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रौन तहसीलदार की दबंगई का मामला सामने आया है, जिसमें उन्होंने हल्का पटवारी को एक फरियादी के घर पर बुलाकर जबरन पारिवारिक व्यवस्थापन की फाइल पर न सिर्फ हस्ताक्षर करा लिए। बल्कि पटवारी की रिपोर्ट को उसके ही सामने फाड़ दी। पटवारी ने जब इस मामले की शिकायत वरिष्ठ अधिकारियों से की तो कोई कार्रवाई नहीं हुई।
परिणामस्वरुप जब यह मामला पूर्व मंत्री डॉ. गोविंद सिंह की जानकारी में पहुंचा तो उन्होंने राजस्व विभाग के मंत्री सहित प्रमुख सचिव को पत्र लिखा है। दरअसल पटवारी हल्का नंबर 25 बोनापुरा के पटवारी दलगंजन सिंह चौहान के अनुसार 15 जनवरी की सुबह 7.57 बजे राजस्व निरीक्षक अशोक टेंगवार का फोन आया कि गांव में सड़क विवाद निपटाने के लिए धीर सिंह पुत्र भीकम सिंह के यहां पहुंचने के लिए कहा गया।
जब वे वहां पहुंचे तो वहां पहले से ही 8-10 लठैत मौजूद थे। इसके बाद पटवारी दलगंजन सिंह को कमरे में बंद कर दिया गया। साथ ही तहसीलदार महेश कुमार गुप्ता द्वारा भीकम सिंह के पारिवारिक व्यवस्थापन की फाइल जिस पर पटवारी ने वारिसान की पहले ही रिपोर्ट लगाई गई थी उसे फाड़कर दूसरी रिपोर्ट जिसमें एक वारिस था पर दस्तखत करने के लिए कहा।
पटवारी द्वारा गलत रिपोर्ट पर दस्तखत करने मना किया गया तो बल पूर्वक दस्तखत करा लिए। जबकि भीकम सिंह के कुल चार वारिसान, जिसमें एक पुत्र धीर सिंह और 3 पुत्रियां हैं। लेकिन तहसीलदार ने दबाव डालकर उनसे हस्ताक्षर करा लिए। वहीं इस संबंध में तहसीलदार महेश कुमार से संपर्क किया गया तो उनका मोबाइल फोन बंद जा रहा था।
किसी पटवारी से जबरन दस्तखत नहीं कराए
ऐसा कोई मामला नहीं है। शासन के निर्देश पर गांव गांव नामातंरण, बंटवारे आदि के प्रकरण जहां ज्यादा लंबित हैं, वहां कैंप लगाए जा रहे हैं। इसी के चलते उन्हें बुलाया गया था। तहसीलदार किसी पटवारी से जबरन हस्ताक्षर नहीं कराते।
-आरए प्रजापति, एसडीएम लहार
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