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सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मौ में एंटी रैबीज वैक्सीन(एआरवी) पिछले 15दिन से खत्म है। स्थिति यह है कि कुत्ते, सियार, बंदरों के काटने से प्रतिदिन आधा दर्जन से अधिक मरीज अस्पताल से इंजेक्शन लगाए बिना ही लौट रहे हैं। पीड़ितों को एंटी रैबीज के लिए रोज दूसरे अस्पतालों और बाहर की दुकानों से महंगे इंजेक्शन खरीदने पड़ रहे हैं। अस्पताल में कोई जानकारी भी चस्पा नहीं की गई है, जिससे पता लग सके कि इंजेक्शन नहीं है।
गौरतलब है कि मरीज पर्चा बनवाकर जब डॉक्टर के पास इंजेक्शन लगवाने जाते हैं तो उन्हें कह दिया जाता है कि इंजेक्शन स्टोर में नहीं हैं। इससे मरीजों व अटेंडरों में स्वास्थ्य विभाग के खिलाफ आक्रोश बढ़ता जा रहा है। इस संबंंध में जब अस्पताल के बीएमओ डॉ. अमृत राजे से भास्कर ने चर्चा की तो उन्होंने बताया कि हम पिछले 10दिन से विभाग से मांग कर रहे हैं। लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है। अस्पताल में मरीज रैबीज के इंजेक्शन नहीं होने के कारण लौट जाते हैं। इतना ही नहीं कई बार मरीजों द्वारा विरोध भी जताया जाता है, जिसका सामना स्टाफ को करना पड़ता है।
72 घंटे के अंदर लगना चाहिए रैबीज के इंजेक्शन
अगर किसी व्यक्ति को कुत्ते ने काट लिया है तो 72घंटे में एंटी रैबीज वैक्सीन का इंजेक्शन अवश्य ही लगवा लेना चाहिए। डॉक्टरों के अनुसार अगर 72 घंटे के अंतराल में मरीज इंजेक्शन नहीं लगवाता है तो वह रैबीज रोग की चपेट में आ सकता है।
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