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शहर में चारों तरफ बने तालाबों के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। या यूं कहें कि तालाब अब केवल नाम के रह गए हैं। तालाबों पर बने मकान और उनमें मिट्टी डालकर किया जा रहा पुराव इस बात की सीधी गवाही दे रहे हैं कि तालाब अब नाम के रह गए हैं। चूनगर फाटक बाहर बने प्राचीन लक्ष्मण ताल का भी यही हाल है। तालाब सूख चुका है वह भी सर्दियों के मौसम में ही। गर्मियों के मौसम में यह खेल मैदान बन जाएगा और तालाब में जितना हिस्सा खाली रह गया है उसमें भी मिट्टी का पुराव भरकर मकान बन जाएंगे। लेकिन शासन, प्रशासन प्राचीन तालाबों के संरक्षण की तरफ खास कदम नहीं उठा रहा है।
बता दें कि शहर में सीतासागर तालाब, करण सागर, नया ताल, लाला का ताल, लक्ष्मण ताल, असनाई ताल, मुन्नी सेठ की तलैया, राधा सागर आदि तालाब हैं। सभी तालाब शहर की चार दीवारी के बाहर बने हैं। लेकिन धीरे धीरे चार दीवारें से बाहर आबादी क्षेत्र बस गए हैं और अब ये सभी तालाब शहर के बीचों बीच आ गए। इन तालाबों को राजशाही समय में इसलिए बनाया गया था ताकि शहर का भू जल स्तर हमेशा बढ़ा रहे। लेकिन समय के साथ-साथ तालाबों के अस्तित्व पर भी संकट मंडराने लगा है। शहर का एक भी तालाब सुरक्षित व सलामत नहीं बचा है। सीतासागर तालाब, करन सागर, नए ताल, तरन ताल समेत सभी तालाबों पर अतिक्रमण हो गया है। सबसे ज्यादा खराब हालत में लक्ष्मण ताल है। जो कि महज गड्ढा नुमा बनकर रह गया है।
नपा के अधीन है तालाब, जीर्णाेद्धार के लिए करती है लाखों रुपए खर्च
शहर के सभी तालाब नगर पालिका के अधीन हैं। नपा की जिम्मेदारी है कि वह शहर के तालाबों को धरोहर के रूप में सहेजकर रखंे। यही नहीं नपा इन तालाबों की साफ सफाई से लेकर जीर्णोद्धार पर लाखों रुपए भी खर्च करती है। इसके बाद भी तालाब की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। यही हाल रहा तो तालाब का नाम तो रह जाएगा लेकिन तालाब ढूंढ़ने से भी नहीं मिलेंगे। जब से दतिया नगर पालिका बना तब से शासन एक तालाब तो नहीं बनवा सका, उल्टा जो राजशाही तालाब थे उन्हें भी सहेजकर नहीं रख सका।
इन तालाबों पर भी कब्जा
शहर के सीतासागर तालाब पर चारों तरफ अतिक्रमण हो गया है। तालाब के उत्तर तरफ बुंदेला कॉलोनी, छात्रावास बनाकर अतिक्रमण हो गया है। जबकि पश्चिमी हिस्से में गांगोटिया मंदिर के पास मकान बने हैं। इसी तरह पश्चिमी हिस्से में ही निजी स्कूल और रिहायशी बस्ती बनाकर अतिक्रमण है। तीन साल पहले ग्वालियर हाईकोर्ट ने प्रशासन को तालाब के किनारे से अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए थे, तब प्रशासन ने कुछ लोगों को जेल भी भेजा लेकिन पूरा अतिक्रमण नहीं हटाया गया। इसी तरह करन सागर पर पेट्रोल पंप के पीछे बस्ती बनकर तैयार है। लाला के ताल पर हड़ापहाड़ की तरफ से अतिक्रमण हो रहा है। राधासागर भी अतिक्रमण की चपेट में है। धीरे धीरे सभी तालाब अतिक्रमण के शिकार होते जा रहे हैं।
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