मुनि, देवता आदि सजीव झांकियों के साथ भगवान शिव की बारात निकाली गई। कथा के दौरान शिव-पार्वती विवाह की झांकी भी तैयार कराई गई।
पॉजिटिव- इस समय ग्रह स्थितियां पूर्णतः अनुकूल है। सम्मानजनक स्थितियां बनेंगी। विद्यार्थियों को कैरियर संबंधी किसी समस्या का समाधान मिलने से उत्साह में वृद्धि होगी। आप अपनी किसी कमजोरी पर भी विजय हासिल...
Copyright © 2020-21 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.