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केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है उज्ज्वला गैस कनेक्शन। महिलाओं को लकड़ी या उपले(कंडे)जलाकर खाना बनाने से दूर करने के लिए यह योजना लाई गई, लेकिन शत-प्रतिशत उपभोक्ता सिलेंडर ही नहीं भरवा पा रहे हैं। बहुत सी महिलाएं आज भी चूल्हे में लकड़ी जलाकर खाना पकाने को मजबूर हैं। लॉकडाउन के बाद सिलेंडर भरवाने में कमी आई है, जिसके लिए योजना के लाभार्थी आर्थिक परेशानी बता रहे हैं।
गौरतलब है कि गोहद के शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के बीच सिर्फ एक गैस एजेंसी है। इनसे उज्ज्वला गैस योजना के तहत वर्ष 2016 और 2018 में कुल 8हजार 65 महिलाओं को गैस कनेक्शन वितरित किए गए थे। योजना की शुरूआत में सिलेंडर भरवाने की स्थिति ठीक थी, लेकिन अब वह बदल गई थी।
ग्रामीण उपभोक्ताओं के खर्च होते हैं एक हजार रुपएः दरअसल गैस सिलेंडर 860 रुपए में मिल रहा है। सिलेंडर पर मिलने वाली सब्सिडी गरीब मजदूर परिवार को समझ नहीं आ रही है। ऊपर से बुकिंग के बाद गांव तक ले जाने में सिलेंडर एक हजार रुपए तक पड़ जाते हैं। ऐसे में उज्ज्वला योजना में शामिल गरीबों का कहना है कि रोज की जरूरत की समान लाएं कि बच्चों को पढ़ाए, दवा पर खर्च करें या सिलेंडर भरवाएं एक बार सिलेंडर उठाने में हजार रुपए खर्च आते हैं। वहीं क्षेत्र के अधिकांश गांव में तो महिला उपभोक्ताओं ने गैस चूल्हा को बांधकर घर के कोने में रख दिए हैं और आस पास से बीनकर लाई गई लकड़ी और उपलों से चूल्हा जला रहे हैं।
धुएं से होती हैं कई बीमारियांः बीएमओ डॉ. आलोश शर्मा का कहना है कि लकड़ी और उपले पर खाना बनाने में सस्ते ईंधन होने के कारण महिलाएं इस्तेमाल करती हैं। जिससे मानव स्वास्थ्य खासकर घर की महिलाओं और बच्चों के सेहत को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचता है। इसलिए चूल्हे के धुएं से बचना बेहद जरूरी है।
महिलाएं बोलीं- 1 हजार रुपए का पड़ता है रसोई गैस का सिलेंडर, कहां से भरवाएं
इतनी आमदनी नहीं है
छरेंटा गांव निवासी गायत्री शर्मा का कहना है कि गैस कनेक्शन तो है, लेकिन आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि हर महीने इतना मंहगा गैस सिलेंडर भरवा सकें। हमारी इतनी आमदनी हमारी नहीं है।
एक हजार में पड़ता है सिलेंडर
ग्राम टेंटो निवासी भागोदेवी का कहना है कि सिलेंडर वर्तमान में 860 रुपए का हो गया है, एजेंसी से गांव तक लाने में एक हजार रुपए के आसपास खर्च हो जाते हैं। इसलिए चूल्हे पर ही खाना बना रहे हैं।
सिर्फ नाम की सब्सिडी रह गई है
वार्ड 10 निवासी लताबाई वाजपेयी का कहना है कि जब मुझे कनेक्शन मिला तो सोचा था, कि अब चूल्हे पर खाना नहीं पकाना होगा। लेकिन महंगा सिलेंडर और नाम मात्र की सब्सिडी से फिर चूल्हा फूंकना पड़ रहा है।
20 प्रतिशत की उपभोक्ता सिलेंडर भरवाने आते हैं
गोहद नगर में संचालित गैस एजेंसी संचालक रामवीर देशलहरा ने बताया कि वर्ष 2016 से 2018 के बीच योजना के तहत 8 हजार 65 गरीब परिवार की महिलाओं को गैस कनेक्शन दिए गए थे। लेकिन सिलेंडर के दाम अधिक होने के कारण सिर्फ 20प्रतिशत उपभोक्ता सिलेंडर भरवाने आते हैं, उसमें भी कुछ लोग तो दो से तीन महीने में एक बार गैस सिलेंडर के लिए आते हैं।
लोगों को प्रेरित करेंगे
यह मामला अभी मेरी जानकारी में नहीं है। सप्लाई ऑफिसर को जांच के निर्देश देकर पता करता हूं, अगर उपभोक्ता सिलेंडर भरवाने नहीं आ रहे हैं तो उनको इसके लिए प्रेरित किया जाएगा।
शुभम शर्मा, एसडीएम, गोहद
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