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जिले में शहद उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए केंद्र सरकार ने शहद उत्पादन हब के लिए प्रदेश के देश के चुनिंदा सेंटर में मुरैना को भी शामिल किया है। लेकिन अभी भी शहद का उत्पादन उम्मीद से कम है। जिले में शहद उत्पादन के लिए मधुमक्खियों के 1 लाख बॉक्स हैं जबकि हमारे यहां क्षमता छह लाख की है। इसलिए किसानों को खेती को लाभ धंधा बनाने के लिए शहद उत्पादन में भी रुचि लेनी चाहिए।
यह बात कलेक्टर अनुराग वर्मा ने शहद उत्पादन एवं शहद प्रसंस्करण के संबंध में आयोजित वर्कशॉप में कही। बैठक में जिला उद्योग केंद्र के प्रबंधक अनूप चौबे, क्षेत्रीय संचालक एमपी कोन शहद इकाई आशीष भार्गव, कृषि वैज्ञानिक डाॅ. बायपी सिंह, डाॅ. अशोक यादव, जौरा खादी ग्रामोद्योग के सचिव रनसिंह, क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र प्रभारी एमपी सिंह सहित अनेक अधिकारी मौजूद थे।
श्री वर्मा ने कहा कि मुरैना में विशेषकर गजक का उत्पादन किया जा रहा है। इसके अलावा सबसे अधिक मात्रा में पीला सोना (सरसों) की पैदावार होती है, जिससे तेल की मात्रा अधिक तादाद में प्राप्त होती है। इसके साथ ही मुरैना के स्ट्राॅन कटिंग की मांग देश के अलावा विदेशों में बहुतायत में है। अब भारत सरकार ने शहद उत्पादन के लिए भी मुरैना को चयनित किया है।
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